Saturday, August 4, 2007

4 से 10 अगस्‍त तक की साप्‍ताहिक खबरें



इस्पात माफियाओं के शिकंजे में भिलाई संयंत्र

प्रदेश में नकली दवाओ का जाल - विक्रम जनबंधु

निकल गई हवा बीईसी कंपनी की

अधिक उम्र के मामले में दोषी खिलाड़ियों के खिलाफ एफ...

आईना-ए-शहर - क्‍या गठन करने से समाज संगठित हो जाता...

मोहन गुप्ता समाज रत्न से सम्मानित

प्रेमचंद का साहित्य किसान वर्ग की महागाथा

सप्ताह की कविता

निगम ने फर्जी जोडों का विवाह कराया इसलिए खर्च की ज...

भिलाई शहर की संक्षिप्त खबरें

गरीब श्रमिक महिलायें तपती है भट्ठियों में और बहाती...

संयंत्र के तीन महप्रबंधकों को सेवानिवृत्ति पर भावभ...

कराते में शकुन्तला विद्यालय को गोल्ड मेडल प्राप्त

जानलेवा काले धुएँ के खिलाफ ग्रामीणों में रोष

असामाजिक तत्वों के साथ सख्ती से निपटें

नक्‍सली शहीद सप्ताह प्रारंभ

महिला डॉक्‍टर के घर से 70 हजार की चोरी

बैगा बाहुल्य ग्रामों में चिकित्सा व्यवस्था की समीक...

नकली खाद वितरण मामले में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा ...

बंद सदन के बाद समस्या के दरवाजे खुलने चाहिये

छत्तीसगढ़ को शराब में न डुबायें

भाजपा को खट्टे अंगूरों का अहसास हो चुका

खम्मम गोलीकांड के विरोध में माकपा का प्रदर्शन

रिक्‍शों के कारण ट्रैफिक रेंगने मजबूर

रोका जा सकता था अयोध्या प्रकरण

झूम उठे कि आया सावन...

सेतु समुद्रम् का मामला -डा. एन.पी.कुट्ट न पिल्लै

फिर विवादों में बाबा रामदेव


फिल्‍मी समाचार

इस्पात माफियाओं के शिकंजे में भिलाई संयंत्र



संयंत्र के अंदर बैठे भ्रष्ठ अधिकारी लगा रहे हैं संयंत्र को करोड़ों का चूना

भिलाई इस्पात संयंत्र आज इस्पात उत्पादन में जितनी उंचाईयां छू रहा है वहीं संयंत्र पर इस्पात माफियाओ ने भी अपने कब्जों को और मजबूत करना प्रारंभ कर दिया है. वैसे तो भिलाई इस्पात संयंत्र में इस्पात माफियाओं ने कहीं न कहीं संयंत्र को करोड़ों का चूना लगाया है लेकिन संयंत्र प्रबंधन और सेल विभाग ने भिलाई इस्पात संयंत्र को हमेशा कमाउ संयंत्र मानते हुए उस पर भ्रष्टाचार की उठने वाली उंगलियों पर हमेशा गंभीरता से कदम उठाया है. स्टील उत्पादन हो या बाय प्रोड ट या फिर इस्पात का रिजे ट माल हो. इन इस्पातों में देश भर के ट्रेडर्स और इस्पात निर्माताओं ने संयंत्र को कहीं न कहीं अपना निशाना बनाया है. आज भी संयंत्र के अंदर बैठे भ्रष्ट अधिकारियों की मिली भगत से इस्पात माफिया अपने कामों में सफल रहते हैं. हाल ही में हुए म डम कांड के घोटाले से भले ही दुर्ग के सांसद ताराचंद साहू ने इस्पात माफिया लाखोटिया को रिश्वत देतेे गिरफ्तार करवा दिया हो लेकिन इस कांड में ताराचंद साहू और लाखोटिया के अलावा संयंत्र के अंदर बैठे अधिकारी और बाहर चला रहे संयंत्र के प्रबंधन पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है.

भिलाई इस्पात संयंत्र के इतिहास में भ्रष्टाचार के कई ऐसे मामले आए जिसमें सीधे जीएम और अब एमडी जैसे पदाधिकारी कटघरे में आ जाते हैं. लगभग फ्भ् साल पूर्व इसी संयंत्र में जब कलकत्ता की एक स्टील ट्रेडर्स कंपनी ने मकडम का ठेका लिया था उस वक्त तत्कालीन जीएम श्री शिवराज जैन और राजनांदगांव के पूर्व कांग्रेसी नेता स्व. इंदरचंद जैन का नाम इस मकडम कांड में इतना उछला था जो दिल्ली के पारलियामैन में भी उठाया गया था तभी से भिलाई इस्पात संयंत्र के भ्रष्टाचार की फैरिस्ट में सबसे ऊपर है. जब भी मकडम का नाम आता है तो भिलाई का मकडम कांड सामने आ जाता है जिसमें संयंत्र के कई अधिकारी निलंबित हुए हैं. भिलाई इस्पात संयंत्र से मकडम निकालने की प्रक्रिया हमेशा से विवादों में रही है. पहले मकडम में जाने वाली स्किल को उपयोग में न लाकर उसे कचरे के रुप में देखा जाता था और इसलिए उसे बाहर फेंका जाता था जबकि वास्तव में ब्लास्ट फर्निस से निकलने वाले स्लेग को कचरा माना जाता है लेकिन इसके ठेकेदार संयंत्र के अंदर अपनी इतनी पकड़ रखते हैं कि ब्लास्ट फर्निस से निकलने वाले स्लेग के लेडल में लोहा भी गिरा देते हैं जो स्लेग के साथ एक पिंड के रुप में निर्मित हो जाता है जिसे संयंत्र के बाहर पुरैना गांव के पास मकडम यार्ड में फेंका जाता है और इसी कचरे का ठेका बड़ी-बड़ी कंपनियां लेती है जिन्हें कटरे की आड़ में लोहे का भंडार मिल जाता है. भिलाई के पहले मकडम कांड के बाद मकडम ठेकेदारों में कई कंपनियां आई लेकिन सबसे अधिक ठेका भिलाई की एमआर एसोसिएट्स (निको ग्रुप) ने ही लिया. दो साल पहले मकडम के ठेके में एमआर एसोसिएट्स ने भाग ही नहीं लिया और कलकत्ता की कंपनी के मालिक श्री लाखोटिया ने भिलाई में टेंडर भर दिया. कई महीने तक मकडम के ठेकेदारों का विवाद चला बाद में मामला सेट हो गया और कलकत्ता की यह कंपनी मकडम यार्ड से कचरा निकालने लगी और कचरे के साथ-साथ लोहा कैसे निकलता है और कौन लोहा इसमें मिलाता है इस पर लाखोटिया ने संयंत्र के अंदर बैठे उन अधिकारियों कर्मचारियों को सेट किया जो स्लेग के साथ-साथ लोहा भी मकडम भिजवाते थे और लोहे की इस प्रतिस्पर्धा में लाखोटिया कटघरे में आ गया. सच्चाई तो यह है कि भिलाई इस्पात संयंत्र से स्लेग में लोहा निकालने वाले लाखोटिया अकेले नहीं है जब से संयंत्र बना और जब से मकडम यार्ड स्थापित हुआ तभी से जिसने भी मकडम का ठेका लिया उसने संयंत्र से लोहा निकाला. यही लड़ाई ठेकेदारों के बीच हमेशा चलती रही. क्ेेत्त् के आसपास निको कंपनी के मुकाबले कलकत्ता की एक कंपनी ने टेंडर भर दिया था जहां उसे भिलाई इस्पात संयंत्र से कचरा निकालने का ठेका मिल गया था और उसने भिलाई मकडम यार्ड से स्लेग निकालना शुरु किया था जिसका यार्ड सिम्पले स इंजीनियरिंग के बाजू में था बाद में इस कंपनी के साथ निको वालों का काफी झगड़ा हुआ. अंतत: यह कंपनी बीच में ही ठेका छोड़कर भाग गई और बाद में ठेका एमआर एसोसिएट्स को मिल गया. एक बार फिर भिलाई मकडम में कलकत्ता की कंपनी ने मकडम का ठेका ले लिया और एक साल के अंदर ही लाखोटिया ने भले ही संयंत्र में जमा किए करोड़ों रुपया के एवज में स्लेग निकाला हो या न निकाला हो लेकिन संसद के निवास में रिश्वत देते हुए जिस तरह से वह पकड़े गए उससे भिलाई के मकडम यार्ड में एक बार फिर लोहा गरमा गया है. भिलाई इस्पात संयंत्र इस कंपनी का ठेका निरस्त करती है या नहीं, यह कंपनी आगे काम करती है या नहीं अब इस पर भी सवाल उठने लगा है.
उधर संयंत्र प्रबंधन पर मकडम कांड की चिंगारी इस्पात भवन से लेकर ब्लास फर्निस और मकडम यार्ड के संबंधित अधिकारियों तक पहुंच गई है. देखना यह है कि भिलाई में चल रहा माफियाओं का यह खुला खेल संयंत्र अधिकारियों के हाथों कितने दिनों तक खेला जाएगा और कब तक संयंत्र इन माफियाओं के हाथों संयंत्र लुटता रहेगा और कब ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होगी यह सेल प्रबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है.

प्रदेश में नकली दवाओ का जाल - विक्रम जनबंधु



ड्रग इंस्पेक्‍टरों की संदिग्ध भूमिका


यह बड़े आश्चर्य का विषय है कि जहर के सौदागर प्रदेश भर के सवा दो करोड लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने पर तुले हुए हैं और प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग गहरी नींद में सोया हुआ है. नींद भी ऐसी कि कुंभकरण को भी मात दे दे. जिलों में दवा कारोबार ठीक ठाक चल रहा है कि नहीं, यह देखने की फुर्सत न स्वास्थ्य मंत्री के पास है न विभाग के आला अफसरों के पांस राज्य भर में ड्रग इंस्पेक्‍टरों की संख्या केवल सात है. एक-एक ड्रग इंस्‍पेक्‍टर चार-चार, पाँच-पाँच जिलों को अकेला ही संभाल रह है. एक जिले में उसका विजिट दो-तीन महीने बाद होता है. ऐसे में उन्हें यह देखने की फुर्सत कहाँ है कि इस कारोबार में कितनी सेंध है. यदि वह इस सेंध को पकड़ भी ले तो नोटों की थैलियां उनका मुँह बंद कर देती है. सूत्रों के अनुसार प्रत्येक दुकान से ड्रग इंस्‍पेक्‍टरको भ्०० रूपए का नजराना मिलता है. यदि प्रत्येक ड्रग इंस्‍पेक्‍टरकी संपत्ति की जाँच की जाए तो उनके पास अकू त संपत्ति मिल सकती है.

नकली दवाओ के सौदागर प्रदेश भर में जहर फै लाने में लगे हैं. कमोबेश हर जिले में नकली दवा का कारोबार फैल चुका है. प्रदेश की सवा दो करोड की आबादी नकली दवाओ की चपेट में आ चुकी है. नकली दवाओ के सौदागर प्रदेश के गाँव-गाँव में पहुंच चुके है. शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में तो इनकी सक्रियता आश्चर्यजनक मुकान तक पहुंच चुकी है.

नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य को एक पिछड़े प्रदेश के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है. इसमें राजनेताओ और नौकरशाहों का योगदान कुछ ज्यादा ही रहा है, जो राज्य गठन की शुरूआत से ही छत्तीसगढ़ को गरीब लोगों का पिछड़ा राज्य कहकर प्रचारित करने में लगे रहे. इसका लाभ अवैध कारोबार करने वाले सौदागरों ने भरपूर उठाया. उन्होंने प्रदेश को दोहन का चारागाह बना डाला और देश भर में फैले बड़े-बड़े अवैध कारोबार के सौदागरों ने छत्तीसगढ़ में अपने डेरे डाल लिए.आज छत्तीसगढ़ के गरीब और कथित रूप से पिछड़े लोगों के लिए छत्तीसगढ़ लूट का सबसे बड़ा केन्द्र बन चुका है.

राज्य भर में थोक में नकली दवाओ का कारोबार फैल चुका है. यह दवाईयां घटिया स्तर की होती है, जिन्हें ग्रामीण क्षेत्र के झोला छाप डा टरों को थमा दिया जाता है. इस तरह एक अच्छा खासा कमीशन मेडिकल स्टोर संचालक की झोली में चला जाता है और बदनामी झेलते हैं ग्रामीण डाक्‍टर.
इन दवाईयों और मेडिकल ट्रीटमेंट में अ सर चोट एवं घाव पर लगाने वाली दवाईयाँ, मेडिकेटेड पटि्ट याँ, दर्द निवारक गोलियाँ और ऐसी ही अन्य दवाईयां होती हैं. आम आदमी बिना जाँच पड़ताल के ऐसी दवाईयां दुकानदार से खरीद लेता है, इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ शासकीय डाक्‍टर, आरएमपी डाक्‍टर और दुकानदारों के बीच सांठगांठ के संकेत भी मिले हैं.

मिली जानकारी के मुताबिक घटिया स्तर की दवाई को एक डाक्‍टर दिन में कम से कम दस मरीजों को पर्ची लिखकर खरीदने के लिए देता है. इस तरह एक महीने में उस डाक्‍टर को अच्छा खासा कमीशन संबंधित कंपनियों से मिल जाता है. घटिया कंपनियों की दवाओ में वास्तविक दवा का अंश बहुत कम या नहीं के बराबर होता है. इनकी लागत भी बहुत कम रहती है, लेकिन जब वह मेडिकल स्टोर्स से यह दवाएं बिकती हैं तो वह बड़ी कंपनी की दवाआंे के मूल्य पर ही बिकती हैं.

इस कारोबार में लिप्त लोगों को इससे काफी मुनाफा तो होता है, लेकिन दवा खरीदने वाले ग्राहकांे को इससे काफी शारीरिक नुकसान होता है. वे ठगे जाते हैं सो अलग. ग्रामीण क्षेत्रों के आरएमपी या झोला छाप डाक्‍टर, जिनकी दुकानदारी अच्छी चल रही होती है उन्हें घटिया दवाई बेचने वाले अपना मोहरा बनाकर नकली दवाईयां सप्लाई कर देते हैं. अमूमन नियम यह है कि कम से कम माह में एक बार ड्रग इंस्‍पेक्‍टरको दवा विक्रेताओ का स्टाक जरूर चेक करना चाहिए, लेकिन राज्य के प्रत्येक जिले में ड्रग इंस्‍पेक्‍टरकी नियुक्ति नहीं है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बस्तर संभाग में एक भी ड्रग इंस्‍पेक्‍टरनहीं है. इसलिए ऐसे जिलों में बिना लाईसंेस के भी कई दवा दुकानें खुल जाती हैं. अब इन दवा दुकानों मेें किस प्रकार की दवाई बिक रही है, यह कौन जाने. आमतौर पर पढ़ा लिखा आदमी भी दवाओ की वालिटी के बारे में अनजान होता है तो अनपढ़ ग्रामीणों की बिसात ही या है. दुर्ग जिले के थान खम्हरिया में पिछले दिनों क्भ् ऐसे युवकऱ्युवतियों को पुलिस ने गिरफतार किया था, जो अवैध रूप से है टाईटिस बी का टीका लगाकर ग्रामीणों से अवैध वसूली कर रहे थे. इन लोगों को ठीक से इंजे शन लगाना भी नहीं आता था. ऐसी भी जानकारी मिली है कि ज्यादातर उन दवाओ की नकल की जा रही है, जिनमें रोग निवारण के लिए नशीले पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है. इन नकली दवाओ में ज्यादातर वे कफ सिरप हैं, जिनमें कोकीन की मात्रा अधिक होने से उसके सेवन करने पर नशा होता है. चिकित्सा की दृष्टि से इन केमिकल्स की अच्छी डिमांड है, लेकिन दिन-ब-दिन इन दवाओ का नशे के रूप में प्रचलन बढ़ने से इनकी डिमांड पूरी करने नकली दवाईयां बनाई जा रही हैं. कप सिरप के अलावा कुछ दर्द निवारक गोलियोंं का इस्तेमाल भी नशे के लिए किया जा रहा है. अभी कुछ दिन पहले ही बस्तर से सटे सीमावर्ती राज्य उड़ीसा के बलांगीर जिले में करोडों रूपयों की नकली दवाओ को जब्त किया गया था. जिले के पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट कहा था कि दोषी पाए गए रसूखदार लोगों का सिंडीकेट छत्तीसगढ़ तक फैला हुआ है. प्रदेश में कई जिलों के जागरूक नागरिक भी अब नकली दवाओ के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने लगे हैं नकली दवाओ से इलाज करने वालों के लिए सजा-ए-मौत की माँग करते हुए लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट ्रीय अध्यक्ष रघु ठाकुर ने कहा है कि रायगढ़ में क्ख्त्त् बच्चों की मौत और कवर्धा में दर्जनों बैगाओ की मृत्यु ने यह साबित कर दिया है कि प्रदेश में नकली दवा का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है.

निकल गई हवा बीईसी कंपनी की

एक नजऱ

भिलाई. भिलाई इंजीनियरिंग कंपनी (बीईसी) कंपनी ने पिछले दिनों छत्तीसगढ़ सरकार से हाथ मिलाकर क्ख्े करोड़ का पावर प्रोजे ट लगाने के लिए बड़ी जोर शोर से एमओयू किया था साथ ही और कई कंपनियों ने भी पावर प्रोजे ट के लिए एमओयू किए थे जिससे ऐसा लग रहा था अब छत्तीसगढ़ में पावर प्रोजे ट की लाईन लग जाएगी. लेकिन एमओयू यों किए गए थे और यू इन्होंने हाथ खड़े कर दिए यह भी अब सवाल उठने लगा है. भिलाई की कंपनी भिलाई इंजीनियरिंग कार्पोरेशन हालांकि बहुत पुरानी कंपनी है इसके कई सहायक यूनिट जैसे बीईसी डिटर्जन, बीईसी फूड्स, विश्वविशाल गैस और कई छोटी-मोटी कंपनियां बंद हो गई. हालांकि बाद में बीईसी फूड्स को दूसरे संस्थाआें ने प्रारंभ कर दिया. यहीं से सवाल उठा था कि जब बीईसी कंपनी की कई कंपनियां लगातार बंद हो गई है ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ सरकार के साथ क्ख्े करोड़ का एमओयू करना लोगों को बड़ा आश्चर्य लग गया था तभी बीईसी के इस एमओयू पर लोगों में चर्चाएं तेज हो गई थी. अधिकतर लोगों का यह मानना था कि लगातार हो रहे पावर प्रोजे ट के एमओयू बहुत जल्द हाथ खड़े कर लेंगे और हुआ भी यही अब यह लोग आयरन ओर की कमी शासन की नीतियों का मु ा बनाकर अपने हांथ न केवल खड़े कर रहे हैं बल्कि पावर प्रोजे ट मैदान से अपने आप को अलग कर लिया है. छत्तीसगढ़ शासन से पिछले दिनों क्० बड़े उद्योगों ने अपना एमओयू करके शासन को यह बताया था कि हम राज्य में औद्योगिक क्रांति को और बढ़ावा देंगे आज छत्तीसगढ़ में स्पंज आयरन, पावर प्रोजे ट और मिनी स्टील प्लांटों के अलावा और भी कई बड़े प्रोजे ट छत्तीसगढ़ में आ रहे हैं लेकिन पावर प्रोजे ट के क्षेत्र में बीईसी कंपनी के साथ कई एमओयू करने वाले उद्योगों ने जिस तरह से अपना हांथ उठाया है उससे कई सवाल खड़े हो गए हैं या यह एमओयू कंपनी का प्रचार करने के लिए किए गए थे या फिर किसी और मकशद से एमओयू साइन किए गए थे. अगर वास्तव में इन्हें पावर प्रोजे ट लगाना था तो अब अचानक ऐसी या वजह पैदा हो गई जिसमें इन कंपनियों ने आयरन ओर की दुहाई देकर अपने हांथ खड़े कर लिए.

