देहरादून. योग गुरू स्वामी रामदेव और उनका आश्रम दिव्य योग ट्र्रस्ट एक बार फिर विवादों में फँसता नजर आ रहा है.
इस बार विवाद उनकी दवाओं-दावों और जड़ी-बूटियों के कारण नहीं बल्कि उनके गुरू स्वामी शंकरदेव के रहस्यमय ढंग से लापता हो जाने और उनके ट्रस्ट के स्वामित्व पर विवाद से सवाल उठ रहे हैं.स्वामी रामदेव का आश्रम दिव्य योग ट्रस्ट हरिद्वार के कनखल इलाके में है और पिदले क्ख् सालों से उनके गुरू स्वामी शंकरदेव उनके साथ ही यहाँ रहते थे.रामदेव इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और शंकरदेव संरक्षक हैं. शंकरदेव रामदेव के दीक्षा गुरू हैं और रामदेव ने उनसे योग और आयुर्वेद की शिक्षा ली है .पुलिस में दर्ज कराई गई गुमशुदगी की रिपोर्ट के अनुसार शंकरदेव क्ब् जुलाई की शाम को आश्रम से सैर के लिए निकलने के बाद नहीं लौटे हैं. स्वामी रामदेव इस समय अपने सहयोगियों के साथ विदेश दौरे पर है. उनकी अनुपस्थिति में ट्रस्ट के कर्ता-धर्ता आचार्य बालकृ़ष्ण ने बताया कि शंकरदेव ज्यादातर कार से ही आना-जाना करते थे लेकिन उस दिन शाम को रि शे से गए लेकिन उस दिन शाम को रि शे से गए लेकिन फिर लौंटे नहीं. पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दी है और हम भी अपने स्तर से छानबीन कर रहे हैं लेकिन अब तक कुछ पता नहीं चला पाया है. अनसुलझे सवाल: उधर पुलिस की शुरूआती जाँच में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. पुलिस ने शंकरदेव की एक चिठ्ठी बरामद की है. हरिद्वार के पुलिस अधीक्षक अजय जोशी का कहना है कि इस चिठ्ठी में शकरेदव ने तीन लोगों का नाम लेकर लिखा है कि उन पर इनका कर्ज है और वो चुका नहीं पाए. ऐसे में सवाल उठाता है कि उन्हें आखिर कर्ज लेने की आवश्यकता यों पड़ी? इस चिठ्ठ ी में शंकरदेव ने कष्ट में रहने की बात लिखी है. इससे भी पता चलता है कि शंकरदेव की टीबी का इलाज हरिद्वार के एक एलोपैथिक लीनिक में चल रहा था. सवाल ये भी उठता है कि योग और आयुर्वेद से असाध्य रोगों को ठीक करने का दावा करने वाले रामदेव के गुरू या इससे ठीक नहीं हो पाए और उनका एलोपैथिक इलाज कैसे किया जा रहा था. इस बाबत पूछे जाने पर आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि चिठ्ठी और उसमें लिखी बातों पर संदेह है. फिलहाल पुलिस ने इसे फारेंसिक जाँच के लिए भेज दिया है.
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