Saturday, August 4, 2007

फिल्‍मी समाचार


संजय दत्त के सीने में दर्द

डाक्‍टरों की निगरानी में रखा गया
संजय पुणे के यरवदा जेल में बंद

यरवदा जेल में बंद फिल्म अभिनेता संजय दत्त ने सीने में दर्द की शिकायत की है. इसके बाद संजय दत्त को चार डा टरों की निगरानी में रखा गया है. अगले नौ दिनों तक संजय इन डा टरों की निगरानी में रखे जाएंगे. संजय का बैरक बदल कर अब उन्हें फ् नंबर के बैरक में रखा गया है. उनके सहअभियुक्त और दोस्त यूसुफ नलवाला क भी इसी बैरक में रखा गया है. एक अन्य घटनाक्रम में संजय के यमुना नगर स्थित पुश्तैनी घर में चोरी हो जाने की खबर है.

खुद को संभाल नहीं पा रहे हैं संजू

अवैध हथियार रखने के आरोप में छह साल की सजा पाए संजय दत्त पर जेल का पहला दो दिन ही बहुत भारी पड़ा है. पहले उन्हें मुंबई के ऑर्थर रोड जेल में रखा गया था लेकिन उन्हें सुरक्षा के लिहाज से वहां से हटा कर पुणे के यरवदा जेल लाया गया था. बदली दिनचर्या से संजय को काफी दिक्कतें आ रही हैं. ब् अगस्त की सुबह उनके सीने में दर्द व हाइपरटेंशन की शिकायत की.

डार्लिंग का बदला

निर्माता- भूषण कुमार-कृष्ण कुमार
निर्देशक- रामगोपाल वर्मा
गीतकार- समीर
संगीतकार- प्रीतम
कलाकार- फरदीन खान, ईशा देओल, ईशा कोप्पिकर, जाकिर हुसैन
डार्लिंग फिल्म के निर्देशक रामगोपाल वर्मा और नायक फरदीन खान इस समय असफलता से जूझ रहा हैं. फरदीन तो हाशिए पर खड़े हैं. उन्हें सोलो हीरो के रूप में लेकर फिल्म बनाने की हिम्मत किसी में भी नहीं है.डार्लिंग के रूप में उनके पास अंतिम अवसर है.
ये कहानी है आदित्य (फरदीन खान)की. आदित्य शादीशुदा है. उनकी पत्नी ईशा कोप्पिकर सुंदर होने के साथ-साथ घर का और आदित्य का पूरा खयाल रखती है. इसके बावजूद आदित्य के ईशा देओल के साथ संबंध हंै, जो उसी के साथ ऑफिस में काम करती है.
आदित्य अपनी चालकियों से झूठ बोलकर दोनों को बेवकूफ बनाता रहता है और मन ही मन प्रसन्न होता है.आदित्य के दिन अच्छी तरह कटते रहते हैं.
एक दिन आदित्य को उसकी प्रेमिका बताती है कि वह उसके बच्चे की माँ बनने वाली है.आदित्य यह सुनकर हताश व परेशान हो जाता है. उसे अहसास होता है कि वह अपनी पत्नी को नहीं छाे़ड सकता है.
आदित्य और उसकी पे्रमिका के बीच इस बात को लेकर विवाद हो जाता है और बात हाथापाई तक पहुँच जाती है. दुर्घटनावश प्रेमिका की मौत हो जाती है. घबराया हुआ आदित्य किसी तरह उसकी लाश को ठिकाने लगाकर घर पहुँचता है. उसे लगता है कि मुसीबतों से छुटकारा मिल गया है, परंतु उसका ऐसा सोचना गलत था. उसकी प्रेमिका न्याय माँगने के लिए बार फिर आदित्य के सामने आ जाती है, पर इस बार वह भूत बनकर आती है. वह तब तक आदित्य का पीछा नहीं छाे़डती, जब तक कि वह उससे बदला नहीं ले लेती.

