नरसिम्हा राव ने चेतावनियांे को नजरअंदाज किया था पूर्व डा. रा अधिकारी की किताब में सामने आई बात
अयोघ्या विवाद और विवादित ढांचा ध्वंस समय रहते रोका जा सकता था, अगर तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने रा की चेतावनियों पर ध्यान दिया होता. खुफिया एजेंसी ने एक वरिष्ठ हिंदू धार्मिक नेता की दी हुई जानकारी के आधार पर राव को चेताया था कि वह भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी पर भरोसा न करें और उत्तर प्रदेश में राष्ट ्रपति शासन लागू कर दें. मगर राव ने इन चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया और नतीजा विवादित ढांचे के ध्वंस के रूप में सामने आया.
आडवाणी पर भरोसा न करने हिदायत दी थी
यह खुलासा भी रा के पूर्व अधिकारी बी.रान की किताब द कावबायज आफ रा: डाउन द मेमोरी लेन में हुआ है.रामन ने किताब में अयोध्या विवाद का विस्तार से उल्लेख किया है. उनके मुताबिक विवाद के दौरान प्रधानमंत्री राव की गुजारिश पर भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी कई बार उनसे मिले. हर बार आडवाणी ने प्रधानमंंत्री को यही भरोसा दिलाया कि विवादित ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंगा. कैबिनेट सचिवालय के अतिरिक्त सचिव पर से सेवानिवृत्ति हुए रामन ने अपनी किताब में लिखा है कि एक हिंदू धार्मिक नेता, जिसके रा व आईबी में कई उच्च अधिकारी मित्र थे, ने कई बार खुफिया एजेंसिया को चेताया था कि प्रधानमंत्री को आडवाणी पर विश्वास नहीं करना चाहिए. उसने इस बात की भी आशंका जताई थी कि कार से वक विवादित ढांचे को नुकसान पहुंचा सकते हैं. रामन के मुताबिक प्रधानमंत्री राव को इन सभी चेतावनियों की जानकारी मौखिक रूप से दी गई थी. राष्ट ्रपति शासन से रोका जा सकता था मामले को रामन के मुताबिक पहले राव ने आडवाणी से मिलने के लिए रा के एक गेस्ट हाऊस की व्यवस्था करने को कहा था. वह आडवाणी से अपने आधिकारिक आवास पर नहीं मिलना चाहते थे. मगर बाद मंे राव ने रा से एक खुफिया रिकार्डिंग मशीन मांगी और उसे चलाना भी सिख उनकी मंशा आडवाणी से अपनी मुलाकात के दौरान होने वाली बातचीत को रिकार्ड करने की थी. मगर छह दिसंबर, को विवादित ढांचा ध्वंस के बाद राव ने रिकार्डिंग रा को वापस कर दी. उन्होंने रिकार्डिंग हुई थी तो टेप कहां गए. रां ने उनसे कुछ पूछा भी नहीं. रामन के मुताबिक रां, आईबी और गृह मंत्रालय सभी ने बार-बार राव से कहा था कि उत्तर प्रदेश में राष्टपति शासन लागू कर दें. कार सेवकों को अयोध्या में एकत्रित न होने दे. न्याय व्यवस्था लागू करने के लिए केंद्रीय अद्र्घसैनिक बलों को तैनात किया जाए. मगर राव ने इन सभी बातों को नजरअंदाज किया और नतीजा विवादिता ढांचा ध्वंस के रूप में सामने आया.
मुंबई धमाकांे की भनक भी नहीं थीरा के पूर्व अधिकारी बी.रामन का कहना है कि अयोध्या में विवादित ढंाचा ध्वंस के बाद मार्च, को मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्घ धमाकों की खुफिया एजेंसियों को भनक भी नहीं लग पाई थी. ध्वंस के बाद महाराष्ट में भड़के दंगों को एजेंसियों ने एक साधारण घटना ही माना थ.धमाकों के विषयों मंे उन्हंे कोई जानकारी नहीं थी. धमाकों के बाद जांच के बारे में रामन कहते हें कि रा के हाथ पाकिस्तान एयरलाइंस की फलाइट मैनीफेस्ट की फोटोकापी लग पाई थी. इसमें धमाकों में शामिल लोगों की दुबई से कराची यात्रा की जानकारी थी. इसके अलावा रा ने दुबई में पाकिस्तानी कौंलुसेट से भी इस बात के सुबूत जुटाए कि इन लोगों को सादे कागजों पर वीजा जारी किया गया ताकि उनके पासपोर्ट पर पाकिस्तान यात्रा का कोई जिक्र न हो. इसके अलावा रा ने धमाकों के बाद इन अपराधियों के भागने के संबंध में दुबई, कराची और काठमांडू से कुछ संदेश भी पकड़े थे. इनमंे से कुछ में साजिशकार्ता की दाऊद इब्राहीम से बातचीत भी शामिल थी. रामन के मुताबिक धमाकों की जांच में मदद करने पहुंे अमेरिका एवं आस्ट्रियाई विशेषज्ञों ने किया इस्तेमाल किए गए विस्फोटक उस खेप का हिस्सा थे जो अमेरिका ने पाकिस्तान को क्ेत्त्० मंे भेजा था. आस्ट्रियाई विशेषज्ञों ने भी बताया था कि इस्तेमाल किए गए हैंडग्रेड पाकिस्तान की रक्षा फै ट्री में बनाए गए थे, जिसमें आस्ट्रिया से मिली औजारों का इस्तेमाल हुआ था.
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