Tuesday, July 31, 2007

संयंत्र ने वनांचल के बच्चों को गोद लिया

भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र ने अपनी निगमित सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन और पिछड़े क्षेत्र के बच्चों को विकास की मुख्य धारा में शामिल करने की अपनी अनूठी पहल के तहत इस वर्ष भी ख्० और बच्चों को गोद लिया जा रहा है. पिछड़े वनांचल क्षेत्र के प्रतिभावान ख्० बच्चों में से क्स्त्र बच्चे अब तक आ चुके हैं और शेष फ् बच्चे भी शीघ्र आ जाएंगे.भिलाई इस्पात संयंत्र के प्रबंध निदेशक रामराजू को स्वयं भी बच्चों के प्रति बहुत संवेदनशील है और बच्चों के सर्वांगीण विकास में स्वत: रुचि दिखलाते हैं ने भी इन ब च्चों के भिलाई की शालाआें में प्रवेश के प्रति अपनी रुचि दिखलाई है. हाल ही में प्रबंध निदेशक ने संयंत्र द्वारा भिलाई क्षेत्र में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले नागरिकों के बच्चों के लिए प्रारंभ की गई एक सर्वसुविधायुक्त प्राथमिक शाला भवन का निरीक्षण किया और बच्चों से रुबरु होकर उनसे आत्मीय चर्चा की. बच्चों से उनकी रुचि, उनके लक्ष्य और पारिवारिक स्थिति की चर्चा के साथ बच्चों को आगे बढ़ने तथा पढ़ने के लिये अभिप्रेरित किया.भिलाई इस्पात संयंत्र ने वर्ष ख्००फ्-०ब् में इस योजना को प्रारंभ करते हुए ब्० बच्चों को गोद लेने का निर्णय लिया था जिसमें से फ्फ् बच्चे भिलाई आये. वर्ष ख्००ब्-०भ् में ख्० और ख्००भ्-०म् में ख्० बच्चों को गोद लिया गया है. इस तरह अब तक कुल ेख् बच्चों को गोद लेकर संयंत्र इनका संपूर्ण लालन-ालन कर रहा है और उन्हें अंग्रेजी माध्यम में श्रेष्ठ शिक्षा प्रदान करने का प्रयास कर रहा है. कक्षा म्वीं से कक्षा क्क् वीं तक पढ़ रहे इन बच्चों को दुर्ग जिले के विभिन्न गांवों से लिया गया है.हाल में आये क्स्त्र बच्चों में से क्० बच्चों ने भिलाई विद्यालय में कक्षा म्वीं में प्रवेश लेकर शाला जाना भी प्रारंभ कर दिया है. इनमें मनोज, महावीर, अमित कुमार, महेश कुमार, भूपेन्द्र कुमार, गितेश्वर, ईसा-ईशा प्रकाश, राकेश, नीलम कुमार, विकास कुमार, चंद्रशेखर, ज्ञानेश्वर, प्रकाश कुमार, हितेश, दिग्विजय, गोपीचंद और नरेन्द्र कुमार शामिल हैं. ये सभी बच्चे दुर्ग जिले के करिया टोला, बड़ा जुगेरा, बोहारडीह, मैथली, तरैद, गुरुर, कोसमी, कंकालीन, सीता पठार, भेसबोड़, सिकारोटोला और पटेली गांव के हैं. अब तक भिलाई में भ्ख् गांवों के बच्चों को पड़ने का अवसर मिला है. इन बच्चों का चयन जिला प्रशासन की जानकारी में कक्षा भ्वीं में प्राप्त अंकों के आधार पर किया जाता है. मेधावी और प्रतिभावान किन्तु साधन विहीन और जरुरतमंद बच्चों को ही संयंत्र गोद लेकर इनका लालनन-पालन कररहा है.

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