Saturday, August 4, 2007

सेतु समुद्रम् का मामला -डा. एन.पी.कुट्ट न पिल्लै

भारत सरकार की रामेश्वरम के पास कार्यविन्त होने वाली सेतु समुद्रम परियोजना आज विवादों के घेरे मंे हैं. वह इसलिए कि भारत के आस्थावान धर्मपरायण हिंदुओं के लिए यह भारी चिंता का विषय है, इसलिए कि उन्हें आशंका है कि इस परियोजना के कार्यान्वयन से श्रीलंका और रामेश्वरम के बीच पतली समुद्रपट्टी में स्थित एक अतिपुरातन सेतु के ध्वस्त होने की आशंका है. यह सेतु त्रेतायुग में राक्षसराजा रावण की लंका पर चढ़ाई हेतु भगवान राम ने वानरों की सहायता से बनवाया था और इस रामसेतु कहा गया था. यह एडम ब्रिज भी कहा जाता है. यह मात्र हिंदुओं की आस्था ही नहीं,भारत की एक ऐतिहासिक धरोहर भी हैं,जिसका संरक्षण करना किसी भी जिम्मेदार सरकार का कर्तव्य है. सबसे विचित्र बात तो यह है कि पाश्चात्य सभ्यता की चकाचौंध में अपने से विस्मृत एक जनसमुदाय आज भारत में मौजूदा है, जो भारतीय पुराणों को कपील कल्पना मानता है और मौक-बेमौके उनकी निंदा करता है. इसी जनसमुदाय का पल्ला पकड़कर सरकार हिन्दुओं की आस्था एवं विश्वास पर आघात पहुंचाने की बात है कि आज हिंदु शबद धर्मान्धता का पर्याय बन गया है. हमारे तथाकथित धर्म निरपेक्ष सज्जनों की दृष्टि में भारतीय संस्कृति के आधारस्वरूप वेद,उपनिषद,इतिहास, पुराण सब मिथ्या हैं. केरल की साम्यवादी सरकार का एक मंत्री नि:संकोच यह घोषित करता है कि देवमंदिरों में प्रतिष्ठि त समस्त देव-मूर्तियां नंग-धं़डग हैं. कामोत्तेजक हैं. इतना नहीं, हमारे देवी-देवता चप्पलों के टे्रडमार्क बन गए हैं, पर कहीं भी सरकार की ओर से इनके विरूद्घ कोई आवाज नहीं उठता. जगह-जगह गरीबी की आड़ में हिंदुओं का धर्मांतरण हो रहा है. आज हिंदु शब्द अपमानसूचक बन चुका है. उपर्युक्त वातावरण मंे कोई रामसेतु को मिथ्या,कपोल कल्पना कहे तो आश्चर्य की बात नहीं है, लेकिन रामसेतु ऊहापोह, कल्पना,भ्रंात मस्तिष्क की उपज नहीं, हाल ही में नासा द्वारा लिए गए चित्रों से यह पता चला है क रामेश्वरम और लंका के बीच तीस किलोमीटर लंबा चट्ट ानी तल अस्तित्व में है. इतना ही नहीं, भारतीय भाषाओं मंे विरचित शताधिक रामकाव्यों में दक्षिणी समुद्र में सेतु बंाधने का सविस्तार वर्णन आया है. वाल्मीकि कृत रामायण, संस्कृत की अध्यात्म रामायण, तुलसीदास कृत रामचरित मानस,बंगला की कृतिवास रामायण, मराठी का राघव विजय, तेलुगू रामायण तथा मोल्ल रामायण, कन्नड़ की पंप रामायण, तमिल की कंब रामायण, मलयालम की अध्यात्म रामायण-सबके सब एक ही स्वर में ये घोषित करते हैं कि भगवान राम की वानर-सेना ने विश्वकर्मा के पुत्र नल के नेतृत्व में शतयोजन लंबा और दस योजना चाै़डा पुल बनाया था, जिस पर से होकर राम और उकनी सेना लंका पर चढ़ाई करने आगे बढ़े थे. रामसेतु की सुरक्षा की पुकार मचाने वाला कोई भी हिन्दू सेतु समुद्रम परियोजना के खिलाफ नहीं है. वह इतना ही चाहता है कि परियोजना के कार्यान्वयन के लिए वैकाल्पिक मार्ग खोजा जाए.

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