अधिक उम्र के मामले में दोषी खिलाड़ियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी

खास खबर
सवेरा की खबर रंग लाई

रायपुर. राष्‍ट्रीय एवं प्रदेश स्तरीय स्पर्धाओं लेने के लिए आयु छिपाने वाले खिलाड़ियों कोच व स्कूल प्राचार्य के खिलाफ शिक्षा विभाग ने कड़ी कार्यवाही शुरू कर दी है. इस मामले में आरोपियों के विरूद्घ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश अफसरों को दिए गए हैं.
विभाग ने संचालनक मनोहर पाण्डेय ने बताया कि इस मामले में दुर्ग के जिला शिक्षा


अधिकारी आशुतोष चावरे को विश्व भारतीय स्कूल की मान्यता रद्द करने के साथ ही इस स्कूल के प्राचार्य जेके तिवारी के साथ ही खिलाड़ियों के कोच राजेश पटेल और सभी दोषी खिलाड़ियों के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए कहा गया है. श्री पांडे ने उन खिलाड़ियों के बारे में बताया कि इनको दुर्ग के सहायक संचालक रमेश श्रीवास्तव द्वारा जांच में दोषी पाया गया है इनमें बालक वर्ग में एसटी मुरली कृष्णन: प्रथम सिंह, जोधा सिंग, टीआरएस राव, दुष्यंत कुमार, संतोष कुमार,श्याम संुदर, के. राजेश कुमार, पवन तिवारी, आकांक्षा सिंह, एम पुष्पा, एल दीपा, कवलजीत कौर, राखी राजपूत, निकिता गोदामकर, रश्मि बुंदेला, मंजीत कौर, रोहणी कोर्डे, अनिशा सिंह, गोमती बंछोर शामिल है.
इन खिलाड़ियों में जहां प्रथम सिंह का नाम पूर्व में बगीचा सिंह था, वही आकंाक्षा सिंह का नाम किरण सिंह था. इन्होंने नाम भी बदल दिए जिनकी जानकारी रिपोर्ट में मिली है.

आईना-ए-शहर - क्‍या गठन करने से समाज संगठित हो जाता है?

- अब्दुल मजीद

शहर का हर दूसरा तीसरा आदमी आज सामाजिक बनने पर तुला हुआ है. आज हर व्यक्ति को समाज का महत्व पता चल गया है. कहते हैं पढ़ लिखकर व्यक्ति जागरूक हो जाता है. इसके साथ ही साथ एक युक्ति और प्रचलित है. पढ़ने के साथ-साथ आदमी को कढ़ना भी चाहिए. यदि आदमी पढ़ा और कढ़ा मतलब जीवन का कटु अनुभव रखने वाला हो तो सोने पर सुहागा. पुराने जमाने में जंगली कबिले तक संगठित होकर रहते थे. उन्हांेने संगठन का मतलब आदिकाल में ही जान लिया था. लेकिन जैसे-जैसे समाज में शिक्षा का महत्व बढ़ने लगा और लोग शिक्षित होकर जागरूक होने लगे वे आत्मकेन्द्रित हो गए आज जीवन में इतनी भागमभाग और आपाधापी मची है कि लोगों को समाज से मिलने की फुर्सत की बात तो छोड़िए अपने घर-परिवार से मिलने का समय नहीं मिलता. सुबह घर से निकलों तो आधी रात तक ही घर वापस लौटना संभव हो पाता है. केवल पत्नी ही पति का चेहरा देख पाती है. बच्चे और दूसरे लोग नहीं.जहाँ पति-पत्नि दोनों रोजगार से जुडे होते हैं, वहाँ सुबह शाम ही मिलना हो पाता है. विदेशों में तो हालत यह है कि पत्नी जब सुबह काम पर जाती है तो पति सोए रहते हैं, और जब पति नाईट शिफट पर जाते हैं तो पत्नी सो जाती है. हफते-हफते तक पति-पत्नि एक दूसरे का चेहरा नहीं देख पाते. केवल रविवार को छुट्ट ी वाले दिन ही मिलना हो पाता है. और यदि बच्चे हुए तो उसे आया संभाल लेती है. पैसा कमाने की धुन में मशीन बनता आदमी कई बार तो अपने समाज और बिरादरी से इस कदर कट जाते हैं कि वे नितांत अलग-थलग पड़ जाते हैं. शहर में अनेकों ऐसे लोग हैं जो समाज से तो कटे ही हुए हैं अपनी जाति बिरादरी से भी कट गए हैं. जाति छुपाने के चक्कर में वे अपनी जाति बिरादरी और समाज से इस कदर कट जाते हैं कि उन्हें होश तब आता है, जब बच्चे जवान होकर शादी ब्याह करने लायक हो जाते हैं. बच्चों के रिश्ते जोडने में जब मुसीबतें सामने आने लगती हैं तो समाज, बिरादरी और जाति का ख्याल आ जाता है. तब लगता है कि अपना भी समाज होता तो कि तनी अच्छी बात होती.
समाज का महत्व कितनी अहमियत रखता है, इसे आज का शिक्षित समाज बड़ी गंभीरता से समझता है. समाज के बारे में एक समाज सेवी का यह कहना है कि शासन प्रशासन पर दबाव डालने के लिए समाज को संगठित करना जरूरी है. एक अन्य सज्जन का तो यहां तक कहना था कि, पुलिस प्रशासन पर दबाव डालने के लिए समाज का प्रभाव जरूरी है. यह तो जाहिर सी बात है कि हर चीज का दुरूपयोग होता ही है. समाज के गठन में भी दुरूपयोग की भावना सिरे से काम करती है. जिस बड़ी संख्या मंे समाज का गठन आज हो रहा है, या ही अच्छा होता वह कमजोर लोगों को मदद देन, गरीब बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और बीमारों की सहायता व उनकी बेहतरी के लिए समाज कुछ अच्छा कर दिखाता.
मतदाताओं की फोटोग्राफी
शहर में नहीं
मतदाताओं की फोटोग्राफी शहर में कर उनका परिचय पत्र बनाने का काम अभी भिलाई में शुरू नहीं किया गया है. नए परिचय पत्र लेकर वोट डालने को उत्सुक शहर का युवा वर्ग यह समझ नहीं पा रहा है कि उन्हंे कहाँ जाकर या करना चाहिए. निर्वाचन आयोग के जिला अधिकारी अथवा प्रशासनिक स्तर पर समाचार पत्रों में भी ऐसी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है, जिससे मतदाताओं को भटकना न पड़े. नए नाम जु़डवाने के साथ ही साथ नाम परिवर्तन कराने वालों को भी मार्गदर्शन की आवश्यकता है. जिले में कुल कितने मतदाता हैं, इसकी सूची भी जल्दी ही प्रशासन को जारी करनी चाहिए. ज्ञात हो कि ड़ेढ साल बाद राज्य में विधानसभा के चुनाव होना तय है, ऐसे में परिचय पत्र मोैके पर ही बनाने के लिए फोटोग्राफी का काम जल्दी शुरू किए जाने की जरूरत आम जनता महसूस कर रही है. फोटोग्राफी कब और कहाँ-कहाँ होनी है, इसका भी भरपूर प्रचार प्रसार होना चाहिए.
राशन कार्ड बनाने वाले भी भटक रहे
निगम क्षेत्र में राशन कार्ड बनाने वाले लोग भटक रहे हैं. निगम ने अपनी तरफ से क्षेत्रानुसार राशन कार्ड बनाने की व्यवस्था कर दी है, लेकिन जब लोग निगम के क्षेत्रीय कार्यालय में पहुँचते हैं तो अधिकारी उन्हें यह कहकर वापस कर देते हैं कि पहले आप बी डब्लू सीसीएस से अनापत्ति प्रमाण पत्र लाईए.अब लोगों को यह समझ नहीं आ रहा है कि उन्हें बीडब्लू सीसीएस यों जाना चाहिए. कुल मिलाकर लोग भटक रहे हैं और उनका राशन कार्ड नहीं बन रहा है. इससे उन्हें अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है.निगम के बड़ेअधिकारी तो अपनी मनमानी जमकर कर ही रहे हैं, लेकिन कर्मचारी ले देकर मामला सलटाने में लगे हैं. आखिर साडा वाली आदद कब छुटेगी निगम कर्मचारियों की?

मोहन गुप्ता समाज रत्न से सम्मानित


राष्‍ट्रीय स्तर पर बधाईयों का तांता

भिलाई. छत्तीसगढ़ के भिलाई तथा अखिल भारतीय वैश्यहलवाई गुप्ता मोदनवाल समाज के राष्‍ट्रीयउपाध्यक्ष श्री मोहन लाल गुप्ता को लखनऊ उत्तर प्रदेश में 30 जुलाई को समाज रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान अखिल भारतीय वैश्य हलवाई महासभा एवं उत्तर प्रदेश कान्य कुब्ज वैश्य हलवाई गुप्ता मोदनवाल समाज की लखनऊ इकाई द्वारा आयोजित महासभा एवं कार्यकारिणी द्वारा प्रदान किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सचिदानंद गुप्ता पूर्व को-ऑपरेटिव मिनिस्टर उत्तर प्रदेश एवं अध्यक्षता समाज के राष्‍ट्रीयअध्यक्ष पदमाकर प्रसाद गुप्ता पूर्व अधिकारी आयुक्त उत्तर प्रदेश विशेष, सचिव ओम प्रकाश गुप्ता हिन्दुस्तान कारपेट प्रोप्राइटर ,श्री बेचू लाल गुप्ता नेशनल कारपेट भदोही एवं डॉक्‍टर अनिल गुप्ता लखनऊ की आसंदी से प्रदान किया गया. लासिक गेस्ट हाऊस के सभागार में उस समय प्रदेश एवं देश के सभी प्रांतों के प्रतिनिधि उपस्थित थे जिन्होंने मोहन लाल गुप्ता को बधाई दी. लखनऊ से वापसी के समय म.प्र. जबलपुर में दिनांक क् अगस्त को गुप्ता समाज द्वारा भी मोहन लाल गुप्ता को समाज रत्न सम्मान प्राप्त होने पर हार्दिक स्वागत समारोह आयोजित किया गया. इसमें प्रमुख उच्च न्यायालय जबलपुर के ए.जे.पी. श्री ओ.पी. गुप्ता, श्री लक्ष्मी नारायण गुप्ता पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी, एडव्होकेट बिन्देश्वरी प्रसाद गुप्ता, समाज के संरक्षक अध्यक्ष बंशी लाल गुप्ता, सामाजिक पत्रिका के संपादक श्री मुकेश गुप्ता के साथ सैकड़ों समाज के बुजुर्ग एवं युवा पीढ़ी के साथियों ने मोहन लाल गुप्ता का स्वागत कर आर्शीवाद प्रदान किया है. इस अवसर पर दुर्ग जिला इकाई के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद गुप्ता महामंत्री पारस गुप्ता सचिव विनोद गुप्ता, आलोक गुप्ता, आशीष गुप्ता, अशोक गुप्ता, शेखर गुप्ता, बेमेतरा के मुरारी गुप्ता ने राष्‍ट्रीयउपाध्यक्ष मोहन लाल गुप्ता को समाज रत्न सम्मान प्रदान होने पर राष्‍ट्रीयईकाई एवं लखनऊ तथा जबलपुर के पदाधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए बधाई दी है.

प्रेमचंद का साहित्य किसान वर्ग की महागाथा

प्रेमचंद जयंती प्रगतिशील लेखक संघ और जन संस्कृति का संयुक्त आयेाजन

भिलाई नगर. उपन्यास सम्राट कथाशिल्पी मुंशी प्रेमचंद की क्ख्स्त्र वीं जयंती पर प्रगतिशील लेखक संघ और जनसंस्कृति मंच के संयुक्त तत्वावधान में लिटररी लब भिलाई नगर में आज का भारतीय किसान और प्रेमचंद विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया.
विचार गोष्ठी में प्रमुख वक्ता समीक्षक प्रो. सियाराम शर्मा एवं विशिष्ट अतिथि बांग्ला कवि मधु भट्टाचार्य, मलयालम कथाकर के सुधाकरण व पंजाबी कवि करम जीत सिंह थे.
प्रेमचंद और आज के भारतीय किसान पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. सियाराम शर्मा ने कहा, प्रेमचंद का साहित्य किसान वर्ग की महागाथा है. आजादी के उतने वर्षों बाद भी किसानों की स्थिति बेहतर नहीं हुई है. देश में गत पाँच वर्षों में पचास हजार किसानों ने आत्महत्या की. किसान की फसल पर किसान का अधिकार नहीं है.उसकी जमीन छीनी जा रही है. एवज में नौकरी की गारंटी भी नहीं है. वह दैनिक मजदूरी के लिये मजबूर हो रहा है. प्रेमचंद के समय भी किसानों की यही दशा थी.इसीलिये प्रेमचंद आज भी प्रासंगिक हैं. प्रेमचंद का साहित्य किसानों मजदूरों को अपने शोषण को पहचानने की समझ देता है.
कथाकार लोक बाबू ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा, भारत में लोकप्रिय लेखक के रूप में तुलसी दास के बाद प्रेमचंद दूसरे पड़ते हैं, वे सामंतवाद, साम्राज्यवाद और पूँजीवाद के विरोधी थे और व्यवस्थाआें के चलते किसानों मजदूरों पर हो रहे शोषण के विरूद्घ उनका साहित्य हमें सचेत करता है. वरिष्ठ कवि रवि श्रीवास्तव ने कहा प्रेमचंद ने भारतीय किसान के दुख और संघर्ष को अपने साहित्य में रचा है. रविभूषण शर्मा ने कहा आज किसान फसलों के रूप में सपनों को बोता है, और उसे उजड़ता हुआ देखता है. समीक्षक अशोक सिंघई ने कहा-आज यूरोप-अमेरिका के किसानों को जितनी सब्सिडी मिलती है, भारतीय किसानों को नहीं दी जाती. इससे यहाँ अनाज महंगा जो जाता है. कृषि क्षेत्र असंगठित हैं. इस पर विचार की जरूरत है. बांग्ला कवि भट्टाचार्या ने कहा-प्रेमचंद ने किसानों की सौ साल पहले जो स्थिति देखी थी आज भी वैसी ही है. से टरों में बैठकर किसानों के बारे में सोचना भी बेमानी लगता है. मलयालय कथाकार के सुधाकरण ने कहा कृषि जमीन पर सासंदों, विधायकों व्यापारियों का बड़ा कब्जा है. तीन-तीन सौ एकड़ के भी वे मालिक हैं. असली किसान उनकी मजदूरी करता है. युवा पीढ़ी से भी आशा नहीं बंधती, वह पाश्चात्य प्रभाव में बिगड़ती जा रही है. पंजाबी कवि करम जीत सिंह ने कहा-किसानों को अपने सुखद स्थिति के कारणों का पता नहीं है. वे आत्म हत्या करते हैं तो वैसी हलचल नहीं होती. वे किसी की हत्या कर दें तो शायद कुछ हो. प्रो. नलिनी श्रीवास्तव ने कहा आज भारतीय किसान की हालत बहुत ही दर्दनाक है. लगता है प्रेमचंद का साहित्य आज का ही लिखा हुआ है. कथाकार कैलाश बनवासी ने कहा आज साहित्य मध्य वर्ग के मोह में फंसा है. बौदि्घक वर्ग किसान मजदूर हितों के विरूद्घ हो गया है. किसान मजदूर चर्चा में तभी आते हैं जब उन्हें गोली मार दी जाती है. विचार गोष्ठी का संचालन करते हुए कवि परमेंश्वर वैष्णव ने कहा साहित्य की सारी विधाओं पर प्रेमचंद का लेखन अपने समय-समाज पर गहरा नैतिक हस्तक्षेप है. प्रेमचंद का साहित्य किसानों की बदहाली का प्रमाणिक दस्तावेज है. घनश्याम त्रिपाठी, सुभद्रा शर्मा, त्रयंबक राव साटकर, अंजन कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
इस वैचारिक गोष्ठी में बसंत देशमुख, डा. के.एस. प्रकाश, राजेश श्रीवास्तव, मणिमय मुखर्जी, नरेंद्र राठौर, एस.के. जैन, बृजेंद्र तिवारी, छगन लाल सोनी, डा. दानी प्रसाद शर्मा, मणिक राव गंवई, रूद्रमूर्ति श्री निवास, के.के. श्रीवास्तव, राम बरन कोरी, के शिश, जय प्रकाश नायर, सुखदेव सिंह, शिव मंगल सिंह, श्याम लाल साहू, डा. शीला शर्मा, बी. के. राव दीवाना, एस.डी.कंग, विश्व जीत हाराडे आदि की भी महत्वपूर्ण भागीदारी थी. गोष्ठी का संचालन प्रगतिशील लेखक संघ भिलाई-दुर्ग के सचिव परमेश्वर वैष्णव ने, एवं धन्यवाद ज्ञापन जन संस्कृति मंच के सहसचिव अंजन कुमार ने किया.

