Saturday, August 11, 2007

फिल्‍मी खबरें

मैं गोविंदा ही रहना चाहता हूँ

मीठी बोली, स्वभाव में चंचलता और हमेशा मुस्कराते रहने वाले अभिनेता गोविंदा पिछले दिनों भेट हुई. प्रस्तुत हैं गोविंदा से की गई बातचीत के अंश:

गोविंदा , आप की तथा करिश्मा कपूर की जाे़डी हमेशा सफल रही है? या बात है कि अब करिश्मा आपके साथ काम करने की इच्छुक नहीं है?
ऐसी बात नहीं है. अभी-अभी हम ने हसीना मान जाएगी फिल्म साथ-साथ की है. मैं करिश्मा काम करने के लिए मजबूर नहींं कर सकती. संभव है कि वह कुछ गंभीर भूमिकाएं करने जा रही हो.
या आप ऐसा महसूस नहीं करते कि डेविड धवन की रूचि आपकी ओर से हटती जा रही है. करिश्मा भी आप के बारे में अधिक गंभीर नहीं है.?
(हंसते हुए)ऐसी बात नहीं है. इस फिल्म उद्योग में हर आदमी तरक्की चाहता है. खास कर जब उसके पीछे निर्माताआें की कतार लग जाती है. मुझे इस बात की खुशी है कि मैं इस फिल्म जगत में सफल रहा हूँ. करिश्मा आज सफलता की चोटी पर पहुंच चुकी है तथा डेविड धवन सफलता की कुंजी समझे जाने लगे हैं. ये दोनों कलाकार यदि अन्य कलाकारों को बढ़ावा दे रहे हैं तो यह प्रगति के लक्षण हैं. मेरी शुभकामनाएं उनके साथ है.
रानी मुखर्जी से घनिष्ट संबंधों के बारे मंे जो चर्चाएं है.उनमें कितनी सच्चाई है?
(ठहाका लगाते हुए)आप को या लगता है? अरे,आप तो श्रृंखला ही भूल गए.नीलम, जूही चावला, करिश्मा कपूर, रवीना टंडन के बाद अब रानी मुखर्जी भ् वीं जिस के साथ मेरे संबंधों की चर्चाएं हो रही हंै.इस हिसाब से मेरे रोमांसों की गणना की जाए तो मेरा रिकार्ड बुरा नहीं हैं, वैसे भी दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, देवानंद से ले कर गोविंदा तक सभी के बारे में कभी न कभी ऐसी चर्चाएं छपती रही हैं तथा भविष्य में भी यह परंपरा लगातार चलती रहेगी. लेकिन सच बात यह है कि मैं अभिनेत्रियों के साथ सैट पर काफी संतुलन बनाए रखता हूं, ताकि कैमरे के सामने सही तथा सटीक अभिनय कर सकूं.
आप तो रानी को लेने के लिए निर्माताआें पर दबाव भी डाल चुके हैं?
नहीं नहीं, यह सच नहीं है. रानी के लिए मैं निर्माताआें को सुझाव ही देता हूं.
यह सुझाव भी तब देता हूं. जब निर्माता मेरा सुझाव मांगते हैं. उसे मानना न मानना निर्माताआें पर निर्भर है.
बड़े-बड़े निर्माता अब भी आप को अपनी फिल्म में लेने से यों हिचकते हैं?
मैं नहीं जानता. मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. एक बात तो सही है कि मैं जब भी यश चोपड़ा अथवा सुभाष घई के साथ काम करूंगा तो अपनी शर्तों पर ही करूंगा. मुझे सुभाष घई ने ताल में अनिल कपूर वाली भूमिका का प्रस्ताव दिया था, किन्तु मैंने अस्वीकार कर दिया था किन्तु मैंने अस्वीकार कर दिया.
इस अस्वीकृति का या कारण था?
कोई खास कारण नही था. मुझे ऐसा लगा कि मैं इस प्रकार की भूमिका निभाने में असमर्थ हूँ. इसलिए मैंने अनुरोध पूर्वक सुभाष घई को मना कर दिया.
कलाकार तो हर तरह की भूमिका कर सकता है. आप के साथ या कठिनाई थी?
देखिए, मैं अशोक कुमार, दिलीप कुमार या अमिताभजी जैसा महान कलाकार नहीं हूं. मुझे अपने अभिनय की सीमाएं पता हैं तथा मैं सीमाआें के पार नहीं जाना चाहता हूं. मैं गोविंदा हूं और गोविंदा ही बना रहना चाहता हूँ.



