Tuesday, July 31, 2007

संपादकीय

बारास्ता अब्दुल कलाम

पूर्व राष्ट ्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने पाँच साल के कार्यकाल में जहाँ मानवीय सवेदनाआें का नया इतिहास रचा वही उन्होंने इंसानियत की कई परिभाषा गढ़ी है. देश ग्यारहवें राष्ट ्रपति के दायित्व से मुक्त हुए एपीजे अब्दुल कलाम देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद संंभवत: ऐेेसे पहले शीर्ष नेता हैं जो बच्चों में बेहद लोकप्रिय रहे और जिन्हें बच्चों ने अपने बहुत करीब पाया. वे अपने कार्यकाल के दौरान जहां भी गए,बच्चों से घिरे रहे. वे बच्चों की मासूम जिज्ञासाआें को बड़े ही सरल तरीके से शांत करते रहे. वे इस बात की गंभीरता को जान चुके थे कि इस पृथ्वी पर सबसे बड़ा संसाधन युवा वर्ग है. देश का यही युवा वर्ग विज्ञान एवं प्रौद्योगिक क्षेत्र में भारत को आगे ले जाने में मददगार साबित होगा. आचार्य रजनीश ने एक बार देश के प्रथम राष्ट ्रपति सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन के संदर्भ में कहा था कि एक शिक्षक का राष्ट्रपति बन जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है, आश्चर्य तो तब होगा जब कोई राष्ट्रपति शिक्षक बनें. हालांकि डा. कलाम ने बिहार के नालंदा विश्व विद्यालय, तमिलनाडू के गांधी विश्वविद्यालय और तिरूवनंतपुरम अंतरिक्ष विश्व विद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पढ़ाने की स्वीकृति दी है, पर अपने पाँच साल के कार्यकाल में इस मिसाइल मैन ने देश को कई अच्छी शिक्षाएं दी और बेहतर रास्ते पर चलने का पाठ पढ़ाया.भारत को विकसित देश का दर्जा सन ख्०ख्० से पहले ही मिल जाने का भरोसा रखने वाले कलाम जाते-जाते भी देश को दस ऐसे सूत्र दे गए जिससे बेहतर छवि दुनिया के सामने रख सकते हैं. अपने विदाई संबोधन में उन्हांेने सच ही कहा कि देश के कोने-कोने में छोटे पैमाने पर ऐसे साहस पूर्व और प्रेरणादायक प्रयोग चल रहे हैं जिन्हें राष्ट ्रीय स्तर पर व्यापक सहभागिता के साथ चलाए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि शहरों और गांवों के बीच असमानता खत्म होनी चाहिए. देश में ऊर्जा और पेयजल उपलब्ध कराया जाना चाहिए. कृषि सम्यक तालमेल होना चाहिए. किसी भी प्रतिभाशाली विद्यार्थी को आर्थिक या सामाजिक कारण से शिक्षा के अवसर से वंचित न होना पड़े. भारत ऐसा देश बने जिसमें सर्वश्रेष्ठ विद्वान, वैज्ञानिक और निवेशकर्ता आना चाहें. सबसे अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध हों. प्रशासन जिम्मेदार, पारदर्शी और भ्रष्ट ाचार मुक्त हो. महिलाआें और बच्चों के खिलाफ कोई अपराध न हो. समृद्ध, सुरक्षित, स्वास्थ्य, शंातिपूर्ण और खुशहाल भारत हो और यह एक ऐसा देश बने जो दुनिया में रहने की सबसे अच्छी जगह हो और लोगों को अपने नेताआें पर गर्व हो. निश्चित ही एक सच्चा शिक्षक ही ऐसा रास्ता बता सकता है. उन्हें राष्ट ्र निर्माण में सभी लोगों और संस्थानों को शामिल करने और समाज के हर तबके को सशक्त बनाने की फिक्र भी थी. ऐसे राष्ट ्रपे्रमी व्यक्ति को निश्चित ही दूसरा कार्यकाल मिलना चाहिए था, लेकिन टुच्पी राजनीति की बेरहम खरोंचे इतनी निर्दयी होती हैं इंसान की ईमानदारी, सच्चाई और दया भाव दूसरों के लिए खटकने लगती हैं. कलाम भी इसी बेरहम राजनीति का शिकार हो गए, अन्यथा उन्हें दूसरा कार्यकाल यदि मिलता तो वे देश के लिए काफी कुछ कर सकते थे. फिर भी जितना कुछ उन्होंने किया उसके लिए देश उन्हें सदा एक बेहतर राष्ट ्रपति के तौर पर याद करता रहेगा. देश का अगला राष्ट ्रपति एक महिला को बनाया गया है. कहा जाता है कि महिलआें में मानवीय संवेदनाएं और सामाजिक मर्यादाआें का भान कुछ ज्यादा ही रहता है. श्रीमती प्रतिभा पाटिल को इस बात का श्रेय भी जाता है कि वे आजाद भारत की पहली महिला राष्ट ्रपति बनी हैं. महिलाआंे, बच्चों और समाज के उत्पीड़ित तबकों के लिए वे और भी अच्छा और बेहतर कर सकंेगी, यही आशा है.

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