सप्ताह की कविता

बच्चों की तरह
हम मिले
जैसे मिलते हैं
देा बच्चे
बातें की
दोस्ती की
रूठते-मानते
खुश रहे
हमने कुछ
नहीं देखा
सुना जाना
एक-दूसरे के सिवा
शिशिर की
चांदनी ात
जैसा था हमारा मन
पर धीरे-धीरे
तुम्हारा मन
कुहरे से घिरे गया
तुम सब कुछ
माप-तौल कर करने लगे
अब हम नहीं मिलते
जैसे मिलते हैं बच्चे.
तुम्हारी रोशनी
जंगल की
झोपड़ी मंे
टिमकते
नन्हें चिराग हो तुम
जब भी भटकती हूं
तुम्हारी रोशनी
राह दिखाती है - रंजना जायसवाल

निगम ने फर्जी जोडों का विवाह कराया इसलिए खर्च की जाँच हो- कुरैशी


सभी दैनिक समाचार पत्रों ने फर्जी जोडों की वास्तविकता की जानकारी अपने समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित की. निर्धन कन्याओं के नाम पर फर्जी जोडों की शादी कराई गयी है. समाचार पत्रों में प्रकाशित होने के बाद नगर पालिक निगम के आयुक्त द्वारा महिला बाल विकास परियोजना मंडल के अधिकारी के माध्यम से जांच करने की घोषणा जरूर कि गयी, लेकिन यह कतई संभव नहीं है कि महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी नगर पालिक निगम भिलाई के पार्षदों एवं अधिकारियों द्वारा किए गए विवाह समारोह में अनियमितताओं की वास्तविक जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत कर सके. इस समारोह में महापौर से लेकर सभापति, कई पार्षदों, भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों ने जिस जोडे का नाम पंजीयन करवाए हैं उसमें अधिकांश फर्जी जोडे हैं.

भिलाई. छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्य मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष बदरूद्दीन कुरैशी ने मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, नगरीय विकास प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री लता उसेंठी को पत्र लिखकर मांग की है कि कथित तौर पर 19 जून 2007 को फर्जी तरीके से किए गए 176 कन्याओं के विवाह का खर्चा साढ़े आठ लाख रूपए को सामान्य सभा की बैठक में जो स्वीकृति दी गई है,उसे किसी आई एएस अधिकारी से जाँच के बाद ही स्वीकृति प्रदान करें.


उन्होंने कहा है कि 19 जून 2007 को महिला बाल विकास नगर पालिक निगम भिलाई के तत्वावधान में 176 फर्जी जोडे निर्धन कन्याओं के नाम पर विवाह समारोह का आयोजन किया गया था. केवल राज्य सरकार एवं भिलाई -दुर्ग की जनता को राजनैतिक तुष्टि करण के नाम यह किया गया. सभी दैनिक समाचार पत्रों ने फर्जी जोडों की वास्तविकता की जानकारी अपने समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित की. निर्धन कन्याओं के नाम पर फर्जी जोडों की शादी कराई गयी है. समाचार पत्रों में प्रकाशित होने के बाद नगर पालिक निगम के आयुक्त द्वारा महिला बाल विकास परियोजना मंडल के अधिकारी के माध्यम से जांच करने की घोषणा जरूर कि गयी, लेकिन यह कतई संभव नहीं है कि महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी नगर पालिक निगम भिलाई के पार्षदों एवं अधिकारियों द्वारा किए गए विवाह समारोह में अनियमितताओं की वास्तविक जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत कर सके. इस समारोह में महापौर से लेकर सभापति, कई पार्षदों, भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों ने जिस जोडे का नाम पंजीयन करवाए हैं उसमें अधिकांश फर्जी जोडे हैं. इन लोगों के खिलाफ जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत करना महिला परियोजना अधिकारी द्वारा कतई संभव नहीं है जबकि नगर पालिक निगम भिलाई ने निर्धन कन्याओं के विवाह समारोह में हुए 8.50 लाख रूपये खर्चे का प्रस्ताव बनाकर क् अगस्त को सामान्य सभा में पास कराने के उदेश्य से एजेंडा में रख दिया है. चूंकि भारतीय जनता पार्टी का नगर निगम में बहुमत है अत: यह सर्वसम्मति से अवश्य पास हो जाएगा. इसके बाद जाँच रिपोर्ट का कोई महत्व नहीं रहेगा. अत: इससे संदेह होता है. यह निर्धन कन्या के नाम पर आम जनता से लाखों रूपये चंदा एवं शासन के लाखों रूपये की धोखाधड़ी की गई है. इसकी तत्काल जांच किसी आई.ए.एस. अधिकारी से कराई जाए ताकि इस प्रकार की घटना अन्य जिलांे में न हो सके और निर्धन कन्या की शादी के नाम पर शोषण करने वाले तत्वों का पर्दाफाश हो सके. अगस्त को सामान्य सभा में पास कराने के उदेश्य से एजेंडा में रख दिया है आग्रह किया गया कि इसकी तत्काल जाँच किसी आई ए.एस. अधिकारी से कराई जाए ताकि इस प्रकार की घटना अन्य जिलों में न हो सके और निर्धन कन्या की शादी के नाम पर शोषण करने वाले तत्वों का पर्दाफाश हो सके. सामान्य सभा में स्वीकृति होने के बावजूद त्त्.भ्०लाख खर्च की राशि को बिना जाँच के स्वीकृति न दिया जाए.

भिलाई शहर की संक्षिप्त खबरें


स्मृति गृहनिर्माण सहकारी संस्था के कम समय में बेहतर काम

भिलाई. स्मृति गृह निर्माण सहकारी संस्था स्मृति नगर ने इस बात का दावा किया है कि नई कार्यकारिणी ने सीमित साधनों में ज्यादा बेहतर कार्य कर दिखाए हैं. 165 एकड़ भूमि में फैली पिछले 27 वर्षों से स्थापित स्मृति नगर कालोनी न केवल भिलाई-दुर्ग की वरन प्रदेश की सर्वसुविधायुक्त कालोनियों में से एक है. संस्था ने यहां सड़क,बिजली, पानी, सिवरेज जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं.

वर्तमान संचालक मंडल ने अपना कार्यभार 22 जनवरी 2007 को ग्रहण किया था. तब से लेकर आज तक संस्था ने अनेक उपलब्धियां हासिल की है. संस्था ने सामाजिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा गतिविधियों के लिए 200000 रूपए का प्रावधान इस वित्तीय वर्ष में कर रखा है.

वृहद पेयजल योजना के अन्तर्गत संस्था ने पानी टंकी निर्माण के लिए निगम को नि:शुल्क भूमि उपलब्ध कराई है. विद्युत सब कने शन के लिए भी संस्था ने छग. विद्युत मंडल को नि:शुल्क भूमि उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है. नगर के सौंदर्यकरण हेतु कै नरा बैंक से लगा हुआ पार्क विकसित करने का निर्णय भी लिया गया है. संस्था ने भविष्य की कुछ अन्य योजनाआें को भी पूरा करने का संकल्प लिया है. उसके लिए संस्था ने विधानसभा अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पाण्डेय और भिलाई नगर निगम के महापौर विद्यारतन भसीन का आभार भी माना है, जिन्होंने संस्था की भरपूर मदद की.

शासकीय महाविद्यालय वैशालीनगर में पुस्तक मेला का आयोजन

भिलाई. विज्ञान परिषद ख्००स्त्र-०त्त् के तत्वाधान में महाविद्यालय में एक भव्य पुस्तक मेला का आयोजन किया गया. पुस्तक मेला का उद्घाटन महाविद्यालय के प्राचार्य डा.कैलाश शर्मा द्वारा किया गया है. इस मेले का उ ेश्य सत्र प्रारंभ से ही विषयवार पुस्तकों की जानकारी छात्र-छात्राओं को देना है ताकि वे अच्छी पुस्तकों का अध्ययन कर सकें. इस प्रदर्शनी में पाठ्यक्रम से संबंधित पुस्तके, रिफरेन्स बुक तथा ज्ञानवर्धक पुस्तकों का अच्छा संग्रह था

9 लाख महामंत्र के जाप का शुभारंभ 31 से

भिलाई. तीर्थराज देवी निकुंभला धाम व जयशक्ति आश्रम ग्राम निकुंम में 31 से 28 अगस्त तक आयोजित साम्ब सदाशिव अर्चना के लिए नौ लाख महामंत्र ओम नमों भगवते का जाप 31 जुलाई को सुबह 6 बजे से प्रारंभ होगा. यह धार्मिक आयोजन मानव कल्याण कार्य सिध्द तथा माँ निकुंभला के प्रसन्नार्थ किया जा रहा है. संत श्री माता ने कहा है कि साम्ब सदाशिव अर्चना भगवान शिव के यथाशीघ्र फलदायी स्वरूप अपने आप में आनोखी,अदुभूत व दारिद्रय दूर कर सुर्व सुख सम्पदा प्रदान करने में सामर्थवान है. इस अर्चना में शामिल होने से ग्रह नक्षत्र तारे अनुकूल हो जाते हैं तथा दैविक प्रकोप भी शांत हो जाता है. संतश्री माताजी ने आगे कहा है कि इस अर्चना का धनिष्ठा नक्षत्र से विशेष संबंध है योंकि इसका शुभारंभ व समापन इसी नक्षत्र में हो रहा है. घनिष्ठा का अभिप्राय कुबेरा से है और कुबेर भगवान शिव के परम मित्रों में से एक है.
इनकी जोडी कृष्ण व सुदामा के जैसी है. संत श्री माता जी ने जनमानस को प्रतिदिन ओम नमों भगवते की दस माला का जाप करने की सलाह दी है और कहा है कि इससे जीवन में आने वाले बदलाव को वे स्वयं महसूस करेंगे. संतश्री माता जी ने आगे बताया कि साम्ब सदाशिव की कृपा से कुंवार नवरात्रि में मारूति महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा तथा क्ब् सौ ज्योति कलश प्रज्जवलित किए जायेंगे. माताजी ने आगे बताया कि भादो शु ल पक्ष की राधाष्ट मी के दिन तीर्थराज देवी निकंुभला धाम मंे राजलक्ष्मी के विशाल मंदिर निर्माण की आधार शीला रखी जाएगी.यह जन सहयोग से किया जा रहा है. इसका निर्माण पूरा होने से माँ निकुंभला के लिए किए गए संकल्प का कार्य भी शीघ्र होने जा रहा है.

गरीब श्रमिक महिलायें तपती है भट्ठियों में और बहाती है पसीना

भिलाई महिला समाज के स्थापना दिवस पर विशेष

गरीब श्रमिक महिलायें तपती है भट्ठियों में और बहाती है पसीना

भिलाई महिला समाज ने दिशा व दशा बदलने में निभाई है अहम भूमिका

इस्पात नगरी भिलाई की अनेक श्रमिक महिलायें अपने परिश्रम के बल पर अपना तथा अपने परिवार की जीविका बखूबी चलाने में सक्षम हो गई हैं. इन परिवारों के बच्चे अनेक शैक्षणिक एवं तकनीकि संस्थानों में ज्ञानार्जन कर अपना भविष्य संवार रहे हैं. भिलाई महिला समाज ने ऐसे परिवारों की गरीब महिलाओं को समाज द्वारा संचालित उद्योगों में जीविका का साधन आबंटित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महति प्रयास किया है. यानि संयंत्र के बाहर भी ये आत्मनिर्भर श्रमिक महिलायें, अपना परिवार चलाने की जुगत में गर्म भट्ठि यों में तपती हैं और अपना खून-पसीना बहाने में संयंत्र के पुरूष कर्मियों से कतई भी पीछे नहीं हैं. भिलाई महिला समाज की अध्यक्ष श्रीमती रेणुका रामराजू तथा उनके सहयोगियों की समय-समय पर हौसला अफजाई, इन महिला कर्मियों के उत्साहवर्धन में निश्चय ही उत्पेररक साबित होता है. गौरतलब है कि परिधीय क्षेत्र की गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उ श्यों को लेकर ही भिलाई इस्पात संयंत्र के तत्कालीन जनरल मैनेजर श्री एन सी श्रीवास्तव ने भिलाई महिला समाज द्वारा स्थापना का नेक कार्य किया था. इसी कड़ी में वर्ष 2006 में भिलाई महिला समाज द्वारा स्थापित एवं संचालित भिलाई सेक्‍टर स्थित गृह उद्योग, परिधीय क्षेत्र की आर्थिक रूप से विपन्न महिलाओं के लिये एक प्रेरणास्त्रोत बनकर उभरा है. जहाँ वर्तमान मेंश्रमिक महिलायें साबुन, स्टेशनरी तथा रसोई में उपयोगी खाने का मसाला तैयार करने जैसे कार्य में कुछ पुरूष सहकर्मियों के साथ जुटीं रहती हैं.
भिलाई कैम्प ख् निवासी विधवा भ्भ् वर्षीया श्रीमती मनोरमा चौरसिया पिछले फ्भ् सालों से भिलाई महिला समाज द्वारा संचालित गृह उद्योगों से जु़डी हुई हैं तथा विभिन्न निर्माण कार्यों में सिद्घहस्थ भी हैं. पति की मृत्यु के उपरांत कंेद्र पर आश्रित आजीविका भी बखूबी चला रही हैं. उन्होंने समाज द्वारा सेक्‍टरब् में संचालित उद्योग में केनवास के कपड़े, संयंत्र कर्मियों की डांगरी व शाला गणवेश की सिलाई कार्य में भी अपने हुुनर दिखाये हैं. वर्तमान में सेक्‍टरक् स्थित उद्योग मेंे वे स्टेशनरी इकाई में अपनी सेवाएं दे रही हैं, जहाँ अन्य पाँच सहकर्मियों के साथ बुक बाईडिंग एवं उनकी सिलाई का कार्य उन्हें बख्ूाबी भाता है. पिता भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी थे.वर्तमान में माँ तथा भाई के साथ ही रहती हैं. वे गर्व से कहती हैं-भिलाई महिला समाज ने अब उन्हें आत्मनिर्भर बनकर रहना सीखा दिया है. हंसते हुए बताती हैं अब उन्होंने अपनी बिटिया के हाथ भी पीले कर दिये हैं. उसे अब भविष्य की विशेष चिंता नहीं है. सेक्‍टरक्क् निवासी ख्त्त् वर्षीया श्रीमती मीना शिन्दे भी स्टेशनरी इकाई की कर्मठ महिला कर्मी हैं और पिछले मात्र फ् वर्षों से ही भिलाई महिला समाज का हिस्सा बनकर अपनी आजीविका बेहतर ढंग से चला रहीं हैं. अल्पायु में ही पिता की मृत्यु के उपरांत अपने फ् छोटे बच्चों तथा दोनों आँखों से लाचार सास के भविष्य की चिंता से परेशान थी. इसके पूर्व भिलाई इस्पात संयंत्र के प्रिंटिंग प्रेस में भी जॉब कार्य में हाथ बंटा चुकी है.
अब इस लघु उद्योग से जु़डकर अपने बच्चों को अच्छी तालीम भी दिला रही है. सुझाव देते हुए कहती हैं भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन यदि उनके बच्चों की पढ़ाई का दायित्व यदि संभाल ले तो उन्हें और राहत मिलेगी.श्रीमती मीना के अनुसार जीवन में संघर्ष तो है, परंतु उसे फिलहाल इसकी चिंता नहीं है. स्टेशनरी इकाई में ही कार्यरत बेसहारा श्रीमती शीला रामटेके, श्रीमती दानव लक्ष्मी, श्रीमती सुमन सिंह व श्रीमती रू मणी के भी कुछ इसी तरह के मिलते जुलते खयालात हैं. केंद्र में पिछले क्ब् वर्षो से जु़डी श्रीमती शीला ने अपनी कमाई से अपनी इकलौती पुत्री को इले ट्रॅानि स में डिप्लोमा (पॉलीटेकिन्क)भी कराया है. इस इकाई में रजिस्टर, पॉकेट नोट बुक, डॅायरियाँ, चॉक तथा शिक्षा विभाग, भिलाई इस्पात संयंत्र के लिये उत्तर पुस्तिकाओं का निर्माण कार्य संपादित होता है.