मेरीगोल्ड

मेरीगोल्ड: सलमान की पहली बॉलीवुड फिल्म
निर्देशक: विलॉर्ड कैरोल
संगीत:शंकर महोदवन, अहसान नूरानी,ग्रैसी रिवेल
कलाकार: सलमान खान, अली लॉर्टर, नंदना सेन,इयान बोहेन, गुलशन ग्रोवर
हॉलीवुड की फिल्मों में अभिनय करने के लिए भारतीय कलाकार सदेव बेताब रहते हैं. सलमान खान भी इससे अछूते नहीं हैं. मेरीगोल्ड के जरिये वे हॉलीवुड में प्रवेश कर रहे हैं. इस फिल्म की ज्यादातर शूटिंग मुंबई, गोवा और राजस्थान में की गई है.
कैरोल किसी बॉलीवुड के कलाकार को ही नायक बनाना चाहते थे. उन्हांेने कई नायकों से बात की और अंत में सलमान को चुना. अमेरिकी अभिनेत्री मेरीगोल्ड लेवस्टन (अली लॉर्टर) भारत घूमने आती है. गोवा में उसके सारे पैसे खत्म हो जाते हैं. पैसों के लिए वह बॉलीवुड की एक फिल्म में छोटा-सा किरदार निभाने को तैयार हो जाती है. फिल्म में उसे नृत्य करना है, परंतु वह इस विधा में माहिर नहीं है. उसके अंदर आत्मविश्वास पैदा करने का काम फिल्म का कोरियाग्राफ र (सलमान खान) करता है. प्रेम के व्यक्तित्व और व्यवहार के कारण मेरीगोल्ड धीरे-धीरे उसकी ओर आकर्षित होने लगती है.
मेरीगोल्ड का दिल उस समय टूट जाता है, जब से उसे पता चलता है कि प्रेम शीघ्र ही जाह्वी (नंदना सेन)से विवाह करने वाला है. इसके बाद वह प्रेम का साथ छाे़ड देती है. जाहवी मेरीगोल्ड के पास जाकर उसे समझाती है कि वह गलत सोच रही है.
प्रेम सिर्फ मेरीगोल्ड को ही चाहता है. मेरीगोल्ड वापस प्रेम के पास आ जाती है.
इसी बीच मेरीगोल्ड का पुराना प्रेमी इयान बैरी (इयान बोहेन) अचानक भारत आ जाता है. उसे पता चलता है कि मेरीगोल्ड अब प्रेम को चाहने लगी है.
थाे़डे बहुत घुमाव-फिराव के बाद मेरीगोल्ड और प्रेम के बीच की सारी बाधाएँ दूर हो जाती है. दूसरी तरफ जाहवी और इयान मंे भी प्यार हो जाता है.

मैं सेफ गेम खेलना चाह रहा हूं

तुम बिन, आपको पहले भी कहीं देखा है, तथास्तु, दस जैसी फिल्मों के बाद अब अनुभव सिन्हा की फिल्म कैश दर्शकों के सामने है। अनुभव सिन्हा से बातचीत
कैश की कहानी केपटाउन की है। क्या इस तरह की मस्ती-धमाल भारतीय पृष्ठभूमि की कहानी में संभव नहीं था?
अपने देश में इस तरह की फिल्म की शूटिंग में दिक्कत पैदा हो जाती है। हम भले ही एक बड़े देश के नागरिक हंै, लेकिन यहां सुविधाआें की काफी कमी है। कम से कम कैश जैसी टेक्निकली स्ट्रांग फिल्म बनाने में न केवल वक्त ज्यादा लगता है और न ही वैसी रोमांचक लोकेशन हमारे पास हैं। हम अपने समुंदर इसलिए नहीं फिल्मा सकते, क्योंकि ये बेहद गंदे हैं। यही कारण है कि फिल्मकारों को कैश जैसी मनोरंजक फिल्म बनाने के लिए विदेशी पृष्ठभूमि की कहानी चुननी पड़ती है। आपकी पहचान इमोशनल फिल्मकार के तौर पर बन रही थी। अचानक थ्रिलर फिल्मों की ओर कैसे रुझान हो गया?
