वर्दी का भी अता-पता नहीं......
नगर निगम ने कुछ साल पहले रि शा चालकों को वर्दी का वितरण किया था. विभिन्न इलाकों में मेला लगाकर रि शा चालकों ने वर्दी प्राप्त की थी. कुछ समय में ही उनकी वर्दी तन से गायब हो गई और फटे-पुराने चिथड़ों लिपटे सवारी ढोते नजर आने लगा थे.
रायपुर. राजधानी के यातायात को सुधारने वाले पुलिस अफसरों ने एक बार फिर प्रयोग का दौर शुरू किया है. राजधानी की सड़कों पर ट्रैफिक को रेंगने के लिए मजबूर करने वाले अवैध रि शों पर कार्यवाही के लिये यह मूड बनाया गया है. वर्तमान में राजधानी के भीतर हजार के आसपास पंजीकृत रिक्शे हैं और चालीस हजार के आसपास रि शे चल रहे हैं.अभियान के लिए पुलिस नगर निगम का सहयोग लेगी और अवैध रूप से चलने वाले रि शों को जब्त करेगी.
राजधानी के जटिल यातायात को लेकर पुलिस प्रशासन हमेशा चिंतित रहा है. इसे सुधारने के लिए लगातार प्रयोग भी किया जाता रहा है. पर इस परेशानी के सामने सारे प्रयास बेकार साबित हो जाते हैं. एक बार फिर जटिल व्यवस्था को सुधारने के लिए एसएसपी ने मोर्चा संभाला है. दो दिन पहले वे खुद सड़क पर आकर लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक बनाने का प्रयास करते रहे. हालांकि उनका प्रयास कितना सफल हुआ इसकी गांरटी कोई नहीं ले सकता. एसएसपी ने टैे्रफिक सुधारने के लिए अभियान भी छेडने का फैसला लिया है. जानकारी के मुताबिक इसके लिए टैरफिक समस्या के कारणों को लेकर भी अध्ययन करने के बाद कुछ बिदु तैयार किए गए हैं. राजधानी की टैरफिक समस्या का मुख्य कारण धीमी गति को भी माना गया है और इसकी वजह राजधानी के भीतर यहां-वहां चलने वाले रि शे हैं. पुलिस ने इस बार सबसे पहले इन्ही पर लगाम कसने की तैयारी की है. जानकारी के मुताबिक राजधानी के भीतर पंजीकृत रिक्षों की संख्या नौ हजार के आसपास है. मगर यह आंकड़े चौंकाने वाले हो सकते हंै कि राजधानी की सड़कों पर लगभग चालीस हजार रि शे रंेग रहे है. पुलिस, नगर निगम से इनकी सूची निकलवाने के बाद रि शा चालकों की जांच कर अवैध रूप से सवारी ढ़ोने वाले पर करेगी.जाएगी. कुछ समय व्यस्त माने जाने वाले मार्र्गों से दूर रखने की कोशिश भी की गई थी. इन्हें आवाजाही के लिए बाईपास रोड का इस्तेमान करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन बाद में इस निर्णय का विरोध हुआ और शासन को अपना आदेश वापस लेना पड़ा था. राजधानी के टै्रफिक को लेकर विभिन्न संगठनों ने सर्वे के बाद रि शे को ही समस्या का प्रमुख कारण ठहराया था. रि शों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी का कारण दूसरे उड़ीसा से रोजी-रोटी की तलाश में छत्तीसगढ़ आने वालों को माना गया है. निचली बस्ती में रहने वाले अपने रिश्तेदारों के सहयोग से रि शा जुगाड़कर रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं और यातायात की समस्या को बढ़ाते है
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