संयंत्र के तीन महप्रबंधकों को सेवानिवृत्ति पर भावभीनी विदाई

भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र के तीन महाप्रबंधकों सर्वश्री आर एस सिंह महाप्रबंधक प्रभारी (प्रबंधन सेवाए) श्री ओ एन प्रसाद महाप्रबंधक (ऊर्जा प्रबंधन विभाग) और श्री आर जे सिंह महाप्रबंध के आंतरिक अंकेक्षण को सेवानिवृत्ति पर भावभीनी विदाई दी गई. 31 जुलाई, 2007 को इस्पात भवन स्थित प्रबंध निदेशक सभागार में आयोजित विदाई समारोह में कार्यकारी प्रबंध निदेशक श्री एस के जैन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्य अतिथि श्री एस के जैन ने लंबे और चुनौती भरे कार्यकाल के लिये महाप्रबंधकों सर्वश्री आर एस सिंह, श्री ओ एन प्रसाद और श्री जे सिंह को सम्मानित करते हुए उनके परिवार के सुखी, समृद्घ और दीर्घ जीवन की कामना करते हुए कहा कि तीनों ने ही अपने क्षेत्रों में बहुत अच्छा काम किया है. इनके योगदान को संयंत्र हमेशा याद रखेगा तथा जब भी इनकी सेवाओं की जरूरत होगी, इन्हें पुन:याद करेंगे.
कार्यपालक निदेशक वित्त एवं लेखा श्री टी के गुप्ता ने कहा कि आज सब पूरे माहौल में प्रतिस्पर्धा का ही बोलबाला है. संयंत्र के तीन अत्यंत अनुभवी अधिकारी हमसे अलग हो रहे हैं. कार्यपालक निदेशक सामग्री प्रबंधन श्री एस एन सिंह ने तीनों ही अधिकारियों के कार्यकाल की सराहना की.
कार्यपालक निदेशक कार्मिक एवं प्रशासन श्री पी के अग्रवाल ने कहा कि यह बहुत ही अच्छा है कि तीनों अधिकारी सेवानिवृत्ति के पश्चात भिलाई में ही निवास कर रहे हैं. श्री अग्रवाल ने भिलाई के बिरादरी की भावना की सराहना करते हुये कहा कि मेरी इच्छा है कि ऐसे अधिकारी सामाजिक जिम्मेदारी को निभाने में भिलाई की मदद करें.
इस अवसर पर महाप्रबंधक प्रभारी लौहश्री मुरली मोहन ने कहा कि सेवानिवृत्ति हो रहे तीनों ही महाप्रबंधकों से मेरे व्यक्तिगत अच्छे संबंध रहे. तीनों ही अधिकारियों ने अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य किया है. महाप्रबंधक उपयोगिता श्री आर पी सैनी ने बहुत ही भावपूर्ण शब्दों में उन अधिकारियों के कार्यकाल के उपलब्धियों की चर्चा की. समारोह को महाप्रबंधक प्रभारी मिल्स और गुणवत्ता श्री भरत लाल ने भी सम्बोधित किया.
सेवानिवृत्ति हो रहे श्री आर एस सिंह महाप्रबंधक प्रभारी प्रबंधन सेवाए ने कहा कि मैं अपने पूरे कार्यकाल से बहुत प्रसन्न हूँ. एक लंबे समय तक ब्लॉस्ट फर्नेस में तब रहा जब वहॉ आटोमेशन नहीं था और बहुत श्रम करना होता था. तब भी हम काम में पूरा आनंद लिया करते थे.ब्लास्ट फ र्नेस-स्त्र के निर्माण से भी मैं जु़डा रहा. बाद में भी अन्य विभागो में प्रबंधन ने मुझे सीखने का अवसर दिया, इसके लिये मैं संयंत्र का अत्यंत आभारी हूँ. श्री ओ एन प्रसाद महाप्रबंधक ऊर्जा प्रबंधन विभाग ने कहा कि मुझे अपने कार्यकाल से पूरा संतोष मिला. प्रबंधन ने मुझे सीखने के अवसर प्रदान किये. श्री आर जे सिंह महाप्रबंधक आंतरिक अंकेक्षण ने अपने दीर्घ कार्यकाल के कुछ क्षणों की चर्चा करते हुए कहा कि समय कैसे बीत गया कुछ पता ही नहीं चला. तीनों ही अधिकारियों ने संयंत्र की प्रगति के लिये अपनी शुभकामनायें प्रदान की.
श्री आर एस सिंह महाप्रबंधक प्रभारी प्रबंधन सेवाएं धातुकर्म में बी टेक की उपाधि ली. 1968 में, श्री आर जे सिंह महाप्रबंधक आतंरिक अंकेक्षण धातुकर्म में बी एस सी इंजीनियरिंग की उपाधि ली.1969 में और श्री ओ एन प्रसाद महाप्रबंधक ऊर्जा प्रबंधन विभाग ने मेकेनिकल में वी एस सी इंजीनियरिंग की उपाधि लेकर 1972 में स्नातक अभियंता के पद पर स्टील अथारिटी ऑफ लिमिटेड की सेवा से संबंद्घ हुये. अपनी कार्यकुशलता, मिलनसार व्यक्तित्व, लगन और समर्पण के बल पर तीनों अधिकारियों ने विभिन्न विभागों में विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभाते हुये महाप्रबंधक के पद तक पहुंचे.

कराते में शकुन्तला विद्यालय को गोल्ड मेडल प्राप्त


भिलाई. छठवीं ऑल इंडिया रूशिनकान शितोंरूयू कराते प्रतियोगिता चैन्नई में गोल्डन प्लेस एंव गंगा कावेरी महल में आयोजित थी. इस प्रतियोगिता में जैसे छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडू्र, उड़ीसा, मेघालय आदि राज्यों ने भाग लिया. प्रतियोगिता में, शकुन्तला विद्यालय के छात्र एवं छात्राआंे ने भाग लिया जिसमें शुभम सिंह को अपने वर्ग में गोल्ड मेडल एवं सिल्वर मेडल प्राप्त हुआ. पूनम वर्मा को काता एंव कुमिते में द्वितीय एवं तृतीय स्थान व विकास को चतुर्थ स्थान प्राप्त हुआ. ब्लैक बेल्ट वर्ग में हुकुमचंद बांधे, शुभम जायसवाल तथा योगेश्वर सिम्हा ने अपने-अपने आयु वर्ग में तृतीय स्थान काता एवं कुमिते में प्राप्त कर स्कूल को गौरवान्वित किया. योगेश्वर सिन्हा, शुभम जयसवाल, हुकुमचंद बांधे ने ब्लैक बेल्ट की ग्रिडिंग में शामिल होकर ग्रिडिग पास किये. शिहान जे.एस. कल्याणमणी द्वारा ग्रिडिंग लिया गया.इनके प्रशिक्षक रेनशी आर. के. गुप्ता रूशिन कान शितोरूयू कराते स्कूल के अंतर्राष्टीरीय रेफरी है. अन्तर्राष्टीरीय प्रतियोगिता में नेपाल एवं श्रीलंका देश ने भाग लिया. शुभम सिंह को कुमिते में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ.


विद्यार्थियों की इस उपलब्धियों पर शाला संचालक समिति के सचिव श्री संजय ओझा, प्राचार्या श्री व्ही.के. ओझा, प्रबंधक व्ही.दुबे, उपप्राचार्य श्रीमती ज्योति तिवारी, प्रधान पाठिका श्रीमती आरती मेहरा, श्रीमती निलिमा पाठक, प्री-प्राईमरी प्रभारी श्रीमती रजनी राव, पी.टी.आई. सुश्री राखी सिंह, श्री लक्ष्मेंद्र कुलदीप और सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं ने हर्ष व्यक्त किया.

जानलेवा काले धुएँ के खिलाफ ग्रामीणों में रोष

कंपनी मैनेजर द्वारा ग्रामीण की पिटाई, जान से मारने की धमकी

भिलाई. पुरानी भिलाई के समीपस्थ ग्राम अकलोरडीह हथखोज पिछले छह साल से प्रदूषण की मार झेल रहा है. यह प्रदूषण निरोस इस्पात प्राइवेट लिमिटेड द्वारा लगातार 24 घंटे कोयले की पिसाई के फलस्वरूप होता है,जिससे भारी मात्रा में काले धुएँ के साथ कार्बनडाय आ साइड गैस पूरे गाँव में फैली रहती है. इस प्रदूषण से मानव जीवन के साथ ही पशु पक्षियों को भी बेवजहा मौत के मुंह में ढकेलने में कोई कोरकसर बाकी नहीं छोडी गई है. कई प्रयासों के बाद भी फै ट्री मालिक ग्रामीणों की जान के दुश्मन बने हुए हैं.
इस प्रदूषण से न केवल अकलोरडीह, बल्कि हथखोज, सुरडुंग, उमदा, जरवाय, पथर्रा एवं शिवपुरी तथा जामुल निवासी काफी परेशान हैं.
इस गंभीर प्रदूषण से लगभग क्षेत्र की चालीस हजार जनसंख्या प्रभावित हो रही है. इस काले धुएँ से क्षेत्र के खेत खलिहान, कुएँ, तालाब, पेड, पौधे आदि सब काले पड़ चुके हैं. घरों में रखे खाद्य पदार्थ एवं कपड़ों पर भी काला धुआँ बैठ जाता है.
इस प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले ग्रामीणों के साथ निरोस इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारियों द्वारा मारपीट किए जाने की भी खबर है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक गत ख्भ् जून को अपने साथियों के साथ कंपनी मालिक को ज्ञापन देने पहुँचे अकलोरडीह निवासी किशन साहू के साथ कंपनी के मैनेजर लाली सरदार ने गाली गलौच की. इस पर भी जब उसका दिल नहीं भरा तो वह अपने पाले हुए 10-15गुंडों को साथ लेकर रात 1० बजे किशन के घर जा पहुँचा और उसे जान से मारने, हांथ-पाँव काटने और ट्रक के नीचे कुचल देने, फर्जी चोरी के मामले में फं सा देने की धमकी देने लगा. उन्होंने उसे घर से बाहर खींचने की भी कोशिश की. किशन की माता और पत्नी द्वाराा शोर मचाए जाने से गाँव वालों के इकठ्ठा होने पर वे वहाँ से भाग निकले.
किशन साहू ने तत्काल इसकी रिपोर्ट भिलाई-3 थाना में दर्ज कराई, जिसमें आरोपियों पर धारा 294, 506- बी तथा फ्ब् आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया है. आश्चर्य का विषय है कि ग्रामवासियों द्वारा इस जानलेवा प्रदूषण के खिलाफ राज्य शासन के साथ-साथ सभी संबंधित पक्षों को शिकायत की जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

असामाजिक तत्वों के साथ सख्ती से निपटें

रायपुर. गृह मंत्री रामविचार नेताम ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अभियान चलाकर असामाजिक एवं अराजक तत्वों के विरूद्घ सख्त कार्यवाही करें. उन्होंने सचेत करते हुए कहा कि किसी क्षेत्र से असामाजिक गतिविधियों की शिकायत मिलने पर उस क्षेत्र के टी.आई को निलंबित करने की कार्यवाही की जाएगी.गृहमंत्री नेताम ने ये निर्देश पुलिस कंट्रोल रूम में राजधानी रायपुर की कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में पुलिस अधिकारियों को दिये.
बैठक में रायपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक वाई. के.एस. ठाकुर रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बी.एस.मरावी और रायपुर नगर के.एस.डी.ओ., पी.टी. आई और थाना प्रभारी उपस्थित थे.
गृह मंत्री नेताम ने संगठित होकर अपराध करने की प्रवृत्ति पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जनता का भयादोहन कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
उन्होंने संगठित होकर चंदा वसूली करने वालों के खिलाफ एक सप्ताह के अंदर कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिये. नेताम ने कहा कि आने वाला समय बहुत चुनौती पूर्ण है. राजधानी में पदस्थ पुलिस अधिकारी इस चुनौती को स्वीकार करें अन्यथा उन्हें अन्य कार्य सौंपने पर विचार किया जाएगा.
उन्होेंने निर्देश दिये कि कबाड़ी और जमीन की खरीद फरोख्त करने वालों पर निगरानी रखंे और अपराध में संलगन् रहने वालों के हथियार लाइसेंस निरस्त करने की अनुशंसा करें. उन्होंने कहा कि जहां से अपराधी आते हंै वहां की पुलिस से सामंजस्य स्थापित कर अवैध हथियार बनाने वाले और इस कारोबार से जु़डे लोगों तक पहुंचें. गृहमंत्री ने राजधानी रायपुर में प्रभावी रात्रि गश्त करने के निर्देश दिये.
बस स्टेण्ड, रेलवे स्टेशन और राष्ट ्र्रीय राजमार्ग पर आकस्मिक जांच करने के निर्देश दिये गये. उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी जब रात्रि गश्त में जायें जो पीली बत्ती जलाकर और सायरन बजाते हुए नहीं जायंे बल्कि आम नागरिक की तरह गति पर जायें तभी अपराधी पकड़े जा सकेंगे.
उन्होंने से स रेैकेट के कारोबार पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिये. हर थाना क्षेत्र में असामाजिक तत्वों की सूची तैयार कर उनके विरूद्घ कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिये.
गृह मंत्री नेताम ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि जब पीड़ित व्यक्ति थाने में आये तो उनकी बात सहानूभूति पूर्वक सुनें और उचित कार्यवाही करें. उन्होंने कहा कि यदि पीड़ित व्यक्ति गरीब, लाचार, अनुसूचित जाति एवं जनजाति का हो तो उसकी आवश्यक मदद भी करें. इससे समाज में पुलिस की और अच्छी छवि बनेगी.
उन्होंने राष्ट ्रीय राजमार्ग पर बढ़ रही सड़क दुर्घटनाआंे को रोकने के लिए भी निर्देश दिये. गृहमंत्री नेताम ने कहा कि असामाजिक एवं अराजक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करें ताकि लोगों में एक अच्छा संदेश जाये.
उन्होंने कहा कि अच्छा कार्य करने वाले अधिकारियों को आवश्यक संरक्षण और प्रोत्साहन दिया जाएगा. रायपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक वाई. के. एस. ठाकुर ने कानून व्यवस्था बनाये रखने और अपराधों की रोकथाम के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी दी.

नक्‍सली शहीद सप्ताह प्रारंभ

संवेदनशील इलाकों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
नक्‍सली शहीद सप्ताह प्रारंभ

राजनांदगांव. जिले में न सलियों का शहीद सप्ताह प्रारंभ हो गया है. शहीद सप्ताह आगामी फ् अगस्त तक चलेगा.शहीद सप्ताह के दौरान नक्‍सली अपने शहीद एवं पकड़े गये. साथियों का बदला लेने के लिए कोई भी बड़ी अप्रिय घटना कर प्रशासन को सकते में डाल सकते हैं. न सलियों के माओवादी नक्‍सली संगठन की उत्तर गढ़ चिरौली-गोंदिया डिवीजन कमेटी ने मुठभे़डों में मारे गये अपने साथियों का गांव-गांव में स्मारक बनाना चाहती हैं. इस हेतु नक्‍सली गंाव-गांव में नियमित रूप से बैठक ले रहे हैं. इसके मघ्‍येनजर पुलिस गश्त भी तेज कर दी गई है. नक्‍सली इस दौरान ग्रामीण युवक युवतियों को पीडब्लूजी, गुरिल्ला जोन, क्रांतिकारी कमेटी को सशक्त करने दल में भर्ती कर रहे हैं.
माओवादी नक्‍सली गुट द्वारा दंडकारण्य का शोषणकारियों के विरूद्घ अभियान चलाकर शोषण एवं भयमुक्त वातावरण बनाने का प्रयास करने की बात प्रचार प्रसार में कही जा रही है. वहीं छग. पुलिस द्वारा भी न सलियों से सुरक्षा के लिए महाराष्ट ्र पुलिस, रेलवे पुलिस, सीआरपएफ से कदम से कदम मिलाकर चल रही है. योंकि पिछले दिनों में रेलवे स्टेशनों इंजनों को भी नक्‍सली आतंक का निशाना बनना पड़ा है. पुलिस द्वारा मिलकर काम करने से कई खुंखार नक्‍सली पकड़े भी गये हैं. न सलियों से निपटने के लिए डोगरगढ़ में रेल, सीआरपीएफ, छग. पुलिस अधिकारियों के मध्य गोपनीय बैठक भी हुई थीं. इसके अतिरिक्त विधायक स्तर पर भी बैठक विधानसभा में आयोजित की गई थी. इन सभी बैठकों के फलस्वरूप सभी पुलिस मिलकर संवेदनशील क्षेत्रों में तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था स्थापित की गई है. न सलियों ने चिल्हाटी, कोरचाटोला, चिल्हाटी, ठाकुर बांधा, हालेकसा, बंजारी आदि गांवों में नक्‍सली पोस्टर चस्पा किये हैं जिसमें शासन प्रशासन को नक्‍सली कार्यवाही भुगतने की धमकी दी गई है. न सलियों ने इस वर्ष जनवरी से अब तक ब् लोगों की मुखबिर के संदेह में हत्याएं की है इनमें राजेश सिंह ग्राम नंादिया छुरिया, अकबर सिंह, कोरकोट्टी मानपुर बिसेसर नाई मोहनपुर बाघनदी, सुगरू लोधी लमनाढार बोरतलाव शामिल है. पिछले दिनों बंद के दौरान न सल प्रभावित इलाकों में कोई भी नक्‍सली वारदात नहीं हुई. लेकिन व्यापार ठप्प रहा तथा कुछ दिनों तक बसें भी नहीं चला थीं. जिले के न सलियों ने फ् साल पहले छुरिया एवं मोहला थाना लूटने का प्रयास किया था. इसके बाद से आज तक नक्‍सली गतिविधियां सामान्य रही हैं और विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने जरूर मोहला के पास मत पेटी चुरा ली थी लेकिन इसके बाद से कोई बड़ी वारदात नहीं हुई है.
पुलिस भी न सलियों मानपुर थाना लूट लेने के बाद सर्तक हो गई है तथा छुरिया एवं मोहला थाना लुटने के नक्‍सली प्रयासों को विफल किया है. और अब नक्‍सली प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ एवं एसएफ के जवान नियमित गश्त कर रहे हैं तथा कुछ दिनों पुर्व गहन नक्‍सली प्रभावित इलाकों में चयनित पुलिस वालों को कमांडो टे्रनिंग के लिए भी भेजा गया था, जिन्हें यथा स्थान पदस्थ किया गया है. नक्‍सली शहीद सप्ताह के दौरान पुलिस किसी भी किसी प्रकार के नक्‍सली हमले से निटपने के लिए पूर्णत: तैयार है. वहीं पुलिस ने इसके लिए आज रिहर्सल भी कर लिया है कि नक्‍सली आतंक को कैसे काबू पाया जा सकता है. बहरहाल न सलियों द्वारा बंद के पहले दिनों में कोई कार्यवाही नहीं की गई है लेकिन न सलियों द्वारा मानपुर के सीतागांव, कोहका, कंदाड़ी, तेरेगांव व कोरचा, मोहगंाव, जोब में बैठकें लेकर न सल शहीद सप्ताह को सफल बनाने के लिए ग्रामीणों में बैठकें कर रहे हैं. लेकिन चिचोला पुलिस के नेतृत्व में एक विशेष पुलिस बल का गठन किया गया है जो संवेदनशील गांवों में सिविल कपड़ों में सर्चिंग कर रहा है.
जवानों को पुलिस विभाग ने आधुनिक हथियारों से लैंस भी किया गया है. यह भी बताया जा रहा है कि न सलियों का लंबे समय से कोई बड़ी वारदात नहीं करना एक गंभीर विषय है उन्होंने अवश्य ही इन सालों में बड़ी योजना बनाई होगी जिसे संभवत: तीन अगस्त तक चलने वाले शहीद सप्ताह में अंजाम दिया जा सकता है.

महिला डॉक्‍टर के घर से 70 हजार की चोरी

बिलासपुर. महिला डॉक्‍टरके घर से लेपटाप सहित साढ़े क्ब् हजार का माल पार कर दिया गया. घटना की रिपोर्ट पर पुलिस ने मामला कायम किया है. इस संबंध में पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार घटना तोरवा थाना क्षेत्र की है. रेल्वे के कासिमपारा में रहने वाली पी.एस.रामटेके पति सुरेश रामटेके रेल्वे हॉस्पिटल में डॉक्‍टर हैं वे बीती रात को ड्यूटी करने अस्पताल आ गई थी, तभी उनके सूने मकान का ताला ताे़डकर चोर ने लेपटाप और एक सोने का लाकेट पार कर दिया.
जिसकी कीमत करीब स्त्र० हजार बताई जा रही है. इस घटना की रिपोर्ट पर तोरवा पुलिस धारा ब्भ्म्, फ्त्त्० के तहत मामला दर्ज कर जांच कर रही है. श्रीमति रामटेके के मुताबिक चोरों ने सिर्फ बैडरूम की तलाशी ली है. दूसरे कमरे का समान जस क तस रखा है. इसका मतलब है कि चोर को पहले से पता था कि गहने व रकम कहां रखा है. उन्होंने बताया की घर पर सिर्फ नौकरानी का आना जाना था. वह सुबह शाम घर आकर बर्तन कपड़े व साफ -सफाई करती है. नौकरानी को जानकारी पहले से होती है कि वह कब नाईट ड्यूटी और कब दिन में काम पर जाती हैं. पुलिस को भी नौकरानी पर शक है और यह भी हो सकता है कि उसे किसी ने डरा धमका कर घर का राज लिया हो. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है.