बालीवुड में गोरी मेमें

पिछले कुछ सालों से बालीवुड में ग्लैमर से भरपूर विदेशी चेहरों को काफी तरजीह दी जा रही है. हाल ही में रिलीज कुछ हिंदी फिल्मों पर नजर डालें, तो हर दूसरी फिल्म में विदेश हीरोइनें हिंदुस्तानी हीरोइनों को चुनौती सी दे रही हैं.
फिल्म आउट आफ कंट्रोल की बें्रडे राड्रि स मंगल पांडे: द राइजिंग, की टाव स्टीफेंस, लगान की रसेल शैल, रंग दे बसंती की एलिया पैटन, किसना की एंटोनियों बर्नेथ, सलाम नमस्ते की आस्ट्रेलियन हीरोइन तानिया जेएटा व ओम जाय जगदीश की ब्रायन खास है.

फिल्म बूम की कैटरीना कै फ, रोग की से सी अदा बिखेरने वाली विदेशी हीरोइन आयलीन हम्मान, दम की आइटम गर्ल याना गुप्ता, ंकिग आफ बालीवुड की सोफिया ढल, पापकार्न खाओ मस्त हो जाओ की डांसर जेलीना, दिल जो भी कहे की एनाबेल वैलेस, दिल चाहता है की क्रिस्टीना के जलवे भारतीय दर्शक देख चुके हैं.
आने वाले दिनों में भारतीय दर्शक और भी फिल्मों में विदेशी चेहरों को देख सकेंगे. फिलहाल तो तकरीबन ख्० से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों में विदेशी हीराइनें काम कर रही हैं.

वासु भगवानी की फिल्म आउट आफ कंट्रोल मंे अमेरिका की बे्रंडे राड्रि स जब हीरोइन बन कर आईं, तो उस समय मीडिया में काफी चर्चा हुई. कहानी की मांग के हिसाब से इस ग्लैमर विदेशी लड़की को फिल्म में लिया गया था, लेकिन वह कुछ हंगामा नहीं कर सकी.

फिल्म लगान की रसेल शैल, मंगल पांडे, द राइजिंग की टाव स्टीफेंस व रंग दे बसंती की एलिसा पैटन की भी काफी चर्चा हुई.

तीनों फिल्मों में आमिर खान हीरों थे. इस वजह से उनकी हीरोइनों को भी मीडिया में काफी शोहरत मिली. इन हीरोइनों के काम की तारीफ तो हुई, लेकिन उन्हें दूसरी हिन्दी फिल्मों मंें काम नहीं मिला.
सुभाष घई की फिल्म किसना में एंटोनियों बर्नेथ को बतौर विवेक ओबराय की हीरोइन सामने लाया गया था.वह ब्रिटेन की जानी मानी स्टेज कलाकार हैं.

फिल्म किसना बुरी तरह से फलाप रही, जिस की वजह से बर्नेथ को किसी दूसरे फिल्मकार ने मौका नहीं दिया.
पूजा भट्ट की फिल्म रोग से बालीवुड में एंट्री करने वालीे दक्षिण अफ्रीका की सुपर माडल आयलीन हम्मान के काम की चर्चा तो नहीं हुई, पर फिल्म से सी अदाआें वाले पोस्टरों के लिए काफी चर्चा में रही.
फिल्म सलाम नमस्ते में बहुत से विदेशी कलाकारों के अलावा आस्ट्रेलिया की तानिया जेएटा ने भी काम किया. फिल्म तो हिट रही, पर इसका सेहरा सैफ अली व प्रीति जिंटा के सिर बंधा.