मैं सेफ गेम खेलना चाह रहा हूं। इसके पीछे पैसे कमाने की लालसा भी है। मुझे याद है कि मेरी पहली फिल्म तुम बिन की रिलीज में कितनी परेशानियां आइंर्। इसको रिलीज करने के लिए थिएटर नहीं मिल रहे थे। मेरी दूसरी फिल्म आपको पहले भी कहीं देखा है के लिए भी ऐसा ही हुआ। तब मुझे समझ में आया कि किसी निर्देशक को शुरुआती दौर में किस तरह की फिल्में बनानी चाहिए। मस्ती-धमाल वाली फिल्मों के लिए डिस्ट्रीब्यूटर हमेशा तैयार रहते हैं। स्टार भी ज्यादा नखरे नहीं करते। दस फिल्म इसका उदाहरण है। इसे रिलीज करने को हर थिएटर राजी था। इसे जबरदस्त ओपनिंग भी मिली थी।
कैश में ऐक्टरों के लुक काफी अलग हैं, हीरोइनों को भी आपने काफी गलैमरस दिखाया है?
यह फिल्म लुक और गलैमर पर ही तो टिकी है। कैश में हीरोइनें काफी गलैमरस लगी हैं और सारे हीरो अपने खास लुक में बखूबी जमे हैं। यह एक ऐसी फिल्म है, जिसमें दर्शकों को अपने दिमाग का इस्तेमाल करने की जरूरत न पड़े। यह धूमधड़ाके वाली मनोरंजक फिल्म है।
क्या अजय देवगन, जाएद खान, सुनील शेट्टी, रितेश देशमुख, ऐशा देओल, दीया मिर्जा और शमिता को लिया जाना पहले से तय था? हां, लगभग सभी कलाकार कहानी लिखते समय ही तय हो गए थे। यह मेरा नसीब है कि सभी ने काम करने की हामी भर दी। रितेश और शमिता को जरूर बाद में साइन किया गया। आयशा टाकिया तो सरप्राइज के तौर पर ही हमसे ज़ुडीं। उनके फिल्म में होने की बात हमने भी छुपाए रखी। तथास्तु की विफलता के बाद आपकी सोच बदल गई लगती है? अच्छी स्टारकास्ट होने के बावजूद यह फिल्म नहीं चल पाई?
मेरा मानना है कि किसी नए फिल्मकार को तभी स्थायी कामयाबी मिलेगी, जब वह बॉक्स ऑफिस में हिट होगा। इसके लिए उसे ऐसी फिल्मों से जु़डना होगा, जिसमें जोखिम कम हो। चुनौतीपूर्ण फिल्म बनाना नए फिल्मकार के लिए जोखिम भरा काम है। तथास्तु के न चलने से मैं वाकई काफी परेशान हुआ। हालांकि निर्माता ने इसका प्रमोशन ढंग से नहीं किया था और यह एक अंगरेजी फिल्म पर आधारित थी। दस के हिट होने के बाद आप रिस्क ले सकते थे?
मैं कैश के बाद चेस बना रहा हं, जो पच्चीस करोड़ की फिल्म होगी। इसकी पूरी शूटिंग रोम में की जाएगी। इसके बाद मैं राजीव गांधी हत्याकांड पर फिल्म बनाऊंगा। एक और फिल्म के बारे में सोचा जा रहा है।