बैगा बाहुल्य ग्रामों में चिकित्सा व्यवस्था की समीक्षा की मुख्यमंत्री ने


डा. सिंह ने सुदूर क्षेत्रों में किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य गंभीर होने की स्थिति में जिला चिकित्सालय लानें निर्देशित किया. उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में पक्का कुआं का निर्माण करायें जिससे उन्हें शुद्ध पेयजल प्राप्त हो सके. जहां तक हेंडपंप खोदने लिए मशीन पहुँचायी जा सकती है और वहां का पानी पीने योग्य है ऐसी जगह पर हैंडपंप का खनन करायें.

कवर्धा. मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने सोमवार को स्थानीय सर्किट हाउस में जिले के अधिकारियों की बेैठक लेकर पंडरिया विकासखंड के ग्राम गभाडा में सात भजगांव मंे एक आदिवासी की मृत्यु के कारणों, मृतकों के परिजनों को दी गयी सहायता राशि की विस्तृत समीक्षा की. उन्होंने त्त् मृतक बैगा परिवार के परिजनों को क्०-क्० हजार रूपये की आर्थिक सहायता राशि देने की घोषणा भी की.

संवेदनशील मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने मृतक बैगा परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि वे उनके स्वास्थ्य के प्रति काफी चिंतित हैं.
उन्होंने जिले के विकासखंड पंडरिया और विकासखंड बोडला के उल्टी दस्त प्रभावित गांवों के लिये राजधानी रायपुर से तत्काल चिकित्सा दल भेजा गया था. उन्होंने कहा कि कले टर श्री सोनमणि बोरा को निर्देश दिया गया है कि स्वास्थ्य गठित टीम के सदस्य वनांचल और ग्रामीण क्षेत्र का सघन दौरा करते हुए उन्हें बताएं कि आदिवासी बैगा और ग्रामीणजनों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और खान पान में शुद्घता के लिये आवश्यक ऐहतियात बरतें.

डा. सिंह ने सुदूर क्षेत्रों में किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य गंभीर होने की स्थिति में जिला चिकित्सालय लानें निर्देशित किया. उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में पक्का कुआं का निर्माण करायें जिससे उन्हें शुद्घ पेयजल प्राप्त हो सके. जहां तक हेंडपंप खोदने लिए मशीन पहुँचायी जा सकती है और वहां का पानी पीने योग्य है ऐसी जगह पर हैंडपंप का खनन करायें. मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने सभी विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि किसी भी घटना की जानकारी शीघ्र जिला स्तर पर दें जिससे कि राहत दल शीघ्र भेजा जा सकंे.

कले टर श्री सोनमणि बोरा ने बताया कि चरोटा भाजी, पिहरी में कुछ बैगा परिवार ने सुअर का मांस खाया था खाने के बाद वे प्रभावित हुये थे. मृतक बैगा परिवार के परिजनों को आर्थिक सहायता राशि जिला रेडक्रास सोसायटी से भी दी गयी हैं और पीड़ित लोगों का समुचित उपचार किया जा रहा है. साथ ही मरीजों के खाने के लिए चिकित्सकों के द्वारा सुझायेगये खिचड़ी और अन्य पौष्टि क आहार की व्यवस्था भी की गयी है.

पंडरिया तहसील के सुदूर वनांचल के ग्राम में उल्टी दस्त की प्राप्त शिकायत को दृष्टि गत रखते हुए ऐहतिसात के सुदूर वनांचल पहुंचविहीन क्षेत्र जैसे मंझगंाव भाकुर, सेंदूरखार कुईकुकदूर कोदवागाे़डान माटपूर और आसपास के क्षेत्रों में स्थित गंावों के कुआँ और पेयजल स्त्रोतों में तत्काल लोरोनिकेशन करने और ग्रामवासियों को आवश्यक समझाईश देने के अलावा जिस ग्रामों में हेंडपंप नहीं है वहां आवश्यकता पड़ने पर तत्काल हेंडपंप स्थापित करने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को निर्देश दिये हैं. उन्हांेने ग्रामवासियों को बासी भोजन,सड़ें-गले पदार्थ का उपयोग लाने संबंधित विभागों और स्वास्थ्य दल को निर्देश दिये हंै.

श्री बोरा ने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी और वन विभाग का एक पृथक से दल गठित किया गया है, जो जिले के सभी आश्रम शाला, छात्रावास, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय और डारमेंट्री शालाआें का निरीक्षण कर स्वास्थ्य और खान-पान मेें शुद्घता संबंधी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये संबंधित क्षेत्रों में सतत तैनात है.

बाे़डला विकासखंड के दलदली, तरेंगांव क्षेत्र और पं़डरिया तहसील के ग्राम कुई कुकदूर कोदवागाे़डान और तेलियापानी के आसपास के क्षेत्रों में विशेष स्वास्थ्य शिविर लगाये जाने दल गठित किये गये हैं.

इस अवसर पर छग. स्टेट वेयर हाउसिंग के अध्यक्ष डा.सिंया राम, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री रघुराज सिंह, श्री मोती राम चंद्रवंशी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, श्रीमती शालिनी रैना, अपर कले टर, श्री आर. पी. देंवागन, अनुविभागीय अधिकारी पंडरिया, श्री आेंकार यदु, अनुविभागिय अधिकारी कवर्धा, श्री सिद्घार्थदास, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डा.आर.पी. नोन्हारें सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

नकली खाद वितरण मामले में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा रघु ने


रायपुर. लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्यक्ष रघु ठाकुर ने राज्यपाल ईसीएल नरसिम्हन को एक ज्ञापन सौंपकर प्रदेश में मिलावटी खाद बेचने एवं खाद की कमी के मामले को लेकर एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में प्रदेश में बच्चों की हो रही अकाल मौत पर भी चिंता जताई गई है.
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीयअध्यक्ष रघ्घु ठाकुर ने बताया कि वे राज्यपाल से मिले. राज्यपाल को पूरे प्रदेश में मिलावटी खाद बेचने का मामला ध्यान में लाया गया.

उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसान मिलावटी व निर्धारित वजन में कम मात्रा में खाद मिलने के कारण काफी परेशान हैं. उन्होंने बताया कि कम मात्रा में खाद तथा मिलावटी खाद शासन के विभिन्न सहकारिता भंडारण केंद्रों से आपूर्ति किए जाने के कारण किसान निराश एवं हताश हैं.यह एक राष्‍ट्रीयअपराध है जिसके चलते जहां धान की गुणवत्ता पर इसका असर पड़ता है, वहीं उत्पादन भी प्रभावित होता है. इस पूरे प्रकरण की जाँच कराने की मांग करते हुए उन्होंने दोषी संबंधित अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग की है. रघु ठाकुर ने राज्यपाल को दिए ज्ञापन में रायगढ़ जिले में बच्चों की हो रही अकाल मौत की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है. इसके अलावा प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी सहित अन्य मु ों पर भी शासन का ध्यान आकर्षित किया गया है. शासन को चेतावनी दी गई है कि यदि समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की तो हमें यहां पर आंदोलन छेडना पड़ेगा.

बंद सदन के बाद समस्या के दरवाजे खुलने चाहिये

बसंत तिवारी

न सल समस्या से निपटने के लिये छत्तीसगढ़ विधानसभा ने 26 जुलाई को बंद सदन लोज डोर बैठक कर समस्या पर विस्तार से चर्चा की. यह कहा जा रहा है कि स्वाधीन भारत के इतिहास में अपने किस्म की यह पहली बैठक है. इसके पूर्व ख्स्त्र फरवरी क्ेब्ख् को कंेद्रिय ऐसेम्बली में ऐसी बंद सदन बैठक हुई थी.
न सली समस्या से निपटने और उससे मुक्ति पाने पर आम सहमति जाहिर की गई. जहां तक समस्या से निजात पाने का प्रश्न है. उसपर तो असहमति पहले भी शायद ही थी. सदन के सदस्य ही नहीं छत्तीसगढ़ के आम आदमी सहित देश का कोई भी नागरिक न सलवाद के घाव को पाल कर नहीं रखना चाहता. प्रश्न आम सहमति तक सीमित नहीं है. प्रश्न समस्या से निपटने की नीति और कार्ययोजना की सहमति का है. बंद सदन में चर्चा का उ ेश्य यही था कि विधायक अपनी बात बिना संकोच और भय के खुलकर करें. स्वाभाविक है कि इस बैठक में कहीं गई बातें खुलकर सार्वजनिक नहीं होगी, यद्यपि वे दर्ज की गई हैं. उन्हीं के आधार पर सरकार नीति और कार्ययोजना बनायेगी. विश्वास किया जाना चाहिये कि सूचना के अधिकार के तहत कोई इन्हे जानने का प्रयास नहीं करेगा. नियम क्म्फ् के तहत यह बंद बैठक हुई थी, उसमें पूर्ण गोपनियता रखने का प्रावधान है. या यह माना जाय कि छत्तीसगढ़ शासन इसके सुझावों के आधार पर नीति, रणनीति और कार्ययोजना बनाकर एक बार फिर सदन को विश्वास में लेकर सहमति प्राप्त करेगा अथवा इस बैठक के बाद बनने वाली नीति पर कोई बहस नहीं करेगा. छत्तीसगढ़ शासन की नीति कोई ऐसा फार्मूला प्रस्तुत करेगी जिस पर केंद्र की सहमति होगी और उसी आधार पर देश के अन्य क्षेत्रों में न सलवादियों से निपटा जायेगा.
अब तक की जानकारी तो यही है कि कंेद्र सरकार कोई कारगर नीति नहीं बना पाई है. वर्तमान यू.पी.ए.सरकार की कठिनाई कुछ ज्यादा है योंकि वह वामपंथी दलों के समर्थन पर अस्तित्व में है और वामपंथी दल न सली समस्या पर बहुत स्पष्ट नहीं हैं. वे इस समस्या को बंदूक की गोली से तो निश्चित ही नहीं निपटाना चाहते. वे लोकतांत्रिक व्यवस्था की ही बात करते आये हैं. न सलवाद छत्तीसगढ़ अकेले की समस्या नहीं. है यद्यपि यहां सबसे गंभीर रूप मंे हैं. अत: नई नीति पर केंद्र और राज्य की सहमति होना शायद आवश्यकता होगा. अब तक केेंद्र राज्यों पर और राज्य केंद्र पर इसके लिये दोषारोपण करते आये हैं.छत्तीसगढ़ सरकार यों कोई कार्ययोजना बनाकर केंद्र को सहमति के लिये भेजेगी या फिर हर तरह की असहमति के बाद भी अपनी नीति पर अमल करेगी.
छत्तीसगढ़ में न सलवाद के खिलाफ आम आदमी आदिवासी का विरोध तो सलवा जुडूम के माध्यम से व्यक्त हो चुका है और यह आंदोलन इतनी दूर तक जा चुका है कि उसे वापस लिया जाना आत्मघाती हो सकता है. बंद सदन में या सलवा जुडूम को जारी रखने पर आम सहमति बन सकी है. कांग्रेस का बड़ा वर्ग इसके विरूद्घ राय प्रकट करता आया है. राज्य के डीजीपी ने कहा था कि वे कुछ करने आये हैं और न सलियों से बंदूक से निपट सकते हैं. यह भी नीति से जु़डा प्रश्न है. या केंद्र और राज्य ने युध्द जैसी रणनीति बनाना तय कर लिया है. यदि यह नीति शुरू से रही होती तो छत्तीसगढ़ में इतना विस्तार न सलवाद शायद ही कर पाता.
प्रशासन, राजनीतिक दल और समाजशास्त्री इसे सामाजिक समस्या स्वीकार कर चुके हैं और कानून व्यवस्था और सामाजिक सुधार दोनों ही कदमों को एक साथ आगे बढ़ाने की वकालत करते आये हैं.बस्तर की स्थिति में प्रश्न यही है कि दोनों ही रास्ता अवरूद्घ जैस है. सलवा जुडूम यदि सामाजिक सुधार का रास्ता है तो उसका विरोध यों हो रहा है और कानून की लड़ाई है तो बंदूक की गोली का विरोध यों होना चाहिये. यह भी सर्व स्वीकृ त है कि आदिवासी क्षेत्रों को विकास की धारा में शामिल नहीं कर पाने से बस्तर जैसे क्षेत्र की ओर घोर उपेक्षा हुई और न सलवाद को अपनी जगह बनाने का अवसर मिला. मध्य प्रदेश यदि ब्ब् साल उपेक्षा करता रहा तो छत्तीसगढ़ राज्य ने अपनी कार्ययोजना में या बस्तर की न सल समस्या को प्राथमिकता में प्रथम रखा. दिखता तो यह है कि श्रृंगारिक विकास मंे अपने स्त्र वर्ष वह गुजार चुकी है.
एक सुझाव यह भी दिया जाता रहा है कि न सलियों से युध्दविराम करा कर उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया, चुनाव में भागीदारी का अवसर दिया जाये जैसा कि नेपाल में माओवादियों को दिया गया है. बस्तर के न सली या इसके लिये तैयार है. अब तक न तो उन्हांेने ऐसी कोई राय दी है न ही उनकी यह नीति है और न ही उनसे ऐसी कोई चर्चा हुई है. बंद सदन में निश्चित ही ऐसी ही बहुत सी राय और मशविरे प्रस्तुत हुये होंगे. प्रतीक्षा यह है कि इन मतों और आम सहमति पर राज्य शासन या नीति बनाता है. न सलियों से यदि, सामाजिक या सशस्त्र अथवा दोनो ही युद्घ करना है तो जरूरी नहीं कि उनको विस्तार से सार्वजनिक किया जाये. युकी रणनीति हमेशा ही गोपनीयता ही रखी जाती है. अपेक्षा यह है कि अब बैठकों का सिलसिला समाप्त कर अमल में लाने वाली गोपनीयता या उजागर नीति तय की जाए और उस पर युध्द स्तर पर अमल भी किया जाये. न सलवाद पर हुई सन क्ेम्० से ख्म् जुलाई के बंद सदन की बैठक मंे वही बातें दुहराई जाती रहीं है. कंेद्र कई बार संयुक्त अभियान की बात कह चुका है. पुलिस के राज्य और केंद्र के वरिष्ठ अधिकारी भी संयुक्त अभियान की बात कह चुके हैं पर अमल नहीं हो पाया. न सलवाद पर भूमि सुधार और सशस्त्र कार्यवाही की बात कही जाती रही है, पर यह संयुक्त अभियान कैसे बने. भूमि सुधार और कानून की अलग- अलग राज्यों की स्थितियां अलग-अलग हैं.राज्य और केंद्र की दोनों की नीति एक नहीं हो सकती. न सलवाद से निपटने की सबसे बड़ी समस्या स्पष्ट है और कारगर ढंग से अमल में लाने वाली नीति की कमी है. विश्वास किया जाना चाहिये कि बंद सदन के बाद समस्या के बंद दरवाजे खुलेंगे. क्ेब्ख् को कंेद्रीय एसेम्बली की बंद प्रशस्त हुआ था. ख्म् जुलाई के बाद आदिवासियों की आजादी का दरवाजा खुलना चाहिये.