फिल्म किंग आफ बालीवुड जैसी फिल्म में ओमपुरी के साथ ब्रिटेन की खूबसूरत माडल सोफिया ढल दिखाई दीं, पर दर्शकांें ने फिल्म के साथ-साथ उन्हें भी नकार दिया.

यही हाल फिल्म पापकार्न खाओ मस्त हो जाओ में डंासर बनी जेलीना के साथ हुआ. फिल्म ओम जाय जगदीश में फरदीन खान की बेस्ट फ्रेंड का रोल अदा करने वाली ब्रायन भी कोई खास जलवा नहीं दिखा सकी.
विदेश से आने वाली हीरोइनों में सब से ज्यादा निगार खान चर्चा में रहीं. चढ़ती जवानी और रामारामा जैसे हाट रीमि स वीडियो अलबम से अपने कैरियर की शुरूआत करने वाली ईरानी मूल की पाप सिंगर निगार खान नार्वे की रहने वाली हैं.

जिस्म दिखाने और भड़कीले डांस से सहारे वह लगातार कामयाबी की सीढ़ी चढ़ती रहीं. ख्-फ् सालों मंे उन्हांेने कई अलबम करने के अलावा शादी का लड्ड ू , रूद्राक्ष, डबल क्रास जैसी फिल्मों मंे अपने आइटम डांस में ए सपोज की सारी हदें लांघ कर कम से कम कपड़ों में परदे पर आने में कोई एतराज नहीं किया.

अचानक उन्हें वीजा नियमों के उल्लंघन के चलते भारत छाे़डने पड़ा, जिसकी वजह से उनकी भ्-म् फिल्में डब्बे में बंद हो गइंर् और बालीवुड के कई फिल्मकारों को नुकसान उठाना पड़ा.

निगार खान को ले कर यह भी चर्चा है कि उन के बालीवुड की एक माडल के साथ समलैंगिक संबंध थे.
फिल्म दम में आइटम गीत बाबूजी जरा धीरे चलो.... से लोगों के दिलांे में बिजली गिराने वाली चेकोस्लोवाकिया की याना सिकोवा को एक के बाद एक कई फिल्मों में आइटम डांस करने का मौका मिला. बाद में याना ने भारतीय पेंटर सत्य गुप्ता से शादी कर भारत में रहने का पूरा मन बना लिया.

दम रक्त व मुसाफिर फिल्मों में अपना जलवा दिखाने वाली याना गुप्ता बालीवुड की फिल्मों मंे काम पाने के लिए फिल्मकारों के चक्कर लगा रही हैं. फिलहाल तो वह चैनल जूम के एक प्रोग्राम में एंकरिंग कर रही हैं.
फैजल गुस्ताख की फिल्म बूम से अमिताभ बच्चन जैसे हीरों के साथ बालीवुड मंे एंट्री करने वाली कैटरीना कैफ ब्रिटेन की रहने वाली हैं. उनके पिता कश्मीर के हंैं और माँ ब्रिटेन की.

अपने खूबसूरत नैनन श व दिलकश अदाआें वाली कैटरीना रामगोपाल वर्मा की फिल्म सरकार में अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन के साथ नजर आइंर्.राज कंवर की फिल्म हमको दीवाना कर गए के अलावा डेविड धवन की एक फिल्म मंे भी वह दिखीं.

कैटरीना कैफ के टैलेंट को देख कर फिल्मी जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में वह हिंदी फिल्मों मंे खास पहचान बनाएंगी.

फिल्म समय में ब्रिटेन की माडल लूस बार्थोमेलों लैला.... लैला....गीत मंे नजर आइंर्. धीरज कुमार की फिल्म आबरा का डबरा में इटली की नामचीन माडल टियारा नजर आई थीं.