बदलना बालन का

सिर्र्फ साड़ी और बिंदी वाली भूमिकाओं से बॉलीवुड में लंबी दूरी नहीं तय की जा सकती। इस बात को विद्या बालन ने समय रहते समझ लिया है। यही कारण है कि हे बेबी में वह एक ग्लैमरस किरदार में दिखेंगी। या विद्या एकदम नए लुक में दर्शकों के दिलों में अपने लिए जगह बनाने में कामयाब हो पाएंगी? बता रहे हैं हरि मृदुल कायांतरण हो चुका है। परिणीता अब ईशा बन चुकी हैंं। परिणीता यानी भारतीय नारी का प्रामाणिक बिंब और ईशा यानी आधुनिकता की मोहक बानगी। साजिद नाडियाडवाला की साजिद खान के निर्देशन में बनी फि ल्म हे बेबी में विद्या बालन को वे दर्शक नहीं पहचान पाएंगे, जो उन्हे विधुविनोद चोपड़ा़ की प्रदीप सरकार के निर्देशन में बनी फि ल्म परिणीता के कारण जानते हैं। यह भी संभव है कि विद्या को एकदम नए रूप में देखकर उनके दिलों को ठेस पहुचे। कहां माथे पर बड़ी सी लाल गोल बिंदी और शालीन बनारसी साड़ी। कहां मिनी स्कर्र्ट पहने हर किसी को आमंत्रित करती ईशा की जानलेवा अदा। लेकिन विद्या के लिए यह कायांतरण जरूरी था। वरना उनकी भी वैसी ही हालत होने की संभावना ज्यादा थी, जैसी लगान की गौरी यानी ग्रेसी सिंह की हुई है या तेरे नाम की भूमिका चावला की। हो सकता है कि उन्हे स्वदेस की गायत्री जोशी की तरह कुछ साल बाद इंडस्ट्री को अलविदा कहकर शादी के मंडप में सात फेरे लेने पड़ जाते। परंतु समझदार वही है, जो दूसरों की गलती से सबक ले।
हे बेबी के निर्देशक साजिद खान की मानें, तो वाकई विद्या इस फिल्म में बहुत ग्लैमरस नजर आई हैं। वह सिडनी के एक अमीर की बेटी बनी हैं। तीन-तीन हीरो अक्षय कुमार, फरदीन खान और रितेश देशमुख जैसे छैल-छबीले उनके पीछे पड़े हैं। वे भी पूरी मस्ती के साथ उनसे खेल कर रही है। कभी इसके साथ और कभी उसके साथ। असल में बालन ने अब उस विद्या को समझ लिया है, जिसके सहारे जवां दिलों पर आसानी से राज किया जा सकता है। लोगों के दिलों में ग्लैमरस छवि बसाने के लिए इस दक्षिण भारतीय लड़क़ी ने अब कमर कस ली है। निर्देशक साजिद खान याद करते हैं कि आज से कई साल पहले मुंबई के नामचीन कॉलेज सेंंट जैवियर्स में पहली बार जब विद्या से मुलाकात हुई थी, तब वह कितनी गोल-मटोल थीं। तब साजिद को बतौर गेस्ट आमंत्रित किया गया था। साजिद टीवी पर्सनालिटी थे तो विद्या सामान्य सी स्टूडेट। विद्या उन दिनों को याद करती हैं, 'मैं बहुुत बोरिंंग स्टूडेट थी। पढ़ाई से ज्यादा फिल्में देखती थी। तब मेरे दो ही पसंदीदा काम थे, फिल्में देखना और स्वादिष्ट भोजन करना। मैं खा-खाकर मोटी होती जा रही थी, लेकिन मन मंे कहींं सपना पल रहा था कि फिल्मों मेंं बतौर हीरोइन काम करना है। मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती थी, लेकिन लोग मेरी बात को कतई गंभीरता से नहीं लेते थे। मैं माधुरी के एक दो तीन... गाने की दीवानी थी और उसे पचासों बार देख चुकी थी। विद्या ने जब एकता कपूर के धारावाहिक हम पांच में काम किया, तब भी वह मोटी थींं। हम पांच की लोकप्रियता तब चरम पर थी। इस धारावाहिक में काम पाने के बाद लोगों ने उनकी बातोंं पर विश्वास करना शुरू कर दिया कि वाकई यह साउथ इंडियन लड़क़ी कुुछ कर सकती है। विद्या याद करती हैंं कि कैैसे अचानक एक दिन उन्हे केरल टूरिज्म के एक विज्ञापन में काम करने का मौका मिल गया और जीवन की पहली कमाई पांच सौ रुपये के रूप में उन्हे हासिल हुई। विद्या बताती हैं, 'इन पांच सौ रुपयों से मुझे कितनी खुशी हुई मैं बता नहीं सकती।`
दो साल पहले प्रदीप सरकार के निर्देशन में फिल्म परिणीता मेंं विद्या बालन ने कुछ इस अंदाज में शीर्षक भूमिका निभाई कि दर्शकों ने उनमें एक साथ मधुबाला, नर्गिस और मीना कुुमारी की छबि देख ली। वर्र्षों बाद लोगों को एक ऐसी अभिनेत्री के दीदार हुए, जिसमें पुरानी अभिनेत्रियों सी शोख अदा थी और जो आंखों से बोलती थी। कम लोग जानते हैं कि परिणीता से पहले दो मलयालम और दो तेलुगू फिल्‍मों में भाग्य आजमा चुकी विद्या को हर बार मुंहकी खानी पड़ी। उनकी दोनों मलयालम फिल्में शुरू होने से पहले ही बंद हो गई। एक तमिल फि ल्म उन्हे सिर्र्फ दो दिन काम करने के बाद इसलिए छोड़ देनी पड़ी, क्योंकि वह एक सेक्स कॉमेडी थी। दूसरी तमिल फि ल्म से उन्हे यह कह कर निकाल दिया गया कि वे हीरोइन बनने के लायक नहीं हैं। इतना ही नहीं, उनके बारे में प्रचारित हो गया कि वे जिंक्स फैक्टर हैं।
जिंक फैैक्टर यानी किसी भी प्रोजेक्ट केेलिए अशुभ। पांव पड़त़े ही बनता काम बिगड़ जाए। विद्या उन दिनों को याद करती हैंं, तो जैसे उनकी रूह कांप उठती है। वह कहती हैं, 'तब मैं जिस भी प्रोजेक्ट से जु़डत़ी थी, वह बंद हो जाता था। मैं हताश हो चुकी थी। लेकिन मेरेे माता-पिता ने हमेशा ही सिखाया कि धैर्य से काम लेना चाहिए। जो होता है, अच्छेे के लिए ही होता है।` कम लोग जानते हैं कि विद्या की ऐक्ंटिग कैैरियर की शुरुआत हम पांच धारावाहिक से नहीं, ला वेलाज धारावाहिक से हुुई थी। रमन कुुमार के इस धारावाहिक में क ाम पाने के लिए उन्होंने एक चलताऊ स्टूूडियो से अपनी फोटो खिंचवाईर। आश्चर्यजनक ढंग से उनका चयन भी हो गया, लेकिन अफसोस कि कुुछ ऐपिसोड की शूटिंग के बाद धारावाहिक बंद कर देना पड़ा।

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