छत्तीसगढ़ को शराब में न डुबायें

यशवंत वर्मा

बात-बात पर संस्कृति और नैतिकता की दुहाई देने वाली पार्टी के प्रशासन से तो कम से कम ऐसी उम्मीद नहीं थीं.हर जगह आसानी से उपलब्ध शराब,सार्वजनिक स्थानों पर बेखौफ होकर चलते पीने-पिलाने के अडड़े आज इस प्रदेश की पहचान बन चुके हैं, छोटे से छोटे कस्बे में जाइये या बड़े शहरों में , वहां के बस स्टेण्ड, रेलवे स्टेशन या मुख्य चौराहे पर एक अदद दारू का अड्डा निश्चित तौर पर मिलेगा. सामने ही छोटा सा लगा हुआ बाजार भी जहां अंडे, मांस और विभिन्न प्रकार के चखनों की दुकानें सजी रहेंगी. नशे में झूमते भारतीय नागरिकों के जत्थे एक के बाद एक आते रहेंगे, जोर-जोर से चीखने-चिल्लाते लोग, अपशब्दों की झड़ी लगाते एक दूसरे से उलझते लोग, आसपास से गुजरती महिलाओं , लड़कियों पर छीटाकशी करते.... यह एक आम दृश्य है. आसपास ही थाना या पुलिस चौकी भी होगी. उनमें बैठे इन नजारों को निहारतेे पुलिस कर्मी भी लेकिन धोखे में मत रहिए, थे पुलिस वाले आम नागरिक के बजाय शराब ठेकेदारों के कर्मचारियों की सुरक्षा करते हैं कानून यही कहता है कि सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने व पिलाने वालों को सजा मिलनी चाहिये, मद्यपान के लिये एक अहाता या एक बार होना चाहिये उसे भी लाइसेंसी होना चाहिये. लाईसेंस के नियम और शर्तों का पालन होना चाहिये. मगर खुले आसमान के तले,वर्दी धारी कानून के रक्षकों के नाक के नीचे यह या हो रहा है? मामला दर्पण की तरह साफ है. सरकार के भारी-भरकम खर्चे हैं. इसके लिये धन चाहिये. शराब की बिक्री से सरकार को करोडों रूपयों की आय होती है. इस आमदनी को वह कैसे छोड दे. गांव का गांव बर्बाद हो जाये, शहर में आग लग जाये उन्हें इससे या वास्ता, सरकार पाँच साल के लिये बनी है. अत:पाँच साल तक उसे पालना भी है. सरकारी गाड़ी पेट्रोल से चलती है, संस्कृति, नैतिकता, आदर्श...इन किताबी बातों से नहीं.
गांवों की स्थिति और भी दयनीय है. जिस प्रकार बहुराष्ट ्रीय कंपनियाँ अपने उत्पाद बेचने के लिये नेटवर्क फैलाते हैं ठीक उसी प्रकार शराब माफिया योजनाबद्घ तरीके से सीधे-सीधे ग्रामीणों को देशी-विदेशी शराब की लत लगवा रहे हैं. शुरूआत होती है चुनावों से, पंचायती राज में चुनाव, कभी मंडी चुनाव,कभी पानी चुनाव तो कभी सहकारिता चुनाव, चुनावों में अब कंबल,धोती, साड़ी बांटने के दिन लद गये. अब तो शराब की नदियां बहती हैं, शराब ठेकेदारों को अपने खेतों में बीज डालने के लिये यही चुनावी मौसम उपयुक्त लगाता है. वह दोनों पक्षों को लगभग मुफत मंे गैलनों शराब मुहैया कराता है. वह शराब मतदाताओं मंे बंटती है. यहीं समय होता है. जब बड़ों के साथ-साथ पंद्रह-सोलह साल के बच्चे भी इसके आदी हो जाते हैं. दस पंद्रह दिन मुफत का शराब पीते-पीते ग्रामीणों में इसकी लत लग जाती हैं. चुनाव निबटने तक ठेकेदारों की फसल पक चुकी होती है. शराब के चुंगल में फंसे ग्रामीण अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा इसमें बर्बाद करने लग जाते हैं, घर और समाज में कलह का आगाज हो जाता है. सरपंचों पर दबाव डाला जाता है कि वह गांव में भटठी खुलने दें.अगर कोई उन्हें नकारने की हिमाकंत करें तो उनकी खैर नहीं. शराब ठेकेदार के पंडे,लठैत वहां आतंक का माहौल बनाते हैं. गांव के ही किसी व्यक्ति को लालच देकर अवैध शराब बिकवाते हैं. सरपंच और ग्रामीण बेबस होकर अपने गांव को बर्बाद होता देखते रह जाते हैं. फरियाद करें तो किससे करें. गांव-गांव की सीमाओं पर वैध-अवैध शराब के ठेके आबाद हैं. बाहरी प्रदेशों से बुलवाये गये इन पंडों, लठैतों की उ ंडता देखकर लगता ही नहीं यहां कानून नाम की कोई चिड़िया भी है. स्थिति अत्यंत विस्फोटक हो चुकी है. गंाव वाले यह मान बैठे हैं कि कानून के द्वारा इनसे नहीं लड़ा जा सकता, थाने जैसे इनकी सुरक्षा में खड़े हैं. ग्रामीण कानून हाथ में ले रहे हैं. आये दिन अखबारों में ग्रामीणों के साथ इन लठैतों की हिंसक लड़ाईयां सुर्खियां बन रही हैं. कुछ वर्ष पहले दुर्ग के पलारी नामक गांव में पुलिस अधिकारी की हत्या गांव वालों के हाथों हो चुकी है. ग्रामीणों को इसी बात का आक्रोश था कि पुलिस शराब कोचिया को संरक्षण दे रही है. या प्रशासन इस बात से अनभिज्ञ है कि शराब ठेकेदारों द्वारा प्रदेश के दोनों प्रमुख दल के छुटभैये नेताओं को विशेष अधिकार दिया गया है, जिसके अंतर्गत वह अपने लोगों को पर्ची पर हस्ताक्षर कर दे रहे हैं जिसके द्वारा वांछित व्यक्ति को रियायती दर पर शराब उपलब्ध हो जाती है. ये आधुनिक राजनीतिज्ञ इसी तरह अपने मतदाताओं की सेवा कर रहे हैं. दाता भी खुश और मतदाता भी. स्थिति यह है कि छत्तीसगढ़ के गंावों में विशुद्घ धार्मिक आयोजनों और शोक के कार्यक्रमों में भी शराब परोसने का चलन हो चुका है. इससे बदतर स्थिति और कुछ नहीं हो सकती. सरल, निर्विवाद छवि के धनी डॉ. रमन सिंह को इस भयावह स्थिति का आंकलन जरूर करनी चाहिये. उन्हें स्टेट बेरवरेज कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने से इन तथ्यों की पड़ताल करना चाहिये कि यों शराब लॉबी को इतना निरंकुश बना दिया गया है.
या अध्यक्ष महोदय सरकारी आय का लक्ष्य पूरा करना ही अपना एक मात्र कर्तव्य समझते हैं? शराब के दुष्प्रभावों से ग्रामीणों के लड़खती आर्थिक और सामाजिक ढांचे से उन्हंे और उनकी पार्टी को कोई सरोकार नहीं? यहां के पुरूष वर्ग तो अब विरोध की स्थिति मंे भी नहीं हैं. शराब बंदी के लिये जितने आंदोलन छत्तीसगढ़ में हुए हैं,सभी की कमान महिलाओं के हाथों में रही है. मद्यनिषेध के सरकारी विज्ञापन भी अब कहीं देखने नहीं मिलते. आबकारी विभाग इतना शिथिल यों हैं? आखिर और कितने भानसोज,कितने पलारी,कितने रायपुरा कांडों के बाद सरकार जागेगी?

भाजपा को खट्टे अंगूरों का अहसास हो चुका

यह मुद्दा वैसे तो हमेशा ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहता है, लेकिन जब कोई दुर्घटना घटती है तब यह मुद्दा ठंडे बस्ते से बाहर आ जाता है. शहरी क्षेत्रों में तो रेल फाटकों पर हमेशा दुर्घटनाएं और भीड़भाड़ की समस्या बनी रहती है

आजाद चिंगारी
-विक्रम जनबंधु

प्रदेश भाजपा की चम्पारण्य में आयोजित चिंतन बैठक में एक ही मु ा सामने आया और वह था, अगला चुनाव पार्टी कैसे जीतेगी? इस बैठक में पार्टी ने असंतोष को खत्म करने के लिए सांसद रमेश बैस की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करके यह जताने का प्रयास किया है कि पार्टी में न तो कोई गुटबाजी है, न ही असंतोष.अब सब मिल कर अगला चुनाव जीतने पर जोर लगाएंगे चिंतन बैठक में की गई भाजपा नेताओं की चिंता बेमानी नहीं है. साढ़े तीन साल तक सत्ता का सुख भोगने के बाद अब भाजपा को अँगूर खट्टे लगने लगे हैं.
जो सात विधायक दिल्ली दरबार में दस्तक दे चुके हैं,उन्होंने भी अपने वरिष्ठ नेताओं को यह बता दिया था कि छत्त्तीसगढ़ में जो खेती रमन सिंह सरकार कर रही है, उसमे अँगूर खट्ट़े ही होंगे और मीठे फलों का स्वाद चखना पार्टी भूल जाए.मगर संगठन ने इसे असंतुष्टों की चुनौती माना और अनुशासन की तलवार दिखाकर उन्हेंं चुप रहने को बाध्य कर दिया. मगर चम्पारण्य चिंतन बैठक का लब्बोलुआब यही है कि मौजूदा परिस्थितियों में पार्टी का सत्ता में लौटना मुश्किल ही है. फिर भाजपा के सामने एक स्वाभाविक स्थिति यह भी है कि सत्ता के घाे़डे पर सवार होने वाले घु़डसवारों को नकारात्मक वोटों का मजा भी लेना पड़ता है. ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा की यह चिंता वाजिब है कि यदि तोते हाथ से उड़ जाए तो?
हालांकि खैरागढ़ और मालखरोदा उपचुनाव जीतने के बाद भाजपा उत्साहित है कि लोग उसके कामकाज को पसंद कर रहे हैं. रमन सरकार में मंत्री तो इससे बेहद खुश हैं. लेकिन असंतुष्ट खेमा इस बात को कुछ ज्यादा ही प्रचारित कर रहा है कि रमन के नेतृत्व में अफसर बेलगाम हो गए हैं और मंत्री मदहोश.ऐसे में भाजपा का आम कार्यकर्ता उपेक्षित है और कुछ ही लोग मलाई मारने में लगे हैं. कुछ सांसद मंत्री और विधायक तो सरकार में उपेक्षित पड़े खून के आँसू रो रहे हैं और कुछ लोगों का सरकार और अफसर पर राज कायम है. वे दोनों हाथों से राज्य की धनसंपदा को इस कदर लूटने में लगे हैं कि सरकार को आम आदमी के हितों का कोई ख्याल नहीं रह गया है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली और दूसरे संसाधनों की लूट और उनका अपने हितों में इस्तेमाल होने से प्रदेश का आम आदमी रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या से ही उबर नहीं पा रहा है तो वह नए राज्य के नए सपनों का दोहन कैसे कर पाएगा. नागरिकों के कल्याण के लिए जो भी घोषणाएं सरकार ने की है उन योजनाओं का लाभ उन्हें यों नहीं मिल रहा है, राे़डा कहाँ अटक रहा है, इस पर चिंतन बैठक में कोई चिंतन नहीं हुआ. केवल असंतुष्टों को खामोश करके अगले चुनाव की वैतरणी पार कर लेने का मुगलता पाल लेना भाजपा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. प्रदेश के आम आमदी की सरकार से नाराजगी या है, इस पर भाजपा ने कोई मंथन नहीं किया है. इन प्रतिकूल परिस्थितियों मंे उस कबूतर की तरह आँख मूंदने में या हर्ज है जिस पर बिल्ली झपटने को तैयार बैठी है.
रेल फाटकों की समस्या
प्रदेश मंे रेल फाटकों से मुक्ति दिलाने का मु ा भी मौसमी बुखार की तरह आता है और चला जाता है, लेकिन समस्या जस की तस है.एक बार फिर यह बुखार चढ़ता दिखाई दे रहा है.फाटकों पर बढ़ने वाली भीड़ और फाटकों के नीचे से वाहन लेकर पटरी पार करने वालों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं को देखते हुए यह समस्या रेल बाईपास बनाकर सुलझाई जानी है अथवा ओव्हरब्रिज बनाकर, अभी इस पर एकराय नहीं है.नई राजधानी बनने के बाद कुछ हद तक ओव्हर ब्रिज और अंडर ब्रिज बनाकर इस समस्या का हल निकाला गया है. कई स्थानों पर बिना फाटक के रेल क्रासिंग भी बने हुए हैं, जहाँ दुर्घटनाओं की सबसे ज्यादा आशंका रहती है. मानव रहित यह फाटक एक तरह से सीधे मौत के फाटक साबित होते हैं.
यह मु ा वैसे तो हमेशा ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहता है, लेकिन जब कोई दुर्घटना घटती है तब यह मु ा ठंडे बस्ते से बाहर आ जाता है. शहरी क्षेत्रों में तो रेल फाटकों पर हमेशा दुर्घटनाएं और भीड़भाड़ की समस्या बनी रहती है. जल्दी जाने वालों के लिए तो रेल फाटक हमेशा समस्या होते ही हैं, अस्पताल या जरूरी काम पर जाने वालों के लिए भी यह आफत बन जाते हैं. इस समस्या का समाधान अंडरब्रिज या ओव्हरब्रिज बनाकर किया जा सकता है, लेकिन यहां भी राजनीति अपना असर दिखाती है और अ सर नेता ऐसे स्थानों पर ब्रिज बनवाते हैं भले ही उसका उपयोग जनसंख्या के अनुपात में न होता हो. ज्यादातर अंडरब्रिज और ओव्हर ब्रिज अ सर इसी राजनीति का शिकार हैं.
बैंक मैनेजरों की दादागिरी
राष्ट ्रीयकृत बैंकों के मैनेजर इन दिनों पूरी दादागिरी दिखा रहे हैं. केन्द्र हो या राज्य सरकार, इनकी जनकल्याणकारी योजनाओं को मिट्ट ी में मिलाने का काम यही राष्ट ्रीयकृत बैंक कर रहे हैं. मामूलरी सा दो हजार रूपए का लोन देने के लिए यह ग्राहक को बैंक के इतने चक्कर लगवाते हैं कि ग्राहक के जब जूते घिस जाते हैं चक्कर काट-काटकर तो वह बैंक से लोन लेने का ख्याल ही त्याग देता है. आम आदमी के पक्ष में होने का दावा करने वाले बैंक किसी को लोन देना तो दूर की बात आजकल बैंक में खाता खोलने के लिए सौ-सौ नखरे दिखाते हैं.यदि किसी तरह खाता खोल भी दिया तो चेक बुक जारी करने में इनकी नानी मर जाती है. आजकल बैंकों से चेक बुक जारी करवाने में ग्राहकों को नाकांे चने चबाने पड़ रहे हैं. कुछ बैंक अधिकारी तो यहां तक कहते सुने जाते हैं कि भले ही अपका खर्चा ख्भ् साल पुराना हो, पर चेकबुक नहीं मिल सकता. आप चाहे तो खाता कैंसिल करा सकते हैं. इसमें एसबीआई बैंक के अधिकारी कुछ ज्यादा ही सक्रिय थे.यह कितनी विडम्बना है कि बैंक चेकबुक देने से ग्राहकों को तो हिला हवाला कर रहे हैं, लेकिन सात-आठ सौ रूपया यदि दलाल को दे दिया जाए तो नए खाते का पासबुक और चेकबुक पिछले दरवाजे से वहीं मैनेजर जारी करने में जरा भी देने नहीं लगाते. आजकल जब निजी बैंक बड़ी आसानी से लोन पास कर रहे हैं, तब राष्ट ्रीयकृत बैंकों के पास भला चक्कर काटने कौन जाए? यही कारण है कि जब बैंक अधिकारियों, कर्मचारियों की हड़ताल होती है तो आम जनता की कोई सहानुभूति उनके साथ नहीं होती.
पत्रकार का शब्दबाण
एक बड़ी निजी कंपनी के पास बैठा एक छुटभैया पत्रकार डींगे हाक रहा था कि मैंने फलां न्यूज छापकर फलां कंपनी को हिला दिया, फलां न्यूज छापी तो फलां अधिकारी का काम, तमाम गया हो गया. तभी पत्रकार के मोबाईल की घंटी घनघना उठी.फोन पर आई सूचना सुनकर पत्रकार का चेहरा फ क्क हो गया.पीआर ने पूछा, या हुआ? पत्रकार रूआं से स्वर मंे बोला, अब मैं इस अखबार का पत्रकार नहीं रहा. पीआर बड़ी देर से उसकी बकवास सुन रहा था. अब उसे मौका मिल गया. उसने तुरंत व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, तुम तो यार बड़ी-बड़ी कंपनियों, अधिकारियों को हिला रहे थे. अब खुद ही हिल गए. पत्रकार काा चेहरा देखने लायक था.

खम्मम गोलीकांड के विरोध में माकपा का प्रदर्शन

रायपुर. आंध्रप्रदेश की खम्मम जिले में गरीबों द्वारा भूमि मांगने के दौरान पुलिस द्वारा की गई फायरिंग के विरोध में वामपंथियों ने राजधानी में विरोध जताया. इसके तहत सैंकड़ों माकपा कार्यकर्ताओं ने जयस्तंभ चौक में नारेबाजी प्रदर्शन करते हुए आंध्र के मुख्यमंत्री का पुतला जलाया. इस घटनाक्रम को वहां उपस्थित पुलिस वाले मूकदर्शन बने देखते रहे परंतु किसी ने उन्हें रोकने का प्रयास नहीं किया.

भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी मा क्‍र्सवादी के राज्य सचिव धर्मराज महापात्र,कामरेड एके लाल, मनोज दास,दुष्यंत तिवारी के नेतृत्व मंे दोपहर सैकड़ों माकपा कार्यकर्ता जयस्तंभ चौक पहुंचे. वहाँ ये लोग आंध्रप्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए खम्मम जिले में बर्बर पुलिसिया गोलीचालन में शामिल पुलिस कर्मियों पर हत्या का जुर्म दर्ज करने, मृतक के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा एवं घायलों को पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की मांग कर रहे थे. ये प्रदर्शनकारी अपने साथ आंध्र के मुख्यमंत्री राजेश्वर रेड्डी का पुतला लेकर पहुंचे थे. थाे़डी देर तक नारेबाजी करने के पश्चात इन्होंने इस पुतले को आग के हवाले कर दिया. इस दौरान वहां उपस्थित पुलिस वाले मूकदर्शक बने देखते रहे. माकपा के राज्य मंडल सचिव श्री महापात्र ने कहा कि खम्मम जिले में आंध्र पुलिस ने गरीब व निहत्थे लोगों पर सारी सीमाएं लांघते हुए इनकी आवाज को दबाने का घृणित प्रयास किया है, गरीब व निरीह लोगों की आवाज को सरकार दबा नहीं सकती, आंध्रा सरकार इन गरीबों के जमीन की माँग पर तत्काल कोई निर्णय ले नहीं तो आगामी दिनों वहाँ और बड़ा जनांदोलन होगा. प्रदर्शन में मारोति डोंगरे, सुजीत शर्मा, राजेश पराते, नवीन गुप्ता, विभाग समेत अन्य सैकड़ें वामपंथी कार्यकर्ता शामिल थे.

रिक्‍शों के कारण ट्रैफिक रेंगने मजबूर

वर्दी का भी अता-पता नहीं......
नगर निगम ने कुछ साल पहले रि शा चालकों को वर्दी का वितरण किया था. विभिन्न इलाकों में मेला लगाकर रि शा चालकों ने वर्दी प्राप्त की थी. कुछ समय में ही उनकी वर्दी तन से गायब हो गई और फटे-पुराने चिथड़ों लिपटे सवारी ढोते नजर आने लगा थे.