विदेश से आने वाली हीरोइनें हिंदी के अलावा दूसरी भाषाआें मंे बनने वाली फिल्मों मंे काम करना चाहती हैं. वे दक्षिण भारत की फिल्मों के साथ-साथ बंगला और भोजपूरी फिल्मांे के लिए फिल्मकारों को पटाने मंे लग गई हैं.
इतनी बड़ी तादाद में विदेशी हीरोइनों के भारत आने की वजह या है? ज्यादातर विदेशी लड़कियाँ अपने-अपने देशों की टाप माडल या हीरोइनें हैं. वे हिन्दी फिल्मों के जरीए पूरी दुनिया में छा जाना चाहती हैं.

बालीवुड मंे नाम कमाने के लिए विदेशी लड़कियां काफी प्रोफेशनल होती हैं. फिल्मकार की मरजी से वह काम करने को तैयार रहती हैं. भारत की हीरोइन जिस काम को करने के लिए क्भ् से ख्भ् लाख रूपए मांगती हैं. वहीं काम विदेशी हीरोइन एक दो लाख रूपए रोज के हिसाब से करने को तैयार हो जाती हैं. फिल्मकार भी ख्-फ् दिन मेंें सारे सीन शूट कर लेते हैं.

विदेशी लड़कियां भी इस चक्कर में रहती है कि कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा फिल्मों में काम कर के जितने ज्यादा रूपए बटोर सकें बटोर लें.

इस बारे में एक हीरोइन का कहना था कि वह ज्यादा से ज्यादा कर्मा कर अपने देश में जाकर अपनी सारी जिंदगी शान से गुजारना चाहती है.

एक फिल्म की आर्डिनेटर का कहना है कि विदेशी बालाएं काफी बिंदास होती हैं. कम मेहनताने पर जितना चाहो उतना ए सपोज करने को तैयार रहती हैं.आजकल वह से स की फिल्मों के फिल्मकारों की चहेती बनती जा रही है.
एक कैमरामैन ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विदेशी लड़कियां भरपूर ए सपेाज करती हैं. निगार खान ने तो चार हिंदी फिल्मों मंे पूरी तरह से बिना कपड़ों के सीन दिए हैं. निगार के भारत से चले जाने से इन फिल्मों की शूटिंग पूरी नहीं हो सकी.

पता चला है कि फिल्मकार बड़ी चालाकी से काम लेते हैं. सेंसर करवाते समय ए सपोज वाले सीन को नहीं भेजा जाता है. सेंसर के बाद इन सीन को विदेशांे में दिखाए जाने वाले प्रिंट में जाे़ड दिया जाता है. इन्हें बिट सीन कहा जाता है.

ऐसे सीन देने में भारतीय हीरोइन कतराती हैं. निगार खान की तरह बोल्ड सीन देने में लाडा ग्लोस्चोव, ब्लाज्म ट्रे सल,तान्या, माना स्काट, डेजी, सेंटोफेंटी वगैरह हीरोइनें शामिल हैं.
विदेशी कलाकारों में काम करने का जनून होता है. वे भारत आ कर भाषा सीखने और यहां काम में पूरी तरह से उतर जाने की कोशिश में रहती हैं.

कुछ ही दिनों में वे हिंदी सीख कर फिल्मकारों के चौंका देती हैं. फिल्म मिस अफगानिस्तान की विदा समदाजी कहती हैं, जब आप में किसी बात को सीखने का जनून हो, तो सीखने में परेशानी नहीं होती. फिर हिंदी भाषा सीखना या बड़ी बात हैं.

कनाड़ा मूल की हीरोइन हेजल का कहना है, हिन्दी फिल्मों में टैलेंट को निखारने और दिखाने की काफी उम्मीद होती है, योंकि इनमें डांस गाने, ऐि टंग बहुत कुछ होता है. यही बातें दूसरे देशों की फिल्मों में नहीं होती.
तान्या कहती है, हिन्दी फिल्मों के बोल्ड सीन दूसरे देशों के बोल्ड सीन से काफी सादगी भरे होते हैं, जिसे बेहूदा नहीं कह सकते, इसलिए मुझे यहां की फिल्मों में ए सोज करने में एतराज नहीं हैं.
बालीवुड में विदेशी लड़कियों की तादाद को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि आने वाले दिनों में इन की मांग और ज्यादा बढ़ेगी. कम दाम की वजह से बी और सी ग्रेड के फिल्मकार भी इन गोरी मेेमें की ओर ंखिंचने लगे हैं.