रायपुर. राजधानी के यातायात को सुधारने वाले पुलिस अफसरों ने एक बार फिर प्रयोग का दौर शुरू किया है. राजधानी की सड़कों पर ट्रैफिक को रेंगने के लिए मजबूर करने वाले अवैध रि शों पर कार्यवाही के लिये यह मूड बनाया गया है. वर्तमान में राजधानी के भीतर हजार के आसपास पंजीकृत रिक्‍शे हैं और चालीस हजार के आसपास रि शे चल रहे हैं.अभियान के लिए पुलिस नगर निगम का सहयोग लेगी और अवैध रूप से चलने वाले रि शों को जब्त करेगी.
राजधानी के जटिल यातायात को लेकर पुलिस प्रशासन हमेशा चिंतित रहा है. इसे सुधारने के लिए लगातार प्रयोग भी किया जाता रहा है. पर इस परेशानी के सामने सारे प्रयास बेकार साबित हो जाते हैं. एक बार फिर जटिल व्यवस्था को सुधारने के लिए एसएसपी ने मोर्चा संभाला है. दो दिन पहले वे खुद सड़क पर आकर लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक बनाने का प्रयास करते रहे. हालांकि उनका प्रयास कितना सफल हुआ इसकी गांरटी कोई नहीं ले सकता. एसएसपी ने टैे्रफिक सुधारने के लिए अभियान भी छेडने का फैसला लिया है. जानकारी के मुताबिक इसके लिए टैरफिक समस्या के कारणों को लेकर भी अध्ययन करने के बाद कुछ बिदु तैयार किए गए हैं. राजधानी की टैरफिक समस्या का मुख्य कारण धीमी गति को भी माना गया है और इसकी वजह राजधानी के भीतर यहां-वहां चलने वाले रि शे हैं. पुलिस ने इस बार सबसे पहले इन्ही पर लगाम कसने की तैयारी की है. जानकारी के मुताबिक राजधानी के भीतर पंजीकृत रिक्षों की संख्या नौ हजार के आसपास है. मगर यह आंकड़े चौंकाने वाले हो सकते हंै कि राजधानी की सड़कों पर लगभग चालीस हजार रि शे रंेग रहे है. पुलिस, नगर निगम से इनकी सूची निकलवाने के बाद रि शा चालकों की जांच कर अवैध रूप से सवारी ढ़ोने वाले पर करेगी.जाएगी. कुछ समय व्यस्त माने जाने वाले मार्र्गों से दूर रखने की कोशिश भी की गई थी. इन्हें आवाजाही के लिए बाईपास रोड का इस्तेमान करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन बाद में इस निर्णय का विरोध हुआ और शासन को अपना आदेश वापस लेना पड़ा था. राजधानी के टै्रफिक को लेकर विभिन्न संगठनों ने सर्वे के बाद रि शे को ही समस्या का प्रमुख कारण ठहराया था. रि शों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी का कारण दूसरे उड़ीसा से रोजी-रोटी की तलाश में छत्तीसगढ़ आने वालों को माना गया है. निचली बस्ती में रहने वाले अपने रिश्तेदारों के सहयोग से रि शा जुगाड़कर रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं और यातायात की समस्या को बढ़ाते है

रोका जा सकता था अयोध्या प्रकरण

नरसिम्हा राव ने चेतावनियांे को नजरअंदाज किया था पूर्व डा. रा अधिकारी की किताब में सामने आई बात
अयोघ्या विवाद और विवादित ढांचा ध्वंस समय रहते रोका जा सकता था, अगर तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने रा की चेतावनियों पर ध्यान दिया होता. खुफिया एजेंसी ने एक वरिष्ठ हिंदू धार्मिक नेता की दी हुई जानकारी के आधार पर राव को चेताया था कि वह भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी पर भरोसा न करें और उत्तर प्रदेश में राष्ट ्रपति शासन लागू कर दें. मगर राव ने इन चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया और नतीजा विवादित ढांचे के ध्वंस के रूप में सामने आया.
आडवाणी पर भरोसा न करने हिदायत दी थी
यह खुलासा भी रा के पूर्व अधिकारी बी.रान की किताब द कावबायज आफ रा: डाउन द मेमोरी लेन में हुआ है.रामन ने किताब में अयोध्या विवाद का विस्तार से उल्लेख किया है. उनके मुताबिक विवाद के दौरान प्रधानमंत्री राव की गुजारिश पर भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी कई बार उनसे मिले. हर बार आडवाणी ने प्रधानमंंत्री को यही भरोसा दिलाया कि विवादित ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंगा. कैबिनेट सचिवालय के अतिरिक्त सचिव पर से सेवानिवृत्ति हुए रामन ने अपनी किताब में लिखा है कि एक हिंदू धार्मिक नेता, जिसके रा व आईबी में कई उच्च अधिकारी मित्र थे, ने कई बार खुफिया एजेंसिया को चेताया था कि प्रधानमंत्री को आडवाणी पर विश्वास नहीं करना चाहिए. उसने इस बात की भी आशंका जताई थी कि कार से वक विवादित ढांचे को नुकसान पहुंचा सकते हैं. रामन के मुताबिक प्रधानमंत्री राव को इन सभी चेतावनियों की जानकारी मौखिक रूप से दी गई थी. राष्ट ्रपति शासन से रोका जा सकता था मामले को रामन के मुताबिक पहले राव ने आडवाणी से मिलने के लिए रा के एक गेस्ट हाऊस की व्यवस्था करने को कहा था. वह आडवाणी से अपने आधिकारिक आवास पर नहीं मिलना चाहते थे. मगर बाद मंे राव ने रा से एक खुफिया रिकार्डिंग मशीन मांगी और उसे चलाना भी सिख उनकी मंशा आडवाणी से अपनी मुलाकात के दौरान होने वाली बातचीत को रिकार्ड करने की थी. मगर छह दिसंबर, को विवादित ढांचा ध्वंस के बाद राव ने रिकार्डिंग रा को वापस कर दी. उन्होंने रिकार्डिंग हुई थी तो टेप कहां गए. रां ने उनसे कुछ पूछा भी नहीं. रामन के मुताबिक रां, आईबी और गृह मंत्रालय सभी ने बार-बार राव से कहा था कि उत्तर प्रदेश में राष्टपति शासन लागू कर दें. कार सेवकों को अयोध्या में एकत्रित न होने दे. न्याय व्यवस्था लागू करने के लिए केंद्रीय अद्र्घसैनिक बलों को तैनात किया जाए. मगर राव ने इन सभी बातों को नजरअंदाज किया और नतीजा विवादिता ढांचा ध्वंस के रूप में सामने आया.
मुंबई धमाकांे की भनक भी नहीं थीरा के पूर्व अधिकारी बी.रामन का कहना है कि अयोध्या में विवादित ढंाचा ध्वंस के बाद मार्च, को मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्घ धमाकों की खुफिया एजेंसियों को भनक भी नहीं लग पाई थी. ध्वंस के बाद महाराष्ट में भड़के दंगों को एजेंसियों ने एक साधारण घटना ही माना थ.धमाकों के विषयों मंे उन्हंे कोई जानकारी नहीं थी. धमाकों के बाद जांच के बारे में रामन कहते हें कि रा के हाथ पाकिस्तान एयरलाइंस की फलाइट मैनीफेस्ट की फोटोकापी लग पाई थी. इसमें धमाकों में शामिल लोगों की दुबई से कराची यात्रा की जानकारी थी. इसके अलावा रा ने दुबई में पाकिस्तानी कौंलुसेट से भी इस बात के सुबूत जुटाए कि इन लोगों को सादे कागजों पर वीजा जारी किया गया ताकि उनके पासपोर्ट पर पाकिस्तान यात्रा का कोई जिक्र न हो. इसके अलावा रा ने धमाकों के बाद इन अपराधियों के भागने के संबंध में दुबई, कराची और काठमांडू से कुछ संदेश भी पकड़े थे. इनमंे से कुछ में साजिशकार्ता की दाऊद इब्राहीम से बातचीत भी शामिल थी. रामन के मुताबिक धमाकों की जांच में मदद करने पहुंे अमेरिका एवं आस्ट्रियाई विशेषज्ञों ने किया इस्तेमाल किए गए विस्फोटक उस खेप का हिस्सा थे जो अमेरिका ने पाकिस्तान को क्ेत्त्० मंे भेजा था. आस्ट्रियाई विशेषज्ञों ने भी बताया था कि इस्तेमाल किए गए हैंडग्रेड पाकिस्तान की रक्षा फै ट्री में बनाए गए थे, जिसमें आस्ट्रिया से मिली औजारों का इस्तेमाल हुआ था.

झूम उठे कि आया सावन...

बूँदों ने दी दस्तक,
कलियों के पारे-पोर मुस्काए,
हर चेहरा खिलखिलाया,
जब सावन झूमकर आया...
पत्तियों पर पानी की मोती-सी बूँदें,हँसते-खिलखिलाते चेहरे,हर ओर हरियाली और हो भी यों न भला, सावन का सुहावना मौसम जो आ गया है. इस मौके को कोई भी गँवाना नहीं चाहता और इसके हर रंग को अपने अंदर भर लेना चाहता है. कहीं लड़कियों का झुँड झूलों का आनंद ले रहा होता है तो कहीं बच्चे कागज की कश्तियों से अपना मनोरंजन करते मिल जाते हैं. सबका अंदाज अलग भले हो, लेकिन मौका है हरियाली के स्वागत का. कहा जाता है कि सावन के अंधे को सबकुछ हरा ही नजर आता है, जब चारों ओर हरियाली-ही-हरियाली हो तो भला ये चूक तो हो ही जाएगी.
जिस तरह सावन के साथ खुशियों और उमंगों का चोली-दामन का साथ है, वैसे ही इसके साथ कई मान्यताएँ और परंपराएंँ भी जु़डी हुई हैं. देश के कई हिस्सों में इस मौसम मंे पर्व-त्योहारों का आयेाजन होता है. ऐसा माना जाता है कि सावन महीना खासतौर से शिवजी की आराधना से जु़डा होता है. मंदिरों में जोर-शोर से शिवजी की पूजा-अर्चना और श्रृँगार का वातावरण होता है.इस मौके पर लोग पूरे मास सोमवार का व्रत रखते हैं. महिलाएँ अपनी हथलियों पर मंेहदी रचाती है और तरह-तरह के पकवानों से भगवान को भोग लगाती है. ऐसा माना जाता है कि इस मास मंे उपवास रखने से कँुवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है. इसलिए वो भी पूरे उत्साह और उमंग के साथ शिवजी की आराधना करती हैं.
महत्ता
सावन का महत्व कई क्षेत्रों में अत्याधिक है. झारखंड राज्य का देवघर सावन के आते ही बम-भोले के नारों से गुँजायमान हो उठता है. बिहार के साथ-साथ कई राज्यों से लोग काँवड़ कंधे पर उठाए शिवजी के दर्शन को आते हैं. यहाँ मंदिर में शिवजी की एक झलक पाने और जल चढ़ाने के लिए लंबी कतारों में लोग घंटों खड़े रहते हैं.पूरा माहौल भक्तिमय हो उठता है.कई लोग जो डाक बम काँवडियां कहलाते हैं, बिना रूके बाबा धाम की क्०त्त् किलोमीटर की यात्रा पूरी कर जल चढ़ाते हैं. लाखों की संख्या मंे भक्तों की भीड़ होती है, जिससे हर उम्र के लोग पूरी भक्ति-भावना से शामिल होते है.
रिवाज
बिहार और झारखंड राज्यों में श्रावण महीने में नवविवाहिता ब्राह्णण स्त्रियाँ मधु श्रावणी करती हैं,जिसमें शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. यह क्ब् दिनों तक चलता है. इस दौरान स्त्रियाँ नमकयुक्त भोजना नहीं करतीं. ससुराल पक्ष द्वारा भेज दी गई पूजा सामग्री से ही पूजा संपन्न होती है. पूजा के चौदहवें दिन औरतों को भोजन पर आमंत्रित किया जाता है, जो शादी के मौके जैसा ही प्रतीत होता है.इसी तरह देश के अन्य हिस्सों में सावन महीने को पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है. कई क्षेत्रों में मायके से बेटियों को नए कपड़े और गहने भी भिजवाए जाते हैं और घर में एक उत्सव का माहौल रहता है. इस महीने में लोग अलग-अलग प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन और पकवान तैयार करते हैं. महिलाएँ समूह में इकठ्ठ ाा होकर आँगन या बगीचे में सावन के गीत गाती हैं,झूलने का आनंद उठाती हैं और तरह-तरह के पकवानों और अठखेलियों का मजा लेती हैं. उनका उत्साह देखते ही बनता है. रंग-बिरंगी साड़ियाँ और सोलह श्रृँगार करके जब ये महिलाएँ भगवान कृष्ण की पालकी तैयार कतरी हैं तो महौल भक्ति से सराबोर हो उठता है. वे कई तरह के हासपरिहास का भी आनंद लेती है. इन दृश्यों को देखने के बाद ऐसा आभास होता है कि सावन की छटा मौसम के साथ-साथ लोगों को भी अपने मोहपाश मंे बाँध लेती है.

सेतु समुद्रम् का मामला -डा. एन.पी.कुट्ट न पिल्लै

भारत सरकार की रामेश्वरम के पास कार्यविन्त होने वाली सेतु समुद्रम परियोजना आज विवादों के घेरे मंे हैं. वह इसलिए कि भारत के आस्थावान धर्मपरायण हिंदुओं के लिए यह भारी चिंता का विषय है, इसलिए कि उन्हें आशंका है कि इस परियोजना के कार्यान्वयन से श्रीलंका और रामेश्वरम के बीच पतली समुद्रपट्टी में स्थित एक अतिपुरातन सेतु के ध्वस्त होने की आशंका है. यह सेतु त्रेतायुग में राक्षसराजा रावण की लंका पर चढ़ाई हेतु भगवान राम ने वानरों की सहायता से बनवाया था और इस रामसेतु कहा गया था. यह एडम ब्रिज भी कहा जाता है. यह मात्र हिंदुओं की आस्था ही नहीं,भारत की एक ऐतिहासिक धरोहर भी हैं,जिसका संरक्षण करना किसी भी जिम्मेदार सरकार का कर्तव्य है. सबसे विचित्र बात तो यह है कि पाश्चात्य सभ्यता की चकाचौंध में अपने से विस्मृत एक जनसमुदाय आज भारत में मौजूदा है, जो भारतीय पुराणों को कपील कल्पना मानता है और मौक-बेमौके उनकी निंदा करता है. इसी जनसमुदाय का पल्ला पकड़कर सरकार हिन्दुओं की आस्था एवं विश्वास पर आघात पहुंचाने की बात है कि आज हिंदु शबद धर्मान्धता का पर्याय बन गया है. हमारे तथाकथित धर्म निरपेक्ष सज्जनों की दृष्टि में भारतीय संस्कृति के आधारस्वरूप वेद,उपनिषद,इतिहास, पुराण सब मिथ्या हैं. केरल की साम्यवादी सरकार का एक मंत्री नि:संकोच यह घोषित करता है कि देवमंदिरों में प्रतिष्ठि त समस्त देव-मूर्तियां नंग-धं़डग हैं. कामोत्तेजक हैं. इतना नहीं, हमारे देवी-देवता चप्पलों के टे्रडमार्क बन गए हैं, पर कहीं भी सरकार की ओर से इनके विरूद्घ कोई आवाज नहीं उठता. जगह-जगह गरीबी की आड़ में हिंदुओं का धर्मांतरण हो रहा है. आज हिंदु शब्द अपमानसूचक बन चुका है. उपर्युक्त वातावरण मंे कोई रामसेतु को मिथ्या,कपोल कल्पना कहे तो आश्चर्य की बात नहीं है, लेकिन रामसेतु ऊहापोह, कल्पना,भ्रंात मस्तिष्क की उपज नहीं, हाल ही में नासा द्वारा लिए गए चित्रों से यह पता चला है क रामेश्वरम और लंका के बीच तीस किलोमीटर लंबा चट्ट ानी तल अस्तित्व में है. इतना ही नहीं, भारतीय भाषाओं मंे विरचित शताधिक रामकाव्यों में दक्षिणी समुद्र में सेतु बंाधने का सविस्तार वर्णन आया है. वाल्मीकि कृत रामायण, संस्कृत की अध्यात्म रामायण, तुलसीदास कृत रामचरित मानस,बंगला की कृतिवास रामायण, मराठी का राघव विजय, तेलुगू रामायण तथा मोल्ल रामायण, कन्नड़ की पंप रामायण, तमिल की कंब रामायण, मलयालम की अध्यात्म रामायण-सबके सब एक ही स्वर में ये घोषित करते हैं कि भगवान राम की वानर-सेना ने विश्वकर्मा के पुत्र नल के नेतृत्व में शतयोजन लंबा और दस योजना चाै़डा पुल बनाया था, जिस पर से होकर राम और उकनी सेना लंका पर चढ़ाई करने आगे बढ़े थे. रामसेतु की सुरक्षा की पुकार मचाने वाला कोई भी हिन्दू सेतु समुद्रम परियोजना के खिलाफ नहीं है. वह इतना ही चाहता है कि परियोजना के कार्यान्वयन के लिए वैकाल्पिक मार्ग खोजा जाए.

फिर विवादों में बाबा रामदेव

देहरादून. योग गुरू स्वामी रामदेव और उनका आश्रम दिव्य योग ट्र्रस्ट एक बार फिर विवादों में फँसता नजर आ रहा है.
इस बार विवाद उनकी दवाओं-दावों और जड़ी-बूटियों के कारण नहीं बल्कि उनके गुरू स्वामी शंकरदेव के रहस्यमय ढंग से लापता हो जाने और उनके ट्रस्ट के स्वामित्व पर विवाद से सवाल उठ रहे हैं.स्वामी रामदेव का आश्रम दिव्य योग ट्रस्ट हरिद्वार के कनखल इलाके में है और पिदले क्ख् सालों से उनके गुरू स्वामी शंकरदेव उनके साथ ही यहाँ रहते थे.रामदेव इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और शंकरदेव संरक्षक हैं. शंकरदेव रामदेव के दीक्षा गुरू हैं और रामदेव ने उनसे योग और आयुर्वेद की शिक्षा ली है .पुलिस में दर्ज कराई गई गुमशुदगी की रिपोर्ट के अनुसार शंकरदेव क्ब् जुलाई की शाम को आश्रम से सैर के लिए निकलने के बाद नहीं लौटे हैं. स्वामी रामदेव इस समय अपने सहयोगियों के साथ विदेश दौरे पर है. उनकी अनुपस्थिति में ट्रस्ट के कर्ता-धर्ता आचार्य बालकृ़ष्ण ने बताया कि शंकरदेव ज्यादातर कार से ही आना-जाना करते थे लेकिन उस दिन शाम को रि शे से गए लेकिन उस दिन शाम को रि शे से गए लेकिन फिर लौंटे नहीं. पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दी है और हम भी अपने स्तर से छानबीन कर रहे हैं लेकिन अब तक कुछ पता नहीं चला पाया है. अनसुलझे सवाल: उधर पुलिस की शुरूआती जाँच में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. पुलिस ने शंकरदेव की एक चिठ्ठी बरामद की है. हरिद्वार के पुलिस अधीक्षक अजय जोशी का कहना है कि इस चिठ्ठी में शकरेदव ने तीन लोगों का नाम लेकर लिखा है कि उन पर इनका कर्ज है और वो चुका नहीं पाए. ऐसे में सवाल उठाता है कि उन्हें आखिर कर्ज लेने की आवश्यकता यों पड़ी? इस चिठ्ठ ी में शंकरदेव ने कष्ट में रहने की बात लिखी है. इससे भी पता चलता है कि शंकरदेव की टीबी का इलाज हरिद्वार के एक एलोपैथिक लीनिक में चल रहा था. सवाल ये भी उठता है कि योग और आयुर्वेद से असाध्य रोगों को ठीक करने का दावा करने वाले रामदेव के गुरू या इससे ठीक नहीं हो पाए और उनका एलोपैथिक इलाज कैसे किया जा रहा था. इस बाबत पूछे जाने पर आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि चिठ्ठी और उसमें लिखी बातों पर संदेह है. फिलहाल पुलिस ने इसे फारेंसिक जाँच के लिए भेज दिया है.

फिल्‍मी समाचार


संजय दत्त के सीने में दर्द

डाक्‍टरों की निगरानी में रखा गया
संजय पुणे के यरवदा जेल में बंद

यरवदा जेल में बंद फिल्म अभिनेता संजय दत्त ने सीने में दर्द की शिकायत की है. इसके बाद संजय दत्त को चार डा टरों की निगरानी में रखा गया है. अगले नौ दिनों तक संजय इन डा टरों की निगरानी में रखे जाएंगे. संजय का बैरक बदल कर अब उन्हें फ् नंबर के बैरक में रखा गया है. उनके सहअभियुक्त और दोस्त यूसुफ नलवाला क भी इसी बैरक में रखा गया है. एक अन्य घटनाक्रम में संजय के यमुना नगर स्थित पुश्तैनी घर में चोरी हो जाने की खबर है.

खुद को संभाल नहीं पा रहे हैं संजू

अवैध हथियार रखने के आरोप में छह साल की सजा पाए संजय दत्त पर जेल का पहला दो दिन ही बहुत भारी पड़ा है. पहले उन्हें मुंबई के ऑर्थर रोड जेल में रखा गया था लेकिन उन्हें सुरक्षा के लिहाज से वहां से हटा कर पुणे के यरवदा जेल लाया गया था. बदली दिनचर्या से संजय को काफी दिक्कतें आ रही हैं. ब् अगस्त की सुबह उनके सीने में दर्द व हाइपरटेंशन की शिकायत की.

डार्लिंग का बदला

निर्माता- भूषण कुमार-कृष्ण कुमार
निर्देशक- रामगोपाल वर्मा
गीतकार- समीर
संगीतकार- प्रीतम
कलाकार- फरदीन खान, ईशा देओल, ईशा कोप्पिकर, जाकिर हुसैन
डार्लिंग फिल्म के निर्देशक रामगोपाल वर्मा और नायक फरदीन खान इस समय असफलता से जूझ रहा हैं. फरदीन तो हाशिए पर खड़े हैं. उन्हें सोलो हीरो के रूप में लेकर फिल्म बनाने की हिम्मत किसी में भी नहीं है.डार्लिंग के रूप में उनके पास अंतिम अवसर है.
ये कहानी है आदित्य (फरदीन खान)की. आदित्य शादीशुदा है. उनकी पत्नी ईशा कोप्पिकर सुंदर होने के साथ-साथ घर का और आदित्य का पूरा खयाल रखती है. इसके बावजूद आदित्य के ईशा देओल के साथ संबंध हंै, जो उसी के साथ ऑफिस में काम करती है.
आदित्य अपनी चालकियों से झूठ बोलकर दोनों को बेवकूफ बनाता रहता है और मन ही मन प्रसन्न होता है.आदित्य के दिन अच्छी तरह कटते रहते हैं.
एक दिन आदित्य को उसकी प्रेमिका बताती है कि वह उसके बच्चे की माँ बनने वाली है.आदित्य यह सुनकर हताश व परेशान हो जाता है. उसे अहसास होता है कि वह अपनी पत्नी को नहीं छाे़ड सकता है.
आदित्य और उसकी पे्रमिका के बीच इस बात को लेकर विवाद हो जाता है और बात हाथापाई तक पहुँच जाती है. दुर्घटनावश प्रेमिका की मौत हो जाती है. घबराया हुआ आदित्य किसी तरह उसकी लाश को ठिकाने लगाकर घर पहुँचता है. उसे लगता है कि मुसीबतों से छुटकारा मिल गया है, परंतु उसका ऐसा सोचना गलत था. उसकी प्रेमिका न्याय माँगने के लिए बार फिर आदित्य के सामने आ जाती है, पर इस बार वह भूत बनकर आती है. वह तब तक आदित्य का पीछा नहीं छाे़डती, जब तक कि वह उससे बदला नहीं ले लेती.

मेरीगोल्ड

मेरीगोल्ड: सलमान की पहली बॉलीवुड फिल्म
निर्देशक: विलॉर्ड कैरोल
संगीत:शंकर महोदवन, अहसान नूरानी,ग्रैसी रिवेल
कलाकार: सलमान खान, अली लॉर्टर, नंदना सेन,इयान बोहेन, गुलशन ग्रोवर
हॉलीवुड की फिल्मों में अभिनय करने के लिए भारतीय कलाकार सदेव बेताब रहते हैं. सलमान खान भी इससे अछूते नहीं हैं. मेरीगोल्ड के जरिये वे हॉलीवुड में प्रवेश कर रहे हैं. इस फिल्म की ज्यादातर शूटिंग मुंबई, गोवा और राजस्थान में की गई है.
कैरोल किसी बॉलीवुड के कलाकार को ही नायक बनाना चाहते थे. उन्हांेने कई नायकों से बात की और अंत में सलमान को चुना. अमेरिकी अभिनेत्री मेरीगोल्ड लेवस्टन (अली लॉर्टर) भारत घूमने आती है. गोवा में उसके सारे पैसे खत्म हो जाते हैं. पैसों के लिए वह बॉलीवुड की एक फिल्म में छोटा-सा किरदार निभाने को तैयार हो जाती है. फिल्म में उसे नृत्य करना है, परंतु वह इस विधा में माहिर नहीं है. उसके अंदर आत्मविश्वास पैदा करने का काम फिल्म का कोरियाग्राफ र (सलमान खान) करता है. प्रेम के व्यक्तित्व और व्यवहार के कारण मेरीगोल्ड धीरे-धीरे उसकी ओर आकर्षित होने लगती है.
मेरीगोल्ड का दिल उस समय टूट जाता है, जब से उसे पता चलता है कि प्रेम शीघ्र ही जाह्वी (नंदना सेन)से विवाह करने वाला है. इसके बाद वह प्रेम का साथ छाे़ड देती है. जाहवी मेरीगोल्ड के पास जाकर उसे समझाती है कि वह गलत सोच रही है.
प्रेम सिर्फ मेरीगोल्ड को ही चाहता है. मेरीगोल्ड वापस प्रेम के पास आ जाती है.
इसी बीच मेरीगोल्ड का पुराना प्रेमी इयान बैरी (इयान बोहेन) अचानक भारत आ जाता है. उसे पता चलता है कि मेरीगोल्ड अब प्रेम को चाहने लगी है.
थाे़डे बहुत घुमाव-फिराव के बाद मेरीगोल्ड और प्रेम के बीच की सारी बाधाएँ दूर हो जाती है. दूसरी तरफ जाहवी और इयान मंे भी प्यार हो जाता है.

मैं सेफ गेम खेलना चाह रहा हूं

तुम बिन, आपको पहले भी कहीं देखा है, तथास्तु, दस जैसी फिल्मों के बाद अब अनुभव सिन्हा की फिल्म कैश दर्शकों के सामने है। अनुभव सिन्हा से बातचीत
कैश की कहानी केपटाउन की है। क्या इस तरह की मस्ती-धमाल भारतीय पृष्ठभूमि की कहानी में संभव नहीं था?
अपने देश में इस तरह की फिल्म की शूटिंग में दिक्कत पैदा हो जाती है। हम भले ही एक बड़े देश के नागरिक हंै, लेकिन यहां सुविधाआें की काफी कमी है। कम से कम कैश जैसी टेक्निकली स्ट्रांग फिल्म बनाने में न केवल वक्त ज्यादा लगता है और न ही वैसी रोमांचक लोकेशन हमारे पास हैं। हम अपने समुंदर इसलिए नहीं फिल्मा सकते, क्योंकि ये बेहद गंदे हैं। यही कारण है कि फिल्मकारों को कैश जैसी मनोरंजक फिल्म बनाने के लिए विदेशी पृष्ठभूमि की कहानी चुननी पड़ती है। आपकी पहचान इमोशनल फिल्मकार के तौर पर बन रही थी। अचानक थ्रिलर फिल्मों की ओर कैसे रुझान हो गया?
मैं सेफ गेम खेलना चाह रहा हूं। इसके पीछे पैसे कमाने की लालसा भी है। मुझे याद है कि मेरी पहली फिल्म तुम बिन की रिलीज में कितनी परेशानियां आइंर्। इसको रिलीज करने के लिए थिएटर नहीं मिल रहे थे। मेरी दूसरी फिल्म आपको पहले भी कहीं देखा है के लिए भी ऐसा ही हुआ। तब मुझे समझ में आया कि किसी निर्देशक को शुरुआती दौर में किस तरह की फिल्में बनानी चाहिए। मस्ती-धमाल वाली फिल्मों के लिए डिस्ट्रीब्यूटर हमेशा तैयार रहते हैं। स्टार भी ज्यादा नखरे नहीं करते। दस फिल्म इसका उदाहरण है। इसे रिलीज करने को हर थिएटर राजी था। इसे जबरदस्त ओपनिंग भी मिली थी।
कैश में ऐक्टरों के लुक काफी अलग हैं, हीरोइनों को भी आपने काफी गलैमरस दिखाया है?
यह फिल्म लुक और गलैमर पर ही तो टिकी है। कैश में हीरोइनें काफी गलैमरस लगी हैं और सारे हीरो अपने खास लुक में बखूबी जमे हैं। यह एक ऐसी फिल्म है, जिसमें दर्शकों को अपने दिमाग का इस्तेमाल करने की जरूरत न पड़े। यह धूमधड़ाके वाली मनोरंजक फिल्म है।
क्या अजय देवगन, जाएद खान, सुनील शेट्टी, रितेश देशमुख, ऐशा देओल, दीया मिर्जा और शमिता को लिया जाना पहले से तय था? हां, लगभग सभी कलाकार कहानी लिखते समय ही तय हो गए थे। यह मेरा नसीब है कि सभी ने काम करने की हामी भर दी। रितेश और शमिता को जरूर बाद में साइन किया गया। आयशा टाकिया तो सरप्राइज के तौर पर ही हमसे ज़ुडीं। उनके फिल्म में होने की बात हमने भी छुपाए रखी। तथास्तु की विफलता के बाद आपकी सोच बदल गई लगती है? अच्छी स्टारकास्ट होने के बावजूद यह फिल्म नहीं चल पाई?
मेरा मानना है कि किसी नए फिल्मकार को तभी स्थायी कामयाबी मिलेगी, जब वह बॉक्स ऑफिस में हिट होगा। इसके लिए उसे ऐसी फिल्मों से जु़डना होगा, जिसमें जोखिम कम हो। चुनौतीपूर्ण फिल्म बनाना नए फिल्मकार के लिए जोखिम भरा काम है। तथास्तु के न चलने से मैं वाकई काफी परेशान हुआ। हालांकि निर्माता ने इसका प्रमोशन ढंग से नहीं किया था और यह एक अंगरेजी फिल्म पर आधारित थी। दस के हिट होने के बाद आप रिस्क ले सकते थे?
मैं कैश के बाद चेस बना रहा हं, जो पच्चीस करोड़ की फिल्म होगी। इसकी पूरी शूटिंग रोम में की जाएगी। इसके बाद मैं राजीव गांधी हत्याकांड पर फिल्म बनाऊंगा। एक और फिल्म के बारे में सोचा जा रहा है।

बदलना बालन का

सिर्र्फ साड़ी और बिंदी वाली भूमिकाओं से बॉलीवुड में लंबी दूरी नहीं तय की जा सकती। इस बात को विद्या बालन ने समय रहते समझ लिया है। यही कारण है कि हे बेबी में वह एक ग्लैमरस किरदार में दिखेंगी। या विद्या एकदम नए लुक में दर्शकों के दिलों में अपने लिए जगह बनाने में कामयाब हो पाएंगी? बता रहे हैं हरि मृदुल कायांतरण हो चुका है। परिणीता अब ईशा बन चुकी हैंं। परिणीता यानी भारतीय नारी का प्रामाणिक बिंब और ईशा यानी आधुनिकता की मोहक बानगी। साजिद नाडियाडवाला की साजिद खान के निर्देशन में बनी फि ल्म हे बेबी में विद्या बालन को वे दर्शक नहीं पहचान पाएंगे, जो उन्हे विधुविनोद चोपड़ा़ की प्रदीप सरकार के निर्देशन में बनी फि ल्म परिणीता के कारण जानते हैं। यह भी संभव है कि विद्या को एकदम नए रूप में देखकर उनके दिलों को ठेस पहुचे। कहां माथे पर बड़ी सी लाल गोल बिंदी और शालीन बनारसी साड़ी। कहां मिनी स्कर्र्ट पहने हर किसी को आमंत्रित करती ईशा की जानलेवा अदा। लेकिन विद्या के लिए यह कायांतरण जरूरी था। वरना उनकी भी वैसी ही हालत होने की संभावना ज्यादा थी, जैसी लगान की गौरी यानी ग्रेसी सिंह की हुई है या तेरे नाम की भूमिका चावला की। हो सकता है कि उन्हे स्वदेस की गायत्री जोशी की तरह कुछ साल बाद इंडस्ट्री को अलविदा कहकर शादी के मंडप में सात फेरे लेने पड़ जाते। परंतु समझदार वही है, जो दूसरों की गलती से सबक ले।
हे बेबी के निर्देशक साजिद खान की मानें, तो वाकई विद्या इस फिल्म में बहुत ग्लैमरस नजर आई हैं। वह सिडनी के एक अमीर की बेटी बनी हैं। तीन-तीन हीरो अक्षय कुमार, फरदीन खान और रितेश देशमुख जैसे छैल-छबीले उनके पीछे पड़े हैं। वे भी पूरी मस्ती के साथ उनसे खेल कर रही है। कभी इसके साथ और कभी उसके साथ। असल में बालन ने अब उस विद्या को समझ लिया है, जिसके सहारे जवां दिलों पर आसानी से राज किया जा सकता है। लोगों के दिलों में ग्लैमरस छवि बसाने के लिए इस दक्षिण भारतीय लड़क़ी ने अब कमर कस ली है। निर्देशक साजिद खान याद करते हैं कि आज से कई साल पहले मुंबई के नामचीन कॉलेज सेंंट जैवियर्स में पहली बार जब विद्या से मुलाकात हुई थी, तब वह कितनी गोल-मटोल थीं। तब साजिद को बतौर गेस्ट आमंत्रित किया गया था। साजिद टीवी पर्सनालिटी थे तो विद्या सामान्य सी स्टूडेट। विद्या उन दिनों को याद करती हैं, 'मैं बहुुत बोरिंंग स्टूडेट थी। पढ़ाई से ज्यादा फिल्में देखती थी। तब मेरे दो ही पसंदीदा काम थे, फिल्में देखना और स्वादिष्ट भोजन करना। मैं खा-खाकर मोटी होती जा रही थी, लेकिन मन मंे कहींं सपना पल रहा था कि फिल्मों मेंं बतौर हीरोइन काम करना है। मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती थी, लेकिन लोग मेरी बात को कतई गंभीरता से नहीं लेते थे। मैं माधुरी के एक दो तीन... गाने की दीवानी थी और उसे पचासों बार देख चुकी थी। विद्या ने जब एकता कपूर के धारावाहिक हम पांच में काम किया, तब भी वह मोटी थींं। हम पांच की लोकप्रियता तब चरम पर थी। इस धारावाहिक में काम पाने के बाद लोगों ने उनकी बातोंं पर विश्वास करना शुरू कर दिया कि वाकई यह साउथ इंडियन लड़क़ी कुुछ कर सकती है। विद्या याद करती हैंं कि कैैसे अचानक एक दिन उन्हे केरल टूरिज्म के एक विज्ञापन में काम करने का मौका मिल गया और जीवन की पहली कमाई पांच सौ रुपये के रूप में उन्हे हासिल हुई। विद्या बताती हैं, 'इन पांच सौ रुपयों से मुझे कितनी खुशी हुई मैं बता नहीं सकती।`
दो साल पहले प्रदीप सरकार के निर्देशन में फिल्म परिणीता मेंं विद्या बालन ने कुछ इस अंदाज में शीर्षक भूमिका निभाई कि दर्शकों ने उनमें एक साथ मधुबाला, नर्गिस और मीना कुुमारी की छबि देख ली। वर्र्षों बाद लोगों को एक ऐसी अभिनेत्री के दीदार हुए, जिसमें पुरानी अभिनेत्रियों सी शोख अदा थी और जो आंखों से बोलती थी। कम लोग जानते हैं कि परिणीता से पहले दो मलयालम और दो तेलुगू फिल्‍मों में भाग्य आजमा चुकी विद्या को हर बार मुंहकी खानी पड़ी। उनकी दोनों मलयालम फिल्में शुरू होने से पहले ही बंद हो गई। एक तमिल फि ल्म उन्हे सिर्र्फ दो दिन काम करने के बाद इसलिए छोड़ देनी पड़ी, क्योंकि वह एक सेक्स कॉमेडी थी। दूसरी तमिल फि ल्म से उन्हे यह कह कर निकाल दिया गया कि वे हीरोइन बनने के लायक नहीं हैं। इतना ही नहीं, उनके बारे में प्रचारित हो गया कि वे जिंक्स फैक्टर हैं।
जिंक फैैक्टर यानी किसी भी प्रोजेक्ट केेलिए अशुभ। पांव पड़त़े ही बनता काम बिगड़ जाए। विद्या उन दिनों को याद करती हैंं, तो जैसे उनकी रूह कांप उठती है। वह कहती हैं, 'तब मैं जिस भी प्रोजेक्ट से जु़डत़ी थी, वह बंद हो जाता था। मैं हताश हो चुकी थी। लेकिन मेरेे माता-पिता ने हमेशा ही सिखाया कि धैर्य से काम लेना चाहिए। जो होता है, अच्छेे के लिए ही होता है।` कम लोग जानते हैं कि विद्या की ऐक्ंटिग कैैरियर की शुरुआत हम पांच धारावाहिक से नहीं, ला वेलाज धारावाहिक से हुुई थी। रमन कुुमार के इस धारावाहिक में क ाम पाने के लिए उन्होंने एक चलताऊ स्टूूडियो से अपनी फोटो खिंचवाईर। आश्चर्यजनक ढंग से उनका चयन भी हो गया, लेकिन अफसोस कि कुुछ ऐपिसोड की शूटिंग के बाद धारावाहिक बंद कर देना पड़ा।