नौटंकी भर है आज की भोजपुरी फिल्मे

आजकल की भोजपुरी फिल्मों को मंै घटिया नौटंकी मानती हूं. वैसे, हिन्दी फिल्मों को भी कोई बहुत अच्छा दर्जा नहीं दियाा जा सकता. मेरी यह इच्छा जरूर है कि एक मुक्कमल फिल्म बने और उसमें मैं काम करूं.
बिहार की मशहूर गायिका देवी ने अपने संगीत का सफर छपरा से शुरू किया था.अभी वह स्नातक तृतीय वर्ष संगीत प्रतिष्ठ ा की छात्रा है. क्े दिसम्बर से शुरू होने वाली परीक्षा के लिए वह मुंबई से छपरा आयी हुई हैं. देवी को तब से देख और सुन रहा हूं जब वह छपरा के छोटेे-बड़े मंचों पर बाल कलाकार के रूप में गाया करती थी. अपने गायन से उस समय भी वह श्रोताआें को मंत्रमुग्ध कर देती थी और लोग तभी अनुमान लगाते थे कि वह एक दिन संगीत के क्षेत्र में काफी आगे जायेगी. आज देवी सचमुच एक महत्वपूर्ण मुकाम पर हैं. पर कारण जो भी हो उसको लेकर विवाद भी अ सर होते रहते हैं. वैसे, वह अत्यंत ही सरल स्वभाव की साधारण-सी दिखने वाली आम लड़की की तरह है. परंतु, इसके साथ यह भी सच है कि गायिकी में वह अवश्य ही असाधारण है. देवी की अद्भूत गायिकी एवं प्रस्तुतीकरण के अनोखे अंदाज ने उसे हर दिल अजीज बना दिया है. आश्चर्य यह है कि उसे किसी भी तरह का कोई बाहरी संरक्षण प्राप्त नहीं है.तब भी अपनी कला से श्रोताआें की सबसे चहेती अदाकारा बन बैठी है. संगीत जगत में उसको लेकर हड़कम्प सा मचा हुआ है. हाल ही में उसके छपरा आवास पर देवी से समकालीन तापमान के ब्यूरो प्रभारी अवधेश श्रीवास्तव की लम्बी बातचीत हुई. प्रस्तुत हैं प्रमुख अश्ंा :

आजकल मुुुंुबई रहने लगी हैं. दूसरे गायक -गायिकाआें की तरह फिल्मों में जाने का इरादा है या?
फिल्मों में जाना कोई मकसद नहीं है. मकसद अच्छा काम करने से है. मुुंबई में इसलिए रहने लगी हूं कि वह शहर मुझे भाता है.

फिल्मों को ठुकराने के लिए मैं मशहूर हूं. लोग कहते हैं कि फिल्म वालांे को ना कहने में मेरा रिकार्ड है. सत्यजीत राय व शान्ताराम जैसे फिल्मकार कुछ करने का आमंत्रण देते हैं तो जरूर सोचूंगी. किंतु, अफसोस यह है कि अच्छे फिल्मकारों से मुंबई नगरी अब सूनी होता जा रही है.

मुम्बई में भोजपुरी फिल्मों की धूम मची है. उसके बारे में या धारणा है?
आजकल की भोजपूरी फिल्मों को मैं घटिया नौटंकी मानती हूँ. वैसे, हिन्दी फिल्मों को भी कोई बहुत अच्छा दर्जा नहीं दिया जा सकता. मेरी यहह इच्छा जरूर है कि एक मुक्कमल फिल्म बने और उसमें मैं काम करूं.

No comments: